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गुजरात में हार्दिक पटेल क्यों बन गए BJP की मजबूरी ? जानिए

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अहमदबाद, 1 जून: गुजरात प्रदेश कांग्रेस के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल गुरुवार को बीजेपी का कमल थाम सकते हैं। गुजरात प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता यग्नेश दवे इसकी पुष्टि कर चुके हैं। भाजपा में आने से पहले ही हार्दिक पटेल अपनी नई राजनीति का संकेत लगातार दे रहे थे। वह बीजेपी में शामिल हो रहे हैं, उसमें उनकी मुकदमों को लेकर अपनी मजबूरी हो सकती है तो बीजेपी भी इसके लिए तैयार हुई है, तो चुनावी साल में उसकी भी अपनी बाध्यताएं हो सकती हैं। माना जा रहा है कि हार्दिक पटेल को लाकर भारतीय जनता पार्टी प्रभावी पाटीदार समाज में अपनी मौजूदगी और सशक्त करना चाहती है तो साथ ही साथ युवा मतदाताओं को भी इधर-उधर खिसकने से रोकने में उनकी सहायता लेना चाहती है।

हार्दिक पटेल क्यों बन गए भाजपा की मजबूरी ?

हार्दिक पटेल क्यों बन गए भाजपा की मजबूरी ?

28 साल के हार्दिक पटेल को बीजेपी में लाना, पार्टी के लिए बहुत आसान फैसला नहीं लग रहा है। क्योंकि, 2015 के पाटीदार आरक्षण आंदोलन से हार्दिक पटेल ने जो लाइन ली थी और जिस तरह से कांग्रेस के लिए 2017 के विधानसभा चुनाव में बैटिंग की थी, उसे पचा पाना भाजपा जैसी कैडर-आधारित पार्टी के कार्यकर्ताओं के लिए आसान नहीं है। लेकिन, भाजपा अपने परंपरागत वोटर पाटीदारों को एकजुट रखना चाहती है। यह करीब 16 फीसदी मतदाताओं का मजबूत वोट बैंक है, जो आमतौर पर तो भाजपा समर्थक रहा है। लेकिन, हार्दिक पटेल का इस समाज में, खासकर युवाओं में इतनी तगड़ी पैठ है, जिसका बीजेपी को एकबार नुकसान हो चुका है। हार्दिक ने 2017 में पाटीदार-बहुल क्षेत्रों में बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाया था। तब 182 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी सिर्फ 99 सीटें ही जीत सकी थी, जो कि 2012 के मुकाबले 18 सीटें कम थी। इस बार भाजपा वह जोखिम नहीं लेना चाहती, शायद इसलिए हार्दिक को लाना उसकी राजनीतिक मजबूरी मानी जा सकती है।

युवाओं के बीच हार्दिक की लोकप्रियता पर भी नजर

युवाओं के बीच हार्दिक की लोकप्रियता पर भी नजर

गुजरात विधानसभा चुनाव इसी साल के आखिर में होने हैं। सत्ताधारी बीजेपी ने इसबार के लिए 150 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की राजनीतिक प्रतिष्ठा भी इस राज्य से जुड़ी हुई है। उधर आम आदमी पार्टी भी खासकर युवाओं में अपनी पैठ बनाने में लगी हुई है और कहीं-कहीं उसके प्रभाव को नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता। ऐसे में हार्दिक मुख्य रूप से पाटीदार-बहुल क्षेत्रों में बीजेपी के काम आ सकते हैं। जिनका युवाओं में काफी प्रभाव है।

नरेश पटेल को भाजपा में लाने में निभा सकते हैं भूमिका

नरेश पटेल को भाजपा में लाने में निभा सकते हैं भूमिका

लेकिन, बीजेपी को उनसे उम्मीदें कुछ और भी हैं। भाजपा सूत्रों का कहना है कि वह कद्दावर लेउआ पटेल नेता नरेश पटेल को भी भाजपा के साथ लाने में कड़ी का काम कर सकते हैं। नरेश पटेल श्री खोडलधाम ट्रस्ट के चेयरमैन हैं, जो प्रभावशाली लेउआ पाटीदारों का बहुत ही प्रभावशाली संगठन है। जानकारी के मुताबकि पहले चुनावी रणनीति बनाने वाले प्रशांत किशोर उन्हें कांग्रेस में ले जाने की डील करवा रहे थे। लेकिन, बाद में किशोर ने खुद ही कांग्रेस के सामने हाथ जोड़ लिया। आम आदमी पार्टी की ओर से भी नरेश पटेल को लाने की कोशिशों की बात सामने आ चुकी हैं। ऐसे में अगर नरेश पटेल को हार्दिक बीजेपी में लाने में सफल होते हैं तो सौराष्ट्र क्षेत्र में इसकी स्थिति काफी मजबूत हो सकती है। गौरतलब है कि हार्दिक और मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई पटेल दोनों कड़वा पटेल समाज से आते हैं।

हार्दिक की पत्नी किंजल के भी चुनाव लड़ने की अटकलें

हार्दिक की पत्नी किंजल के भी चुनाव लड़ने की अटकलें

हार्दिक पटेल का घर अहमदाबाद जिले के विरामगाम विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है। 2017 के चुनाव में वहां कांग्रेस जीत गई थी। माना जा रहा है कि इस चुनाव बीजेपी यहां से हार्दिक पटेल की पत्नी किंजल को टिकट दे सकती है। दिलचस्प बात ये है कि किंजल और उनके पिता भरत पटेल पहले से ही कट्टर भाजपा समर्थक रहे हैं। बीते दिनों हार्दिक ने एक न्यूज चैनल से कहा था, 'कांग्रेस से इस्तीफा देने के मेरे फैसले से मेरी पत्नी और मेरा परिवार बहुत खुश है।' उन्होंने कहा था कि 'वे वर्षों से बीजेपी की विचारधारा से जुड़े हुए हैं। जब मैनें कांग्रेस ज्वान किया तो मेरी पत्नी के परिवार वालों ने अक्सर मेरे फैसले पर सवाल उठाया। जब मेरे पिता जीवित थे, तो वे भी अक्सर कहा करते थे कि मैं गलत पार्टी में शामिल हो गया हूं। अब मेरे परिवार में सब खुश है।'

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गुजरात में बीजेपी की राह होगी आसान ?

गुजरात में बीजेपी की राह होगी आसान ?

2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अगर भाजपा का कड़ा मुकाबला किया था तो उसके तीन बड़े कारण माने जा सकते हैं। ये कारण थे- हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवानी और अल्पेश टाकोर। ठाकोर ने 2019 में ही कांग्रेस की विधायकी छोड़ दी थी, ताकि बीजेपी में शामिल हो सकें। हालांकि, उपचुनाव में वे पास नहीं हो सके। अब हार्दिक पटेल को भाजपा साथ ले चुकी है। सिर्फ जिग्नेश मेवानी ही बीजेपी विरोध का झंडा बुलंद किए हैं और बहुत ज्यादा संभावना है कि वह अगला चुनाव कांग्रेस के टिकट पर अपनी वडगाम सीट से ही लड़ेंगे। यानी भाजपा ने 2017 वाली तीन बड़ी मुश्किलों में से दो पर जीत हासिल कर ली है।

English summary
Hardik Patel can play the role of a game changer for BJP in Gujarat elections. The party has put a lot of hope from him regarding Patidar and young voters
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