Assam Elections 2021: असम के रण में बिहार के 3 महारथी, निशाने पर BJP लेकिन राहें अलग, क्या है तैयारी ?
गुवाहाटी। बिहार की राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाली राज्य की तीन प्रमुख पार्टियां असम में हो रहे विधानसभा चुनावों में अपनी किस्मत आजमाने उतरी हैं। इनमें नीतीश कुमार की जेडीयू और उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा अकेले मैदान में है तो बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने कांग्रेस और एआईडीयूएफ की अगुवाई वाले महागठबंधन के साथ चुनाव लड़ने का फैसला किया है। इन दलों की नजर असम में रही हिंदी और भोजपुरी भाषी वोटरों पर ही है लेकिन मुश्किल यह है कि ये सभी अलग-अलग लड़ रहे हैं।
32 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है जेडीयू
बिहार की सत्ताधारी जेडीयू ने असम की 126 सीटों में से 32 सीटों पर अभी तक चुनाव लड़ने का मन बनाया है। इसके लिए जेडीयू के असम प्रभारी गुलाम रसूल बलियावी और बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार गुवाहाटी पहुंच चुके हैं जहां पर वह पार्टी नेताओं से बात करके सीटों को अंतिम रूप देंगे।
सूत्रों के मुताबिक दोनों नेताओं ने 6 मार्च को पार्टी के स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ बैठक भी है। खास बात यह है कि असम में जेडीयू का मुकाबला उसी बीजेपी से होगा जिसके साथ वह बिहार में सरकार चला रही है। असम में जेडीयू के 5 विधायक रह चुके हैं जो चुनाव के पहले भाजपा में शामिल हो गए थे। इसे लेकर भी दोनों दलों में खटास भी पैदा हुई थी और जेडीयू के नेताओं ने इसके लिए बीजेपी की आलोचना भी की थी।
हालांकि अभी तक पार्टी ने प्रत्याशियों के नामों का ऐलान नहीं किया है लेकिन एक नाम जो अभी तक सामने आया है वह पार्टी के असम यूनिट के संयोजक शमसुल आलम का है जो रूपोहीहाट सीट से नामांकन भर सकते हैं। रूपोहीहाट में पहले चरण में चुनाव होना है और यहां पर 9 मार्च नामांकन करने की अंतिम तारीख है।
आरजेडी मांग रही है 12 सीटें
तेजस्वी यादव के नेतृत्व में आरजेडी भी पूरी तैयारी के साथ उतरने का मूड बना चुकी है। पार्टी ने असम में अपने लिए 16 सीटों की सूची कांग्रेस नीत महागठबंधन को सौंपी है। पार्टी की रणनीति मुख्यतः हिंदी और भोजपुरी बोले जाने वाले क्षेत्रों से चुनाव लड़ने की है जहां पर बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के ज्यादा लोग रहते हैं।
हालांकि अभी भी पार्टी के महागठबंधन में चुनाव लड़ने को लेकर स्थिति साफ नहीं है। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक बदरुद्दीन अजमल की एआईडीयूएफ ने आरजेडी को 12 सीट देने पर सहमति जताई है। अभी कांग्रेस की तरफ से आरजेडी की 16 सीटों की मांग पर जवाब आना बाकी है। पार्टी के एक नेता का कहना है कि सम्मानजन सीटें मिलती हैं तो ही पार्टी महागठबंधन का हिस्सा होगी। अन्यथा पार्टी चुनाव में अकेले चुनाव में जाएगी और तब इसकी सीटों की संख्या 20 हो सकती है। हालांकि जानकार कहते हैं कि यह दबाव बनाने की रणनीति हो सकती है।
आरजेडी के सामने मुश्किल
एआईडीयूएफ ने आरजेडी के लिए जिन सीटों पर सहमति जताई है उनमें पहले चरण में शामिल तेजपुर, बरचल्ला, बिस्वनाथ, तिनसुकिया, डूमडूमा और डिब्रूगढ़ सीट हैं जबकि काटीगोरा, रातबरी और सीपाझार दूसरे चरण में शामिल हैं। इसके अलावा तीसरे और अंतिम चरण में बिलासीपारा ईस्ट, चेंगा और गुवाहाटी पश्चिम सीट शामिल है।
इन 12 में 10 सीटें वो हैं जहां पर साल 2016 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जीत दर्ज की थी जबकि दो सीट डुमडुमा और चेंगा पर कांग्रेस जीती थी। आरजेडी के साथ मुश्किल ये भी है कि इनमें से कई सीटों पर कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों का ऐलान भी कर दिया है। ऐसे में आरजेडी के पास इन सीटों पर अपना दावा छोड़ने का ही विकल्प रह जाता है। खासतौर पर उन विधानसभा क्षेत्रों में जहां पर पहले चरण में ही मतदान होना है और 9 मार्च नामांकन की अंतिम तारीख है।
उपेंद्र कुशवाहा का ये है प्लान
उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) ने जेडीयू की तरह ही अकेले मैदान में उतरने का फैसला किया है। रालोसपा ने घोषणा की है कि वह तीन चरणों में 72 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। रालोसपा के असम प्रदेश अध्यक्ष हजरत अली ने शुक्रवार को 13 सीटों की लिस्ट जारी की है जहां पर पार्टी पहले चरण में अपने उम्मीदवार मैदान में उतारेगी। उपेंद्र कुशवाहा चुनाव मैदान में अकेले होंगे ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि बिहार के बाहर उनका क्या असर है।
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