'सांसद विधायक साहब मैं गरीब किसान हूं, BJP को परिवार माना, फिर भी कोई काम न आया', दे दी जान
अहमदाबाद। केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों के विरोध-प्रदर्शन को डेढ माह हो चला है। अब तक 40 से ज्यादा किसानों की जान जा चुकी है। इधर, गुजरात में भी एक किसान ने जान दे दी है। घटना महीसागर जिले के वांदरवेड गांव की है, जहां बलवंत सिंह चारण नाम के एक किसान ने आत्महत्या कर ली। पंचायत में फांसी लगाने से पहले बलवंत ने लुणावाडा के भाजपा सांसद और विधायक के नाम एक चिट्ठी छोड़ी। जिसमें उन्होंने लिखा कि 'मैं भाजपा को अपना परिवार मानता था, लेकिन कोई मेरे काम नहीं आया।'

घटनास्थल से मिले सुसाइड नोट से पता चलता है कि बलवंत चारण की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी। बलवंत को किसी तरह की सरकारी सहायता नही मिल पा रही थी। ऐसे में उन्होंने मरने की ठानी। सुसाइड नोट में लिखा हुआ है कि, 'मैं तहसील प्रमुख बना था, तबसे भाजपा को अपना परिवार मानता आया। मैंने उस पद पर पूरी लगन और ईमानदारी से काम किया। इसके बाद फिर हालात बदले और कोई भी मेरे काम नहीं आया।'
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बलवंत ने नोट में लिखा- 'मरने के बाद मेरी आत्मा भी भाजपा के साथ रहेगी' उन्होंने लिखा- ''भारत माता की जय, भाजपा की जय-जयकार।' सांसद और विधायक के नाम सुसाइड नोट में लिखा, ''संसद सदस्य रतन सिंह राठौड़ साहब और विधायक जिज्ञेशभाई सेवक साहब। आप गरीबों की मदद कर सकें, इसीलिए भगवान ने आपको इतनी बड़ी पदवी तक पहुंचाया है। मैं गरीब इंसान हूं। कई साल से भाजपा से जुड़ा हुआ हूं। आपको कुछ करना चाहिए था।'