गुजरात और महाराष्ट्र में गिरे भारी गोले कहीं चीनी रॉकेट के तो नहीं? दो महीने में दो बार आकाश से आया मलबा
दिल्ली, 17 मई। पश्चिमी भारत में पिछले दो महीने में दूसरी बार आसमान से धातु के गोले और मलबे गिरे। अप्रैल में महाराष्ट्र के बाद अब गुजरात के तीन गांवों में 12 मई की शाम को रहस्यमयी गोले गिरे। 15 किलोमीटर के दायरे में गोलों के साथ धातु के टुकड़े भी गिरे। इसकी चपेट में आकर एक बेजुबान भेड़ की जान जाने की पुष्टि हुई है। अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि आखिर ये धातु के गोले और टुकड़े कहां से आए? अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो (ISRO) की टीम आकर धातु के सैंपल ले गई है लेकिन अभी तक इन गोलों के बारे में कोई जानकारी नहीं है। इस बारे में सोशल मीडिया में एक ऐसी जानकारी चर्चा में है जिसे सुनकर आप हैरान हो सकते हैं। एक खगोलविद ने यह दावा किया है कि गुजरात के गांवों में गिरे धातु के गोले और टुकड़े चीन के रॉकेट के पार्ट्स हो सकते हैं। खगोलविद ने यह दावा किस आधार पर किया है, इस पर आगे बात करेंगे।
'उसी दिन चीन का रॉकेट वायुमंडल में फिर से आया था'
अंतरिक्ष पर नजर रखने वाले खगोलविद जोनाथन मैकडॉवेल हार्वार्ड-स्मिथ्सोनियन सेंटर ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स से जुड़े हैं। उन्होंने 12 मई को ही ट्विटर पर यह दावा किया था कि यह चीन के रॉकेट लॉन्ग मार्च CZ-3C का मलबा हो सकता है जो उस दिन धरती के वायुमंडल में फिर से प्रवेश किया था। इस रॉकेट को चीन ने सितंबर 2021 में दूरसंचार उपग्रह ZX-9B को धरती की कक्षा में स्थापित करने के लिए लॉन्च किया था। लेकिन सवाल यह उठता है कि जोनाथन मैकडॉवेल किस आधार पर यह बात इतने यकीन के साथ कह रहे हैं? इसका जवाब भी उन्होंने स्पेसन्यूज वेबसाइट को ईमेल पर दिया।
'उस दिन गुजरात के ऊपर से गुजरा था रॉकेट'
खगोलविद जोनाथन मैकडॉवेल ने कहा कि चीनी रॉकेट का जो प्रक्षेपण पथ था वह 12 मई को गुजरात के ऊपर से गुजर रहा था। इसलिए यह अनुमान है कि गुजरात में गिरा मलबा इसी रॉकेट का था। और उस दिन चीनी रॉकेट ही धरती के वायुमंडल में आया था, उसके अलावा कोई और उतनी बड़ी चीज धरती की तरफ नहीं आई थी। जोनाथन ने कहा कि इसी वजह से उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला कि गुजरात में गिरा मलबा चीनी रॉकेट का ही होगा। कहा कि 100 प्रतिशत यकीन से तो इस बारे में नहीं कहा जा सकता लेकिन मैं बहुत हद इसको लेकर आश्वस्त हूं।
अप्रैल में भी महाराष्ट्र में गिरा था मलबा
अप्रैल के पहले सप्ताह में गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के कुछ इलाकों में रात में आसमान में चमकीली चीज दिखी थी। महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में बड़ा सा धातु का छल्ला भी गिरा था। उस समय भी विशेषज्ञों और इसरो के अधिकारियों ने आशंका जाहिर की थी कि यह चीनी रॉकेट लॉन्ग मार्च CZ-3B का मलबा हो सकता है। इलाके के एक गांव में करीब 10 किलो का धातु का गोला भी मिला था जो सूखे तालाब में गिर गया था।
गोलों के बारे में इसरो के अधिकारियों ने क्या कहा?
एबीपी न्यूज से बात करते हुए रिटायर्ड साइंटिस्ट बीएस भाटिया ने कहा कि गुजरात में जिस तरह के गोले गिरे हैं वे रॉकेट या सैटेलाइट में उपयोग किए जाने वाले हाइड्राजिन ईंधन टैंक हो सकते हैं। कहा कि रॉकेट में ऐसा सिस्टम होता है कि ईंधन खपत हो जाने पर ये टैंक धरती पर गिर जाते हैं। इन गोलों के बारे में गुजरात के पुलिस अधिकारी ने भी कहा है कि ये गोले उच्च घनत्व वाले मेटल से बने लग रहे हैं जिनका उपयोग रॉकेट में किया जाता है। फिलहाल, इसरो के वैज्ञानिक इन गोलों की जांच में लगे हैं और अभी तक यह पुष्टि नहीं है कि यह चीनी रॉकेट का ही मलबा है।