Uttarakhand: सेना के सर्च ऑपरेशन में अभी तक 26 शव बरामद, 117 अभी भी लापता
उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर के फटने से आई बाढ़ में कई लोगों की जान चली गई। कई विकास के प्रोजेक्ट पूरी तरह से तबाह हो गए।
देहरादून: उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर के फटने से आई बाढ़ में कई लोगों की जान चली गई। कई विकास के प्रोजेक्ट पूरी तरह से तबाह हो गए। ताजा आंकड़ों के अनुसार इस हादसे में मारे गए 26 लोगों के शव बरामद किये जा चुके हैं, जबकि 171 लोगों के अभी भी लापता होने की खबर है। इसके अलावा कई सारी एजेंसियां फंसे हुए लोगों को बचाने के लिए रात दिन काम कर रही हैं।
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वहीं, राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र ने शवों की बरामदगी की सूचना दी इसके अलावा केंद्र ने इस हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़ने की आशंका जताई है। इसी बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल को राज्य की जनता के समर्थन का आश्वासन दिया और कहा कि भविष्य में किसी भी तरह की प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिया वहां बुनियादी ढ़ाचे को और अधिक मजबूत किया जाएगा।
विशेषज्ञ आपदा के सही कारणों का पता लगाने में जुटे
विशेषज्ञों की एक टीम इस आपदा के पीछे के सही कारणों को तलाश ने में जुट गई है। आपको बता दें कि आपदा के कारणों का पता लगाने के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसरो के वैज्ञानिकों से मुलाकात की थी। मीटिंग के बाद सीएम ने संवाददाताओं से कहा, "यह हादसा लाखों मीट्रिक टन बर्फ के पहाड़ी के ऊपर एक ट्रिगर प्वाइंट से अचानक फिसलने के कारण हुआ।"
उन्होंने आगे कहा कि हमें इस आपदा के लिए जिम्मेदार कारकों का पता लग गया है और अब हम एक व्यापक विश्लेषण के बाद किसी भी संभावित त्रासदी को रोकने के लिए विस्तृत योजना बनाएंगे।" वहीं विशेषज्ञों ने इस हादसे के पीछे ग्लोबल वॉर्मिंग को जिम्मेदार बताया है।
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विशेषज्ञों का मानना है कि गर्मी बढ़ने की वजह से भारी मात्रा में पहाड़ों पर बर्फ पिघल रही है, जिस कारण ऐसे हादसा सामने आ रहे हैं। वहीं भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के महानिदेशक रंजीत नाथ ने कहा कि यह अभी स्पष्ट नहीं है कि यह बाढ़ किसी हिमनदीय झील के फटने से आई या फिर कोई भूस्खलन या हिमस्खलन इस बाढ़ का कारण बना।
लगातार जारी है बचाव कार्य
इस हादसे में लापता हुए लोगों को खोजने का काम युद्ध स्तर पर जारी है। अधिकारियों के मुताबिक लापता लोगों में जल विद्दुत परियोजना स्थल पर काम करने वाले लोग और वो ग्रामीण शामिल हैं जिनके घर बिल्कुल नदी तट पर बने हुए थे। उन्होंने कहा है कि इस हादसे में तपोवन विष्णुगड़ पावर प्रोजेक्ट और ऋषिगंगा हाइडिल प्रोजेक्ट को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है। इसके अलावा प्रोजेक्ट पर काम करने वाले कई लोग तपोवन टनल में फंसे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि हादसे के कारण पुलों के टूटने से 13 गांवों से संपर्क टूट गया है। उत्तराखंड पुलिस के महादिनेशक अशोक कुमार ने यह जानकारी देते हुए कहा कि इन गांवों में हवाईजहाज के द्वारा मदद पहुंचाई जा रही है। उन्होंने कहा कि जोशीमठ के पास प्रभावित इलाकों में आर्मी, आईटीबीपी, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ द्वारा द्वारा तपोवन विष्णुगड़ परियोजना में तपोवन टनल में फंसे 30-35 लोगों को निकालने के लिए तेजी से राहत और बचाव कार्य किया जा रहा है।
अधिकारियों ने कहा कि 27 लोगों को जीवित बचा लिया गया। इनमें से 12 को तपोवन-विष्णुगढ़ परियोजना स्थल पर दो सुरंगों से और 15 ऋषिगंगा स्थल से बचाया गया। उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा कि तपोवन में 250 मीटर की सुरंग में फंसे 30-35 मजदूरों को बचाने के प्रयास लगातार जारी हैं। उन्होंने कहा कि सुरंग के थोड़ा घुमावदार होने की वजह से बजाव दल को काफी मुश्किल हो रही है।