हिमाचल की सियासत में भाजपा और कांग्रेस के अलावा तीसरे दल की संभावना नहीं: सुखविंदर सुक्खू
शिमला, 24 जून। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एवं चुनाव प्रचार कमेटी के अध्यक्ष सुखविंदर सुक्खू का मानना है कि हिमाचल प्रदेश में आने वाले चुनावों में आम आदमी पार्टी का भी हश्र वैसा ही होगा, जैसा इससे पहले प्रदेश की सियासत में तीसरे मोर्चे का हुआ था। हिमाचल की राजनीति में तीसरे दल की कोई संभावना नहीं है। यहां भाजपा से मुकाबला कांग्रेस पार्टी ही कर सकती है। वन इंडिया से एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जो भी राजनैतिक दल चुनाव मैदान में उतरना चाहे, उसे रोका नहीं जा सकता। वह ऐसा करने के लिये स्वतंत्र हैं। यह हिमाचल में पहली बार नहीं हो रहा कि यहां भाजपा और कांग्रेस के अलावा कोई तीसरी राजनैतिक पार्टी चुनाव लड़ने जा रही है। पहले भी ऐसा होता आया है। और हर बार ऐसे दलों को नाकामी ही मिली है। पहाड़ की राजनीति नये दलों के लिये मुफीद नहीं रही है। पिछली बार लोकतांत्रिक मोर्चा ने चुनाव लड़ा था। इससे पहले पंडित सुख राम की हिमाचल विकास पार्टी ने चुनाव लड़ा और उसे 6 प्रतिशत वोट विधानसभा चुनावों में मिले। यहां बसपा जैसे दल भी आये, लेकिन हुआ क्या।
कहा कि अक्सर मुख्य दलों से जिन लोगों को टिकट नहीं मिलते, वह तीसरे दलों में जाते ही हैं। इस बार भी टिकट कटने की सूरत में भले ही कुछ लोग आम आदमी पार्टी में चले जायें, लेकिन इसका कोई असर नहीं पडेगा। फिलहाल , अभी कोई भी कांग्रेसी आप में नहीं जा रहा है। कांग्रेस एकजुट है। प्रदेश के लोग आप की कार्यशैली पंजाब में देख चुके हैं। उन्होंने माना कि टिकट कटने की सूरत में कई बार नेता बगावत कर चुनाव लडते है। लेकिन हिमाचल में मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होगा।
एक सवाल के जवाब में सुक्खू ने कहा कि चालीस सालों बाद पहली बार हिमाचल कांग्रेस नये नेतृत्व के साथ चुनाव मैदान में उतर रही है। हिमाचल में 1982 से लेकर प्रदेश कांग्रेस की कमान पूर्व सी एम वीरभद्र सिंह ही संभाले थे। और वह ही प्रमुख नेता थे। उन्होंने कहा कि वीरभद्र सिंह जैसे नेता की गैरमौजूदगी में अगला चुनाव लडना कांग्रेस पार्टी के लिये कठिन होगा, यह गलत है। यह एक मिथक है कि वीरभद्र सिंह जी कांग्रेस को सत्ता में वापस लाते थे। सुक्खू ने कहा कि उपचुनाव में हमारे पास कांग्रेस पार्टी का कोई प्रमुख चेहरा नहीं था, फिर भी हम जीते हैं। अंतर्निहित सिद्धांत यह है कि लोग एक बदलाव को प्रभावित करने के लिए एक मौजूदा पार्टी को हराने के लिए मतदान करते हैं। लेकिन, मैं कह सकता हूं कि 2022 पहला विधानसभा चुनाव होगा जब कांग्रेस के पास अगली पीढ़ी का नेता होगा।
उन्होंने कहा कि अब इस बार मुझे कांग्रेस आलाकमान ने चुनाव प्रबंधन और प्रचार समिति की कमान सौंपी है। हमारे लिये सत्ता पाना ही प्रमुख मकसद नहीं है।हम प्रदेश में ऐसी सरकार लाने के लिये प्रयासरत हैं, जो न केवल लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरे बल्कि शासन व्यवस्था में भी बदलाव ला सके। चुनाव प्रबंधन समिति के अध्यक्ष के नाते मैं अपनी जिम्मेवारी बखूबी निभाउंगा, हमारा एक मात्र मकसद कांग्रेस को वापिस सत्ता में लाना है। कांग्रेस पार्टी भाजपा की जय राम सरकार को सत्ता से इस बार बाहर करेगी। उन्होंने माना कि महज उप चुनाव जीतना ही सत्ता में वापिसी का आधार नहीं है। लेकिन वह मानते हैं कि अगर कोई विपक्षी दल कड़ी मेहनत करता है और जनता के मुद्दों पर एकजुट होकर चुनाव लड़ता है, तो मौजूदा सरकार अपने रास्ते पर नहीं टिक सकती। बकौल उनके यही हिमाचल प्रदेश की हकीकत है। यही कारण है कि शांता कुमार, वीरभद्र सिंह या प्रेम कुमार धूमल जैसे स्थापित नेताओं ने भी सत्ता खो दी।
हिमाचल का मतदाता वर्तमान सरकार से छुटकारा पाना चाहता है। उनके सामने कांग्रेस एक बेहतर विकल्प है। आज प्रदेश में बेरोजगारी विकराल रूप ले चुकी है। नौकरियों के रास्ते बंद हो चुके है। जिससे युवा निराश है। सबसे ज्यादा निराशा तो युवाओं को अगिनपथ योजना से मिली है। लेकिन कांग्रेस पार्टी बेरोजगारी दूर करने के लिये एक योजना लायेगी। जिसमें न केवल नौकरियों के अवसर पैदा किये जायेंगे। बल्कि स्व रोजगार के लिये भी अवसर तलाशे जायेंगे।
हिमाचल चुनाव में अग्निपथ योजना को मुद्दा बनाने की कोशिश में कांग्रेस और आप