कंपा देने वाली सर्दी के बीच कत्थक नृत्य कर इस बेटी ने बनाया विश्व रिकार्ड
शिमला। अपने नृत्य के बल पर विश्व में अलग पहचान बनाने वाली जानी मानी कत्थक नृत्यांगना श्रुति गुप्ता ने एक ओर विश्व रिकार्ड अपने नाम किया है। उन्होनें एक बार फिर से लिम्का बुक का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। वन्देमातरम थीम पर खारदोंग ला दर्रा की गगनचुम्बी 18380 ऊंची पहाड़ियों के बीच माइनस 24 डिग्री तापमान में कथक पोशाक में नग्न पैर नृत्य कर पिछले वर्ष का अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया है। यह तीसरा मौका है, जब श्रुति ने इंतिहास कायम किया है। हिमाचल प्रदेश के जिला सोलन से ताल्लुक रखने वाली श्रुति गुप्ता ने इस बार मनाली से लेह तक के रास्ते में पड़ने वाली पांच ऊंची चोटियों, जहां पर सांस लेना भी मुश्किल होता है, वहां सात से 10 मिनट तक अपनी प्रस्तुति के माध्यम से लोगों को जल व वायु संरक्षण का संदेश दिया है। श्रुति की इस उपलब्धि को लिम्का बुक ऑफ विश्व रिकार्ड और बेस्ट आफ इंडिया विश्व रिकार्ड में शामिल किया गया है।
खुदके ही तोड़े सारे रिकॉर्ड
इससे पहले श्रति गुप्ता ने जहां सांस लेना भी आसान नहीं है वहां सात मिनट तक लगातार कथक करके अपना नाम लिम्का बुक ऑफ विश्व रिकॉर्ड में दर्ज कराया था। इस प्रस्तुति के साथ श्रुति ने पुराने रिकॉर्ड को भी तोड़ा जो बिलासपुर में बनाया था। खारदुंग-लॉ में श्रुति ने अपनी कथक की विधाओं को देश के सैनिकों को समर्पित किया था। 4850 मीटर ऊंचे बारालचा दर्रे पर श्रुति ने 18 अक्तूबर, 2015 को अपनी प्रस्तुति दी थी। बारालचा समेत खारदुंग-लॉ में आम व्यक्ति की पैदल चलने पर सांस फूल जाती है, वहीं ट्रांस हिमाचल की चोटियों पर नंगे पांव कथक नृत्य की विधाओं को पेश करना अपने आप में ही किसी चुनौती से कम नहीं है।
हासिल कर चुकी हैं कई उपलब्धियां
श्रुति साल 2016 में भी ये उपलब्धि हासिल कर चुकी हैं। डांस की उपलब्धियों और बेटी बचाने का संदेश देने के लिए श्रुति को प्रधानमंत्री मोदी ने सम्मानित भी किया व व्यक्तिगत तौर पर श्रुति की पीठ थपथपाई थी। प्रधानमंत्री ने श्रुति गुप्ता की प्रतिभा और साथ ही उनकी ओर से किए जा रहे समाज सेवा के कामों की सराहना की। श्रुति गुप्ता ने इस मुलाकात के दौरान पीएम मोदी के साथ अपनी भविष्य की योजनाओं व एजेंडों पर भी विचार किया। इसके अलावा श्रुति ने आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठाई। साथ ही उन्होंने सेव गर्ल चाइल्ड और सेव नेचर का संदेश लोगों तक पहुंचाया। श्रुति ने बताया कि इस बार सेव नेचर एंड सेलिब्रेट नेचर थीम के तहत उन्होंने मनाली से लेह तक के रास्ते में रोहतांग पास, बारालाचा पास, नकीला पास, लाचुंगला पास और तांगलंगला पास में से हर एक पर सात से 10 मिनट तक कत्थक नृत्य पेश किया।
बेहद मुश्किल रहा सफर
पंजाब यूनिवर्सिटी पटियाला के नृत्य विभाग की छात्रा श्रुति का कथक के प्रति जुनून बचपन से ही रहा है। श्रुति ने अपनी सफलता का श्रेय अपने गुरु पंडित राजेंद्र गनगनी और परिवार को देती हैं। इस रिकॉर्ड को बनाने के बारे में उन्होंने डांस एकेडमी ज्वाइन करने के बाद तय किया था। श्रुति कहती हैं कि जीरो डिग्री टेंपरेचर में कथक की पारंपरिक ड्रेस पहनकर कथक करना बेहद मुश्किल था। माइनस 24 डिग्री तापमान पर नंगे पांव कथक नृत्य रोमांच भरा अनुभव रहा। हिमाचल की बेटी श्रुति गुप्ता के नाम कई उपलब्धियां रही हैं। जिनके चलते श्रुति गुप्ता को लिम्का बुक ऑफ विश्व रिकॉर्ड के 28वें संस्करण के कवर पेज पर स्थान मिल चुका है।
नृत्य की पेशकारियों के जरिये देश के जवानों को दी श्रद्धांजलि
श्रुति ने बताया कि तांगलंगला पास दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची चोटी है। इस चोटी पर परफार्म करना काफी मुश्किल भरा रहा। ग्रैमी अवार्ड विजेता पंडित विश्व मोहन के संगीत पर उन्होंने अपनी परफार्मेंस दी। पानी व वायु संरक्षण का संदेश देती उन्होंने एक कहानी तैयार की थी। नृत्य के जरिये उन्होंने इस कहानी का वाचन किया, ताकि लोगों तक संदेश पहुंच सके। श्रुति ने कहा कि अपने इन नृत्य की पेशकारियों के जरिये उन्होंने अपने देश के जवानों को भी श्रद्धांजलि दी है, जो देश की सेवा में अपनी जान गंवा रहे हैं।
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