हिमाचल पेपर लीक मामले में यूपी के वाराणसी से दो की गिरफ्तारी, जयराम सरकार सीबीआई को सौंपेगी जांच
शिमला, 18 मई। कॉन्स्टेबल भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में हिमाचल प्रदेश पुलिस ने अखिलेश यादव और शिव बहादुर सिंह को गिरफ्तार किया है। दोनों को उत्तर प्रदेश के वाराणसी की अदालत में पेश करने के बाद हिमाचल प्रदेश में पूछताछ के लिये लाया जा रहा है। सुनने में भले ही अटपटा लगे लेकिन यह सच है कि दोनों ही हिमाचल पुलिस कांस्टेबल भर्ती पेपर लीक मामले के आरोपी हैं। एक अन्य आरोपी बिहार से भी दबोचा गया है। एसआईटी की इसे बड़ी कामयाबी माना जा रहा है। पेपर लीक मामले के तार उत्तर प्रदेश, बिहार और दिल्ली से जुड़े हैं।
मामले
की
जांच
करेगी
सीबीआई
दूसरी
ओर
हिमाचल
सरकार
को
दबाव
के
आगे
झुकना
पड़ा
जिसके
चलते
सरकार
पुलिस
कांस्टेबल
भर्ती
पेपर
लीक
मामले
की
जांच
सीबीआई
से
कराने
का
निर्णय
लिया
है।
मुख्यमंत्री
जय
राम
ठाकुर
ने
शिमला
में
सरकार
के
निर्णय
की
जानकारी
देते
हुये
कहा
कि
सरकार
चाहती
है
कि
सारे
मामले
की
निष्पक्ष
और
पारदर्शी
जांच
हो।
इस
मामले
की
अभी
तक
जांच
हिमाचल
पुलिस
की
ओर
से
गठित
एसआईटी
कर
रही
है।
लेकिन
सरकार
इस
मामले
में
किसी
भी
दोषी
को
नहीं
बख्शेगी।
इस
बीच,
पेपर
लीक
मामले
में
जांच
कर
रही
एसआईटी
ने
उत्तर
प्रदेश
के
कई
शहरों
में
दबिश
देकर
अन्तर्राज्यीय
गैंग
से
जुड़े
अखिलेश
यादव
और
शिव
बहादुर
सिंह
को
गिरफ्तार
किया
हैं।
दोनों
आरोपी
वाराणसी
के
थाना
कैण्ट
क्षेत्र
से
गिरफ्तार
किये
गये
हैं।
एक
दिन
पहले
ही
हो
गए
थे
पेपर
लीक
बताया
जा
रहा
है
कि
27
फरवरी
2022
को
हिमाचल
प्रदेश
सरकार
द्वारा
आयोजित
हिमाचल
प्रदेश
पुलिस
कांस्टेबल
भर्ती
की
लिखित
परीक्षा
का
प्रश्न
पत्र
परीक्षा
से
एक
दिन
पूर्व
ही
पेपर
लीक
कराकर
अभ्यर्थियों
को
उपलब्ध
कराया
गया
था।
हिमाचल
प्रदेश
के
थाना
गगल,
जिला
कांगड़ा
में
मुकदमा
दर्ज
कर
अब
तक
कई
अभियुक्तों
को
गिरफ्तार
किया
जा
चुका
है।
गैंग
के
सक्रिय
सदस्य
शिवबहादुर
सिंह
को
उत्तर
प्रदेश
के
वाराणसी
से
गिरफ्तार
किया
गया।
मामले
में
हिमाचल
प्रदेश
पुलिस
ने
यूपी
पुलिस
से
गिरफ्तारी
हेतु
सहयोग
मांगा
था,
जिसके
