हिमाचल: जीत के बाद भी बीजेपी में जश्न नहीं, धूमल-सत्ती की हार के पीछे लगाए जा रहे हैं साजिश के कयास
शिमला। सरकार बनाने के करीब पहुंची हिमाचल भाजपा में जशन का महौल नहीं है। चूंकि उसके दो बड़े नेता प्रदेशाध्यक्ष सतपाल सत्ती व पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल आश्चर्यजनक तरीके से चुनाव हार गए हैं। प्रदेश में चर्चा भाजपा के चुनाव जीतने की नहीं,बल्कि पार्टी अध्यक्ष सत्ती व धूमल के चुनाव हारने की हो रही है। कई विजयी प्रत्याशी तो जश्न में शामिल होने से भी कतरा रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश में करीब 25 वर्षों बाद सीपीआई-एम विधानसभा पहुंचने में कामयाब हुई है। सीपीआई-एम के पूर्व राज्य सचिव राकेश सिंघा ही पूर्व में शिमला शहरी सीट से जीते थे, जबकि इस बार वे ठियोग से जीते हैं। ठियोग की यह सीट कांग्रेस की वरिष्ठ नेता विद्या स्टोक्स के चुनाव नहीं लड़ने से खाली हुई थी। सिंघा कोटखाई गैंगरेप केस दौरान सरकार के खिलाफ काफी मुखर हुए थे। उसका फायदा उन्हें मिला व ठियोग के लोगों को भी एक बुलंद आवाज विधानसभा में मिली है जो हमेशा ही धारा के विपरीत चलने का माद्दा रखती है।
हिमाचल
प्रदेश
में
पिछले
करीब
30
वर्षों
से
कांग्रेस
और
भाजपा
बारी-
बारी
सत्ता
पर
काबिज
होती
रही
हैं।
भाजपा
ने
यहां
एक
बार
फिर
कांग्रेस
से
सत्ता
छीन
ली
है।
इसे
यह
भी
कहा
जा
सकता
है
कि
भाजपा
ने
सत्ता
में
अपनी
बारी
संभाल
ली
है।
यह
सिलसिला
इस
बार
भी
कायम
रहा
व
सत्ता
भाजपा
के
हाथों
में
आ
गई
है।
लेकिन
हिमाचल
प्रदेश
विधानसभा
के
चुनाव
में
एक
बड़ी
खबर
यह
रही
कि
भाजपा
के
पूर्व
मुख्यमंत्री
प्रेम
कुमार
धूमल
चुनाव
हार
गए
और
पार्टी
के
प्रदेश
अध्यक्ष
सतपाल
सत्ती
भी
अपनी
सीट
नहीं
बचा
पाए।
इन
दोनों
की
पराजय
को
पार्टी
की
अंदरूनी
राजनीति
का
परिणाम
माना
जा
रहा
है।
मतदान
के
बाद
भाजपा
का
ही
एक
धड़ा
काफी
मुखरता
से
इन
दोनों
की
हार
की
भविष्यवाणी
कर
रहा
था
जो
सही
साबित
हुई।
भाजपा हाईकमान से लेकर प्रदेश में भी पार्टी का एक धड़ा केंद्रीय मंत्री जगत प्रकाश नड्डा को मुख्यमंत्री बनाने के लिए प्रयासरत रहा है। कहा जा रहा है कि इसी कारण राज्य में मुख्यमंत्री पद के दावेदारों को हाशिए पर धकेलने के लिए काफी मेहनत की गई और उन्हें इसमें कामयाबी भी मिल गई। धूमल व सत्ती के हारने से भाजपा के एक बड़े वर्ग में निराशा देखने को मिल रही है। संगठन में जेपी नड्डा को मुख्यमंत्री बनाने के लिए कसरत शुरू कर हो गई है। वैसे वरिष्ठ भाजपा नेता जयराम ठाकुर का नाम भी इस पद के लिए लिया जा रहा है। लेकिन नड्डा सब पर हावी रहेंगे। अगली सरकार का मुखिया उनकी मर्जी का ही बनेगा।
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