बिजली बिना चलने वाला फ्रिज: कौन हैं 10वीं फेल मनसुख, जिन्होंने बनाया इको फ्रेंडली मिट्टी-कूल?
अहमदाबाद। बचपन में चाय बेचने वाले समाज में बड़े आइडियल भी बन जाते हैं, यह बात कई हस्तियों का नाम लेकर पूरी हो जाती है। अब गुजरात के रहने वाले मनसुखभाई की ही बात की जाए तो वो ऐसे शख्स हैं जो गरीबी से उठकर, आज करोड़ों का कारोबार कर रहे हैं और उनके द्वारा तैयार किए जा रहे प्रॉडक्ट्स की दुनियाभर में चर्चा हो रही है। दिलचस्प है कि मनसुखभाई 10वीं पास भी नहीं हैं। 10वीं फेल होने के बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई नहीं की। आज उनका ईको-फ्रेंडली फ्रिज देखकर लोगों को ताज्जुब होता है।
'गरीबों' का फ्रिज बनाने वाले भाई
मनसुखभाई ने गर्मियों से खाद्य पदार्थों को बचाने के लिए ऐसा फ्रिज ईजाद किया है जिसके लिए बिजली की जरूरत नहीं पड़ती। हां जी, उनका मिट्टी का फ्रिज पूरी तरह से इको-फ्रेंडली है। उसमें दूध-पानी, सब्जी, फल इत्यादि कई दिनों तक ताजा रहते हैं। उसके दाम काफी कम भी हैं, इसलिए उनके फ्रिज को गरीबों का फ्रिज कहा जा रहा है। दिखने में भी यह अच्छा लग रहा है और लोगों द्वारा इसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही हैं।
राजकोट से हैं मनसुखभाई राघवजीभाई प्रजापति
मनसुख के करीबियों के मुताबिक, मनसुख आज मिट्टी के तरह-तरह के बर्तनों को बनाकर वह ईको-फ्रेंडली के एक वाहक बन गए हैं। अब उनके उत्पादों की वैल्यू करोड़ों की हो गई है, जबकि उनका बचपन गरीबी में चाय बेचते बीता। चूंकि वो कुम्हार समुदाय से आते हैं। इसलिए उनके परिजन बर्तन ही बनाते थे। मां सुबह 4 बजे उठ कर मिट्टी लाने के लिए जाती थी। अन्य परिजन मिट्टी का बर्तन बनाते थे, उन्हें बेचते थे। काफी मेहनत के बावजूद हिसाब से कमाई नहीं हो पाती थी।
10वीं में फेल हो गए थे आगे पढ़ाई नहीं की
मनसुख के माता-पिता चाहते थे कि बेटा पढ़-लिखकर समाज की बेड़ियों को तोड़े, बड़ा नाम करे। किंतु उस समय की जटिल परिस्थितियों के कारण मनसुख का पढ़ाई में मन नहीं लगा। वे 10वीं क्लास में फेल हो गए और फिर उसके बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई भी नहीं की। जब वह युवा हुए तो कबेलू यानी खपरैल बनाने वाली फैक्ट्री में काम करने लगे। जहां उन्हें 300 रुपए मिलते थे। उसके बाद उन्होंने कुछ अपना करने की ठानी। इसके लिए उन्होंने एक सेठ से 50 हजार रुपए का कर्ज मांगा। परिजनों ने मना किया। उसके बाद 30 हजार रुपए कर्ज लेकर मनसुख ने अपना व्यवसाय शुरू किया। सबसे पहले उन्होंने मिट्टी का तवा बनाने वाली मशीन बनाई। इससे प्रदूषण भी नहीं होता था। 2 साल की मेहनत के बाद साल 1990 में उन्हें एक और सफलता मिली।
तवा बनाने वाली मशीन, आकर्षक डिजाइन वाले बर्तन बनाए
तवे-बर्तन बनाने वाली फैक्ट्री स्थापित करने के बाद मनसुख ने मिट्टी का वाटर प्यूरीफायर भी बना दिया। हालांकि, 2001 में गुजरात में भूकंप तो उन्हें बड़ी क्षति हुई। बावजूद इसके वह लगातार अपने व्यवसाय में जुटे रहे। कुछ सालों बाद उन्हें बिजली के बिना चलने वाला फ्रिज बनाने का आइडिया आया। जो कि, उन्होंने बनाया। अब उनके मिट्टीकूल फ्रिज की मांग देश के अलावा विदेशों में भी है। फ्रिज का सबसे छोटा साइज 3 हजार रुपए में उपलब्ध है।
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PM मोदी और Dr कलाम के हाथों सम्मानित
मनसुख अब तक 250 से ज्यादा प्रॉडक्ट कर चुके हैं, और उनका व्यवसाय काफी बढ़ गया है। उनके अनोखे इनोवेशन के लिए दुनियाभर में उन्हें कई अवॉर्ड दिए जा चुके हैं। उन्हें फ्रांस व यूरोप के अन्य देशों से भी आए लोगों ने सम्मानित किया। मनसुख को भारत के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम, प्रतिभा पाटिल और प्रणब मुखर्जी से भी कई नेशनल अवॉर्ड मिल चुके हैं। उन्हें गुजरात के 'गौरव' से भी सम्मानित किया गया है।