मानव गरिमा योजना: गुजरात में स्वरोजगार से दूर हो रही है बेरोजगारी
गांधीनगर: गरीबों के समग्र आर्थिक कल्याण के लिए सरकार की विभिन्न योजनाएं चल रही हैं। इन योजनाओं के माध्यम से देश में गरीबी और बेरोजगारी को काफी हद तक नियंत्रित करने का प्रयास किया गया है। इन्हीं कल्याणकारी योजनाओं में से एक है 'मानव गरिमा योजना'। गुजरात सरकार की ओर से सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए यह योजना चलाई जा रही है। इसके माध्यम से उन्हें छोटे व्यवसायों में कुशल बनाने और स्वरोजगार शुरू करने के उपाय किए जा रहे हैं। इस योजना की बदौलत कई बेरोजगारों को सरकारी की ओर से वित्तीय सहायता और संसाधन प्राप्त हुए हैं। इसके जरिए कई अकुशल लोगों को भी अपना व्यवसाय स्थापित करने के लिए उपकरण उपलब्ध करवाए गए हैं।
'मानव
गरिमा
योजना'
के
लिए
76
करोड़
रुपये
की
रकम
'मानव
गरिमा
योजना'
1996
में
शुरू
की
गई
थी।
लेकिन,
2022
में
इस
योजना
का
दायरा
बढ़ाया
गया
है।
इस
योजना
के
माध्यम
से
आर्थिक
कठिनाइयों
की
वजह
से
किसी
व्यवसाय
को
शुरू
करने
में
असमर्थ
परिवारों
को
बड़ी
राहत
मिली
है
और
उन्हें
स्वरोजगार
का
अवसर
प्राप्त
हुआ
है।
राज्य
के
मुख्यमंत्री
भूपेंद्र
पटेल
प्रदेश
में
गरीब
परिवारों
को
आर्थिक
रूप
से
आत्मनिर्भर
बनाने
के
लिए
जन-कल्याणकारी
योजनाओं
को
बढ़ावा
देने
में
लगे
हुए
हैं।
इस
वर्ष
'मानव
गरिमा
योजना'
का
उद्देश्य
19
हजार
से
अधिक
लोगों
को
76
करोड़
रुपये
की
वित्तीय
सहायता
उपलब्ध
करवाना
है।
हाल
ही
में
'वंदे
गुजरात
विकास
यात्रा'
के
दौरान
कई
लाभार्थियों
को
इस
योजना
के
तहत
सामग्री
सहायता
उपलब्ध
कराई
गई
है।
बनासकांठा के सागर परमार ने कहा कि
हम कड़िया का काम करके अपनी आजीविका कमाते हैं। हमारे लिए बिना पूंजी के व्यवसाय करना आसान हो गया है, क्योंकि 'मानव गरिमा योजना' द्वारा कड़िया काम के सभी उपकरण हमें पूरी तरह से मुफ्त दिए जाते हैं
28
व्यवसायों
की
किया
गया
है
शामिल
'मानव
गरिमा
योजना'
के
तहत
राज्य
सरकार
उपकरण
प्रदान
करती
है।
इसमें
28
विभिन्न
व्यवसायों
को
शामिल
किया
गया
है।
इसके
लिए
गुजरात
सरकार
की
esamajkalyan
वेबसाइट
पर
आवश्यक
दस्तावेजों
के
साथ
पंजीकरण
करना
होता।
आत्मनिर्भर
का
मौका
दे
रही
है
सरकार
यह
योजना
उन
गरीब
और
पिछड़े
वर्ग
के
लोगों
के
लिए
बहुत
कारगर
साबित
हो
रही,
जो
पूंजी
के
अभाव
में
छोटे-मोटे
रोजगार
भी
नहीं
शुरू
कर
पाते।
इस
योजना
के
माध्यम
से
कड़िया,
मोची,
बढ़ई
और
लोहार
जैसे
स्वरोजगार
वाले
व्यवसायों
को
शुरू
करने
के
इच्छुक
लोगों
को
सहायता
दी
जा
रही
है।
इस
योजना
के
माध्यम
से
लोग
छोटे
और
कुटीर
उद्योग
से
जुड़े
रोजगार
के
माध्यम
से
आत्मनिर्भर
बन
रहे
हैं।
एक
लाख
से
अधिक
लाभार्थियों
को
मिली
वित्तीय
सहायता
गांधीनगर
जिले
के
विष्णु
चौहान
ने
भी
बिना
पूंजी
के
एक
व्यवसाय
की
शुरुआत
की।
आत्मनिर्भर
बनने
के
लिए
उन्होंने
बिजली
के
उपकरणों
का
एक
स्वतंत्र
व्यवसाय
शुरू
किया।
आज
वह
इसके
माध्यम
से
अपने
परिवार
का
आसानी
से
भरण-पोषण
कर
रहे
हैं।
पिछले
पांच
वर्षों
में
गुजरात
सरकार
ने
इस
योजना
के
माध्यम
से
लगभग
1.10
लाख
लाभार्थियों
को
वित्तीय
सहायता
उपलब्ध
करवाई
है।
(तस्वीर-
सांकेतिक)