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देश के सरकारी स्कूलों की हालात- 5वीं कक्षा के 50 फीसदी छात्र पढ़ने-लिखने के योग्य नहीं: Report

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नई दिल्ली। एन्युअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट-2018 (एएसईआर) के मुताबिक, देश की शिक्षा व्यवस्था की हालत इतनी खराब है कि पांचवीं कक्षा के 50 फीसदी और आठवीं कक्षा के 25 फीसदी छात्र न तो पढ़ सकते हैं और न ही लिख सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, देश के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले पांचवी और आठवीं कक्षा के छात्र साधारण शब्दों में लिखा हुआ एक छोटा सा पैराग्राफ भी पढ़ने के लायक नहीं है। 15 जनवरी को जारी हुई एएसईआर ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सरकारी स्कूलों में 8वीं कक्षा के 73 फीसदी छात्र सेकेंड लेवल का एक पैरेाग्राफ भी नहीं पढ़ सकते हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि 2016 में भी यही स्थिति थी।

5,46,527 छात्रों का हुआ टेस्ट

5,46,527 छात्रों का हुआ टेस्ट

रिपोर्ट में कहा गया है कि 5वीं कक्षा के लगभग 50 फीसदी छात्र सिर्फ सेकेंड लेवल का पैराग्राफ पढ़ने लायक है। एएसईआर की यह 13वीं रिपोर्ट है, जिसने देश भर के 15,998 सरकारी स्कूलों से डाटा इकट्ठा कर रिपोर्ट तैयार की है। इस दौरान 3 से 16 साल की उम्र के बच्चों का देश के 546 जिलों में से 5,46,527 छात्रों का टेस्ट लिया गया था। इस रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि तीसरी, पांचवी और आठवीं कक्षा के छात्रों को 2 डिजिट के जोड़-बाकी जैसी गणित की भी समस्या है।

44 फीसदी छात्र डिविजन करने के लायक नहीं

44 फीसदी छात्र डिविजन करने के लायक नहीं

पढ़ने और लिखने के अलावा पांचवी और आठवीं कक्षा के छात्रों की समस्या गणित में भी वैसी ही है। इस रिपोर्ट की मानें तो आठवीं कक्षा के छात्रों की गणित की समस्या कई सालों से सुधर नहीं पाई है। 'आठवीं कक्षा के 44 फीसदी छात्र सही ढंग से डिविजन कर सकते हैं, वहीं 5वीं कक्षा के सिर्फ 27.8 फीसदी छात्र ही सही से डिविजन करने लायक है।'

इन्फ्रास्ट्रक्चर में हुआ सुधार

इन्फ्रास्ट्रक्चर में हुआ सुधार

इस रिपोर्ट की मानें तो पिछले कुछ सालों में सरकारी स्कूलों की हालत सुधरी है तो वह हम कुछ हद तक इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार को मान सकते हैं। सरकार ने 2010 में जब से 'राइट टू एजुकेशन' लॉन्च किया है, तब से स्कूली इन्फ्रास्ट्रक्चर में तेजी आयी है। रिपोर्ट के अनुसार, 2018 तक 66.4 फीसदी लड़कियों की स्कूल में टॉयलेट बन चुके हैं। हालांकि, इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में सरकारी स्कूलों की सबसे ज्यादा बुरी हालत जम्मू कश्मीर और नॉर्थ ईस्ट राज्यों की है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि लड़कियों के 50 फीसदी से भी कम स्कूलों में पीने के पानी की व्यवस्था है।

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English summary
50 per cent 5th and 8th class students cannot even read or write: ASER Report
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