हिमाचल चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका, ये मंत्री BJP में हुआ शामिल
शिमला। चंद रोज पहले राहुल गांधी अपने हिमाचल दौरे के दौरान मंडी के पड्डल मैदान में हिमाचल के विकास के जिस मॉडल की तारीफों के पुल बांध रहे थे उसी मंडी से विधायक और वीरभद्र सिंह सरकार में पंचायती राज मंत्री अनिल शर्मा कांग्रेस पार्टी को अलविदा कहकर भाजपा में शामिल हो गए। अनिल शर्मा के भाजपा में जाने से कांग्रेसी खेमा सन्न होकर रह गया है। किसी को भी यह आभास नहीं था कि अनिल शर्मा ऐन मौका पर भाजपा में चले जायेंगे। यहां तक कि हिमाचल के भाजपा नेताओं को भी इसका आभास नहीं था। हालांकि पिछले कुछ अरसे से यह चरचा रही कि हिमाचल कांग्रेस के कुछ विधायक भाजपा में चले जायेंगे। शनिवार को एक ओर भाजपा टिकट के नाम फाइनल कर रही थी, उसी दौरान अचानक घटे घटनाक्रम में अनिल शर्मा भाजपा में आ गये। दिलचस्प बात यह है कि देर रात जब यह खबर पुख्ता हुई कि अनिल शर्मा, भाजपा में शामिल हो चुके हैं तो भाजपा ने भी अपने प्रत्याशियों की घोषणा रोक ली। अब यह घोषणा आज होगी।
अनिल शर्मा के भाजपा में जाने की खबर जब फैली, तो उस समय उनके पिता पूर्व केन्द्रीय संचार मंत्री पंडित सुख राम कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी प्रभारी सुशील कुमार शिन्दे से बैठक कर रहे थे। यही वजह है कि कंग्रेस नेताओं को भी कुछ देर तक तो इस सब पर विशवास ही नहीं हुआ। खुद अनिल शर्मा भी देर शाम तक इसे अफवाह ही बताते रहे। लेकिन तब तक पटकथा लिखी जा चुकी थी। भाजपा की केन्द्रिय चुनाव समिति में प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में इस पर चरचा हुई व आनन फानन में इस पर मुहर भी लग गई।
अनिल शर्मा के अलावा उनके पिता प्रदेश के दिग्गज नेता पंडित सुखराम और बेटे आश्रय शर्मा ने भी भाजपा का दामन थाम लिया है। सुखराम का परिवार कांग्रेस में अपनी अनदेखी से नाराज चल रहा था। कांग्रेस ने किसी भी चुनावी कमेटी में अनिल शर्मा का नाम तक नहीं डाला था। यही नहीं मंडी में हुई राहुल गांधी की रैली के लिए पंडित सुखराम को न्यौता तक नहीं दिया गया था। पंडित सुखराम और उनके पोते आश्रय शर्मा दिल्ली में मौजूद हैं जबकि अनिल शर्मा मंडी में ही हैं। सूत्रों के मुताबिक अनिल शर्मा को मंडी सदर से बीजेपी का टिकट देने की डील हुई है।
भाजपा का दामन थामने के बाद अनिल शर्मा ने जमकर भड़ास निकाली। अनिल शर्मा ने कहा कि मंडी में हुई राहुल गांधी की रैली में मेरे परिवार का अपमान किया गया। पंडित सुखराम को रैली में आने से रोका गया। मेरे पिता को आया राम गया राम कहा गया, जिसकी वजह से मुझे कांग्रेस में घुटन महसूस हो रही थी। इसी वजह से मुझे कांग्रेस छोडऩे पर मजबूर होना पड़ा है। वे यहीं नहीं रुके और कहा कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने मेरे काम नहीं होने दिए। सिर्फ अपने चहेतों के काम करवाए। अनिल शर्मा ने कहा कि हमने पहले भी भाजपा के साथ मिलकर सरकार चलाई है।
अनिल शर्मा ने बताया कि वे भाजपा के टिकट पर वे मंडी सदर से चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि मैंने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है और भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है। पंडित सुखराम का परिवार हमेशा ही मंडी के विकास के लिए समर्पित है और आगे भी रहेगा। अनिल शर्मा का विधानसभा चुनावों से ठीक पहले बीजेपी में शामिल होना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है। इससे अब बीजेपी की मंडी जिला में स्थिति काफी मजबूत होगी। मंडी लोकसभा की सीट पहले ही बीजेपी के पाले में है। ऐसे में अब अगर मंडी जिला से अनिल शर्मा को बीजेपी से टिकट मिलता है तो कांग्रेस को भी इसका विकल्प तलाशना होगा। बताया जा रहा है कि कांग्रेस ठाकुर चंपा ठाकुर को इस सीट से अनिल शर्मा के खिलाफ उतार सकती है। चंपा ठाकुर वर्तमान में जिला परिषद मंडी की अध्यक्ष हैं और स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर की बेटी हैं। पता चला है कि कांग्रेस नेताओं ने इस बाबत आज उनसे बातचीत भी की है। बहरहाल अब आने वाले समय में ही पता चलेगा की कांग्रेस इस सीट से अपना प्रत्याशी बनाती है।
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