ओमान में फंसे सौ भारतीय, वतन वापसी के लिए सुषमा स्वराज से मांगी मदद
शिमला। विदेश में जाकर पैसा कमाने की ललक हिमाचल प्रदेश के युवकों को उस समय भारी पड़ गई, जब यह लोग ओमान में अपनी कंपनी की धोखाधड़ी के शिकार हो गये। अब इन युवकों के पास दो वक्त की रोटी खाने को भी पैसे नहीं बचे हैं, जिससे यह लोग परेशान हैं। अब यह लोग वतन वापिसी के लिए भारत सरकार से मदद की गुहार लगा रहे है।
ओमान में फंसे भारतीय
हिमाचल प्रदेश सहित भारत के रहने वाले करीब सौ युवक इन दिनों ओमान में फंसे हैं। दरअसल इनकी नियोक्ता कंपनी इन युवकों पर ज्यादतियां कर रही है। भारत से काम के सिलसिले में ओमान गए युवकों ने बताया है कि उनकी कंपनी पिछले चार महीने से उन्हें वेतन नहीं दे रही है और न ही ड्यूटी पर ज्वाइन करवा रही है। इन युवकों पर कंपनी की तानाशाही इतनी हावी हो चुकी है कि युवकों को कंपनी क्षेत्र से बाहर तक नहीं निकलने दिया जा रहा है। कंपनी द्वारा अधिकृत किए गए लेबर कार्ड भी कामगारों से ले लिए गए हैं।
कोर्ट ने सुनाया था घर भेजने का फैसला
वहां फंसे युवकों को ओमान स्थित भारतीय दूतावास में भी जाने से रोका जा रहा है। बताया जा रहा है कि कंपनी के रवैये के खिलाफ यह भारतीय कामगार पिछले दिनों लेबर कोर्ट में भी गए थे, जिसमें लेबर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए इन कामगारों को दो माह के भीतर घर भेजने के आदेश सुनाए था। लेकिन कोर्ट के आदेश कंपनी ने नहीं माने और फैसले के तीन माह बाद भी भारतीय कामगारों की वतन वापसी सुनिश्चित नहीं की गई। जिस कारण कामगारों को अब खराब स्थिति में जीवन बसर करना पड़ रहा है। वतन वापसी को लेकर कामगार अपने-अपने परिजनों को ओमान से वापस घर लाने के लिए संदेश भेज रहे हैं, ताकि कंपनी के चंगुल से इन्हें आजाद करवाया जा सके।
सुषमा स्वराज से लगाई गुहार
ओमान में फंसे भारतीय युवकों में से एक ऊना के पूबोवाल, जबकि दूसरा युवक कांगड़ा के डाडासीबा का निवासी भी है। यह दोनों क्रेन आपरेटर के तौर पर ओमान में काम करने गए थे, लेकिन अब कंपनी की धोखाधड़ी के चलते दोनों युवकों सहित करीब सौ भारतीय नागरिक भी फंसे हुए हैं। हिमाचली युवकों का कहना है कि उनके फोन में बैलेंस तक नहीं है। अन्य युवकों के फोन से हॉट-स्पॉट लेकर परिजनों से संपर्क किया जा रहा है। अब इन युवकों के परिजन भी परेशान हैं। परिजनों ने इन लोगों की सकुशल भारत वापिस लाने के लिए सांसद अनुराग ठाकुर व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मदद मांगी है।