चुनाव आयोग को कितने रुपए का पड़ता है एक वोट, जानें
पटना। 2019 लोकसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं। सभी दल चुनावी गठबंधन और मुद्दों पर मंथन में जुटी हैं तो दूसरी ओर चुनाव आयोग भी युद्ध स्तर पर कार्य में जुटा है। यूं तो चुनावी सीजन में एक से बढ़कर एक आंकड़े निकलकर सामने आते हैं। मसलन- किस सीट पर कितने वोटर हैं, किस जाति वोटर ज्यादा है, किस जाति के कम इत्यादि, लेकिन क्या आप जानते हैं कि चुनाव आयोग प्रति वोटर कितना खर्च उठाता है। शुरुआत 1952 में देश के पहले आम चुनाव से करते हैं। उस वक्त चुनाव आयोग ने प्रति वोटर करीब 60 पैसे खर्च किए थे।
जानकारी के मुताबिक, 2009 में प्रति वोटर खर्च बढ़कर 12 रुपए तक पहुंच गया। इसके बाद 2014 लोकसभा चुनाव हुए, जिनमें प्रति वोटर खर्च 20-22 रुपए हो गया। राज्यवार स्थिति देखें तो हमारे पास बिहार के आंकड़े हैं, जो बताते हैं कैसे चुनाव आयोग का खर्च बढ़ता चला गया। बिहार में करीब 6 करोड़ 97 लाख मतदाता हैं। इस हिसाब से मानकर चलें कि चुनाव आयोग अगर 20 रुपए प्रति वोटर खर्च करता है तो बिहार में उसे करीब 14 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
निर्वाचन आयोग के आंकड़ों पर नजर डालें तो चुनावी खर्च में सबसे पहले 1977 में वृद्धि दर्ज की गई। उस वक्त वोटर खर्च बढ़कर डेढ़ रुपए तक चला गया था। 1971 के चुनाव में यही खर्च मात्र 40 पैसे था। इसके बाद से चुनावी खर्च लगातार बढ़ता चला गया। 1984-85 प्रति वोटर खर्च डेढ़ रुपए से बढ़कर दो रुपए हो गया। 1977 के बाद 1991-1992 के चुनाव में प्रति वोटर खर्च में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई। 1984-85 में जो खर्च दो रुपए था, वह 91-92 में बढ़कर सात रुपए हो गया। इसके बाद 1996 में प्रति वोटर खर्च 3 रुपए बढ़कर 10 रुपए तक पहुंच गया।
चुनावी खर्च में बढ़ोतरी के दो बड़े कारण माने जाते हैं। पहला रुपए का अवमूल्यन, पुराने जमाने की महंगाई दर और आज महंगाई दर में भी फर्क आया है। दूसरा कारण है मतदाता के लिए बूथ पर सुविधाओं में वृद्धि।