Vanbandhu Kalyan Yojana: गुजरात में आदिवासी समाज की बदल रही तस्वीर और तकदीर
गांधीनगर: 'वनबंधु कल्याण योजना' गुजरात में अंबाजी से उमरगाम तक आदिवासी बेल्ट के समग्र विकास और आर्थिक उत्थान के लिए शुरू की गई एक विस्तृत कल्याणकारी योजना है। इस योजना की शुरुआत गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2007 में की थी। अनुसूचित जनजातियों के आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक और अन्य तरीकों से विकास कर उनके जीवन स्तर को ऊपर उठाने के उद्देश्य से शुरू की गई राज्य सरकार की यह योजना उनके चौतरफा विकास में अत्यंत ही महत्वपूर्ण साबित हुई है।
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वनबंधु
कल्याण
योजना
क्या
है
?
राज्य
में
अनुसूचित
जनजाति
की
आबादी
लगभग
1
करोड़
है,
जो
मुख्य
तौर
पर
दक्षिण
और
उत्तरी
गुजरात
के
15
जिलों
में
रहती
है।
आदिवासी
या
वनबंधु
के
रूप
में
जाना
जाने
वाला
यह
समाज
सामाजिक
और
आर्थिक
रूप
से
पहले
काफी
पिछड़ा
था
और
शैक्षिक
तौर
पर
इनका
पूर्ण
विकास
नहीं
हो
पाया
था।
इस
समाज
को
सामाजिक,
आर्थिक
और
राजनीतिक
रूप
से
ऊपर
उठाकर
मुख्यधारा
में
लाने
और
इन्हें
आर्थिक
रूप
से
आत्मनिर्भर
बनाने
के
लिए
ही
राज्य
सरकार
ने
10
सूत्री
वनबंधु
कल्याण
योजना
की
शुरुआत
की
थी।
राज्य
सरकार
की
ओर
से
वनबंधुओं
के
रोजगार,
शिक्षा,आर्थिक
विकास,
स्वास्थ्य,
बिजली,
आवास,
पानी,
सड़क,
सिंचाई
और
शहरी
विकास
के
लिए
1
लाख
करोड़
रुपये
के
पैकेज
की
घोषणा
की
गई
थी।
'वनबंधु
कल्याण
योजना-2'
2007
से
2021
तक
'वनबंधु
कल्याण
योजना'
की
सफलता
और
सकारात्मक
परिणाम
के
बाद
मुख्यमंत्री
भूपेंद्र
पटेल
की
सरकार
ने
एक
नई
'वनबंधु
कल्याण
योजना-2'
शुरू
की
है।
इसके
लिए
वर्ष
2022
से
2026
तक
के
लिए
अतिरिक्त
1
लाख
करोड़
के
पैकेज
की
घोषणा
की
है।
वलसाड जिले के धर्मपुर निवासी मनीष वसावा ने कहा कि
वनबंधु कल्याण योजना के तहत कई आदिवासी परिवारों को मलिन बस्तियों और अधूरे मकानों की जगह रहने लायक मकान मिले हैं। सामाजिक मुख्यधारा से दूर यह समाज अब बहुत बदल गया है
वनबंधु
समाज
को
मुख्यधारा
में
लाने
के
लिए
सीएम
की
पहल
मुख्यमंत्री
भूपेंद्र
पटेल
वनबंधु
समाज
की
राजनीतिक
और
आर्थिक
भागीदारी
बढ़ाने
का
लगातार
प्रयास
कर
रहे
हैं।
इसके
लिए
उनकी
सरकार
ने
वित्त
वर्ष
2022-23
के
बजट
में
भी
उनके
कल्याण
के
लिए
विशेष
प्रावधान
रखा
है।
इससे
आदिवासी
क्षेत्र
में
जनकल्याण
एवं
नियोजन
के
कार्यों
को
और
अधिक
गति
मिलेगी।
'वनबंधु कल्याण-2' के तहत निकट भविष्य में आदिवासी समाज के लिए 9 लाख रोजगार के अवसर पैदा करने और 2.50 लाख आदिवासी परिवारों को आवास उपलब्ध कराने की योजना है। इसके अलावा, स्वास्थ्य से जुड़ी सेवाओं के लिए 10 सीएचसी और 40 पीएचसी और 250 स्वास्थ्य केंद्र भी स्थापित किए जाने हैं।
बारडोली के सुनील हलपति ने कहा कि
शिक्षा की कमी के कारण रोजगार के अवसर नहीं थे, लेकिन अब स्वरोजगार और कृषि से अच्छी आय के चलते आर्थिक कठिनाई की समस्या दूर हो गई है
दूरदर्शी
योजना
से
आदिवासी
समाज
में
बदलाव
गुजरात
में
कुछ
वर्ष
पहले
तक
आदिवासी
समाज
की
आर्थिक
और
सामाजिक
स्थिति
बहुत
ही
दयनीय
थी।
लेकिन,
दूरदर्शी
विचारों
के
साथ
शुरू
की
गई
वनबंधु
योजना
ने
व्यापक
रूप
से
इस
समुदाय
को
मुख्यधारा
में
लाने
में
बहुत
ही
प्रभावी
भूमिका
निभाई
है।
आदिवासियों
के
आर्थिक
और
सामाजिक
जीवन
स्तर
को
बदलने
और
उनकी
बुनियादी
आवश्यकताओं
को
पूरा
करने
में
विशाल
पैकेज
की
बदौलत
ये
राज्य
सरकार
की
सिरमौर
योजना
साबित
हुई
है।
जाहिर
है
कि
पिछले
वर्षों
में
इसके
नतीजे
देखने
से
लगता
है
कि
भविष्य
में
इसके
और
भी
ज्यादा
दूरगामी
और
लाभकारी
परिणाम
देखने
को
मिलेंगे।(गुजराती
आदिवासी
महिलाओं
की
तस्वीर-प्रतीकात्मक)