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केदारनाथ आपदा के 5 साल: एक रास्ता जहां थे कंकाल ही कंकाल

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नई दिल्ली। केदारनाथ धाम में फिर से पहले जैसी रौनक देखने को मिल रही रही है। श्रद्धालुओं के साथ सैलानियों का यहां तांता लगा हुआ है। जयकारों और हर-हर महादेव के नारों से पूरा वातावरण गुंजायमान है। भले ही अब यहां सब-कुछ सामान्य हो गया है, लेकिन पांच साल पहले आई आपदा को शायद ही कोई कभी भूल सकेगा। 16-17 जून, 2013 को केदारनाथ में आई आपदा में करीब 5000 लोग मारे गए थे। उस समय केदारनाथ मंदिर के आसपास का पूरा इलाका मलबे में बदल गया था। हजारों की संख्या में वहां मौजूद लोग या तो काल के गाल में समा गए थे या फिर आपदा के सैलाब में बह गए थे। कई ऐसे लोग भी थे जो पहाड़ों और बड़े-बड़े पत्थरों के नीचे ही दफन हो गए। इस आपदा का शिकार बने कई लोगों का तो अंतिम संस्कार तक नहीं किया जा सका। उत्तराखंड में आई इस तबाही का असर ऐसा था कि करीब एक साल बाद जब यहां के कई इलाकों में प्रशासन ने सर्च ऑपरेशन शुरू किए गए तो वहां सैकड़ों की संख्या में नर-कंकाल बरामद हुए।

जब केदारनाथ में कंकाल दिखने से मच गया था हड़कंप

जब केदारनाथ में कंकाल दिखने से मच गया था हड़कंप

केदारनाथ आपदा के करीब एक साल बाद कुछ इलाकों में नर-कंकाल मिलने की खबरें आईं तो जैसे प्रशासन में हड़कंप मच गया। किसी को विश्वास नहीं हो रहा था कि मिल रहे नर-कंकाल आपदा के समय के हैं। हालांकि बाद में बताया गया कि केदारनाथ आपदा के दौरान आस-पास के जंगलों में कई लोग खुद को बचाने के लिए चले गए थे, उन लोगों की बाद में मौत हो गई थी। मिल रहे कंकाल उन्हीं के हैं।

आपदा के करीब एक साल बाद मिले थे नरकंकाल

आपदा के करीब एक साल बाद मिले थे नरकंकाल

नरकंकाल मिलने की सूचना के तुरंत बाद प्रशासन हरकत में आया, तुरंत खास टीमें बनाकर सर्च ऑपरेशन की शुरुआत की गई। 11 जून, 2014 को शुरू हुआ सर्च ऑपरेशन महीनों तक चलता रहा। इस दौरान अलग-अलग इलाकों से सैकड़ों की संख्या में कंकाल बरामद हुए। 11 से 16 जून 2014 के बीच चले सर्च ऑपरेशन में चीरवासा और रामबाड़ा में 42 मानव कंकाल बरामद हुए। जांच के बाद 1 जुलाई, 2014 को मिले शवों/कंकालों के अंतिम संस्कार किए गए। गौरीकुंड से रामबाड़ा तक 72, देवविष्णु से गोमुखड़ा तक 187, जंगल चट्टी से भीम बली और केदारनाथ तक 185 शव/कंकाल बरामद हुए थे।

बरामद हुए नरकंकालों का किया गया अंतिम संस्कार

बरामद हुए नरकंकालों का किया गया अंतिम संस्कार

सबसे ज्यादा कंकाल गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर जंगलचट्टी के जंगलों में मिले थे। जंगलचट्टी के अलावा रामबाड़ा से लेकर सोनप्रयाग तक के जंगलों में सर्च ऑपरेशन चलाया गया। इस दौरान गौरीकुंड, केदारनाथ की सफाई के दौरान भी नर-कंकाल और शव बरामद हुए थे। आंकड़ों पर गौर करें तो 16-17 जून, 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद समय-समय पर चले रेस्क्यू में केदारनाथ और आस-पास के इलाकों से करीब 650 कंकाल और शव प्राप्त हुए। बरामद हुए नर-कंकालों का बाद में अंतिम संस्कार कर दिया गया।

जून 2014 से 2017 के बीच कई चलाए गए सर्च ऑपरेशन

जून 2014 से 2017 के बीच कई चलाए गए सर्च ऑपरेशन

आंकड़ों पर गौर करें तो केदारनाथ आपदा में करीब 40 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित हुए थे। इस आपदा में करीब 4000 से ज्यादा लोग लापता हुए। इस आपदा में 100 से ज्यादा गांव भी प्रभावित हुए थे। 2017 में सामने आए आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 650 से ज्यादा लोगों के नरकंकाल बरामद हुए हैं। फिलहाल लापता लोगों के लिए प्रशासन और पुलिस की ओर से समय-समय पर सर्च ऑपरेशन चलाए जाते हैं।

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English summary
5 years of kedarnath disaster, a place where people only witnessed the Skelton of dead bodies.
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