बाद
एसटीएफ,
वाराणसी
और
हिमाचल
प्रदेश
पुलिस
ने
यह
गिरफ्तारी
की
है।
आरोपी
शिवबहादुर
बन
चुका
है
करोड़ों
का
मालिक
पूछताछ
के
दौरान
पता
चला
है
कि
2003
से
आरोपी
शिवबहादुर
अन्तर्राज्यीय
प्रतियोगी
परीक्षाओं
का
पेपर
लीक
करने
वाले
बेदीराम
गैंग
का
सक्रिय
सदस्य
है।
जिसके
द्वारा
विभिन्न
प्रतियोगी
परीक्षाओं
में
प्रश्न
पत्र
लीक
कराकर
परीक्षा
से
पूर्व
ही
अभ्यर्थियों
को
पढ़वाया
जाता
था
और
उनको
उत्तर
बता
दिया
जाता
था।
तेलंगाना,
पंजाब
व
चंडीगढ़
में
आयोजित
होने
वाले
विभिन्न
प्रतियोगी
परीक्षाओं
व
भर्तियों
का
प्रश्न
पत्र
लीक
कराने
के
प्रकरण
में
अभियुक्त
उपरोक्त
उक्त
राज्यों
में
कई
बार
जेल
जा
चुका
है।
आरोपी
इस
तरह
की
धांधली
में
अब
तक
लगभग
10
से
12
करोड़
रूपये
कमा
चुका
है।
उन्हीं
पैसों
से
सन-2015
में
जिला
वाराणसी
के
विंध्यवासीनीनगर
कॉलोनी
अर्दली
बाजार
में
तीन
मंजिला
मकान
नं0
66
को
03
करोड़
रूपये
में
खरीदा
गया
और
विंध्यवासीनीनगर
कॉलोनी
में
ही
एक
दूसरा
मकान
40
लाख
रूपये
में
एग्रीमेण्ट
कराया
गया
है।
बिहार
और
नेपाल
से
जुड़े
मामले
के
तार
चल
रही
जांच
में
पता
चला
है
कि
हिमाचल
प्रदेश
पुलिस
कांस्टेबल
भर्ती
पेपर
लीक
मामले
के
तार
नेपाल
और
बिहार
से
भी
जुड़े
हैं।
अंतरराष्ट्रीय
स्तर
का
गिरोह
पेपर
लीक
प्रकरण
में
शामिल
हैं।
मंडी
के
मनोज
से
पूछताछ
के
बाद
नेपाल
बार्डर
के
समीप
मोतीहारी
से
एजेंट
चंद्रगुप्त
को
और
बिहार
के
पटना
से
अमन
को
गिरफ्तार
किया
है।
पुलिस
के
सूत्रों
के
अनुसार
नेपाल
के
चंद्रगुप्त
ने
मंडी
पेपर
पहुंचाए
थे।
इन्हें
मंडी
के
मनोज
ने
अभ्यर्थियों
को
बांटा
और
उनसे
पैसों
की
उगाही
की।
इसके
बाद
इन
वसूले
पैसों
को
पटना
का
अमन
लेकर
गया
था।
पुलिस
ने
इस
रैकेट
की
गुत्थी
सुलझा
ली
है।
मंडी
में
पेपर
रिसीव
करने
और
अभ्यर्थियों
से
पैसा
उगाहने
वाला
मनोज
गिरफ्तारी
के
बाद
19
मई
तक
रिमांड
पर
है।
चंद्रगुप्त
को
पुलिस
मंडी
ले
आई
है
और
अमन
को
पटना
से
गिरफ्तार
किया
है।
पांच
से
छह
लाख
में
हुआ
था
एक
पेपर
का
सौदा
पुलिस
के
अनुसार
तीनों
पहले
भी
किसी
न
किसी
पेपर
लीक
केस
में
लिप्त
रहे
हैं।
चंद्रगुप्त
और
अमन
के
खिलाफ
दक्षिण
भारत
में
भी
कई
मामले
दर्ज
हैं।
चंद्रगुप्त
नेपाल
से
आया
था
और
पेपर
मंडी
तक
पहुंचाने
के
बाद
बाद
नेपाल
भाग
गया
था।
गुप्त
सूचना
के
आधार
पर
जब
वह
नेपाल
से
मोतिहारी
आ
रहा
था
तो
उसे
पकड़ा
गया।
बल्ह
का
मनोज
2009
में
सीपीएमटी
पेपर
लीक
मामले
में
संलिप्त
रहा
है।
पेपर
लीक
मामले
में
करोड़ों
के
खेल
की
आशंका
है।
मंडी
में
पुलिस
कांस्टेबल
भर्ती
का
टेस्ट
देने
वालों
से
पांच
से
छह
लाख
के
बीच
एक
पेपर
का
सौदा
हुआ
है।
एसपी
मंडी
ने
शालिनी
अग्निहोत्री
ने
मामले
की
पुष्टि
की
है।
उन्होंने
बताया
कि
मनोज
रिमांड
पर
है।
पूछताछ
के
दौरान
उसने
ही
बिहार
और
पटना
के
लिंक
का
पता
चला
था।
पुलिस
मामले
में
जांच
बढ़ा
रही
है।
जल्द
कुछ
और
गिरफ्तारियां
भी
संभव
हैं।
दिल्ली
में
रची
गई
पेपर
लीक
की
साजिश
अभी
तक
की
पुलिस
की
तहकीकात
में
यह
खुलासा
हुआ
है
कि
पुलिस
भर्ती
का
पेपर
लीक
करने
की
साजिश
दिल्ली
में
रची
गई
थी।
इससे
पुलिस
को
यह
शक
भी
है
कि
संभवत
इस
मामले
में
संलिप्त
आरोपी
पूर्व
में
किए
गए
इस
तरह
के
अन्य
अपराधों
में
भी
शामिल
रहे
हों।
यूपी
में
भी
पहले
कई
भर्तियों
के
पेपर
लीक
होते
रहे
हैं।
हिमाचल
प्रदेश
में
भी
ऐसा
होता
रहा
है।
ऐसे
में
इस
गैंग
के
कई
भर्ती
मामलों
से
तार
जुड़े
हो
सकते
हैं।
पुलिस
सूत्रों
के
अनुसार
ये
दोनों
ही
आरोपी
दिल्ली
से
ही
पेपर
लीक
के
ऑपरेशन
को
करने
की
भूमिका
रच
रहे
थे।
अब
इन
दोनों
ही
आरोपियों
को
पुलिस
की
दो
टीमें
उत्तर
प्रदेश
और
बिहार
से
हिमाचल
प्रदेश
ला
रही
है।
पुलिस
अब
इन्हें
रिमांड
पर
लेकर
गहरी
पूछताछ
करेगी।
हिमाचल पेपर लीक: संदिग्ध पुलिस अफसरों के हाथ में क्यों है मामले की जांच, कांग्रेस ने उठाया सवाल
मुख्य
आरोपी
की
तलाश
में
है
पुलिस
मामले
का
प्रमुख
आरोपी
शिव
बहादुर
सिंह
ही
है
या
कोई
और
है?
अब
तक
पुलिस
कांस्टेबल
लिखित
परीक्षा
प्रश्नपत्र
लीक
मामले
में
29
लोगों
को
गिरफ्तार
कर
चुकी
है।
कई
को
पुलिस
रिमांड
पर
भेजा
गया
है।
इनके
बयान
दर्ज
किए
जाने
और
डिजिटल
साक्ष्य
के
साथ
एसआईटी
इन
दोनों
आरोपियों
तक
पहुंची
है।
यह
हस्तलिखित
प्रश्न
पत्र
सबसे
पहले
जिला
कांगड़ा
में
बंटा
है।
एसआईटी
के
प्रमुख
आईजी
मधु
सूदन
ने
कहा
कि
शिव
बहादुर
को
उत्तर
प्रदेश,
जबकि
अमन
सिंह
को
बिहार
से
पकड़ा
है।