पहली भारतीय बुलेट ट्रेन: जापान के साथ NHSRCL का MoU, 1 हजार लोगों को मिलेगी अब ये खास ट्रेनिंग
सूरत। भारत की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना का काम जारी है। नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) ने इस परियोजना के लिए अब जापान रेलवे टेक्निकल सर्विस (जेएआरटीएस) के साथ एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। जिसके तहत जापानी कंपनी देश के मजदूरों को बुलेट ट्रेन के स्लैब ट्रैक बनाने हेतु तकनीक की ट्रेनिंग देगी। गुजरात के सूरत शहर में भी ऐसे मजदूरों को प्रशिक्षण की तैयारी चल रही है। कुल 1 हजार से ज्यादा लोगों को इसके लिए ट्रेनिंग दी जाएगी। हालांकि, कोरोना महामारी के चलते पहले प्रमुख लोग शामिल होंगे। एनएचएसआरसीएल के एक अधिकारी ने बताया कि, मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के ट्रैक के निर्माण हेतु प्रशिक्षण एवं प्रमाणन और सलाहकार सेवाओं के लिए जेएआरटीएस के साथ सोमवार को एमओयू हुआ।
जापान में ऑनसाइट ट्रेनिंग भी हो सकती है
अधिकारी के मुताबिक, कोरोना महामारी के प्रकोप को देखते हुए कुछ इंजीनियरों को जापान में ऑनसाइट प्रशिक्षण देने की योजना भी बनाई जा सकती है। यह पहल ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी में मदद करेगी। साथ ही भारतीय ट्रैक इंजीनियरों के कौशल को भी बढ़ाएगी। एमओयू के अनुसार जेएआरटीएस प्रशिक्षण एवं प्रमाणन (टी एंड सी) सेवाएं (कार्य की शुरुआत से पहले) और सलाहकार सेवाएं प्रदान करेगा। एनएचएसआरसीएल ने इससे पहले भी एक एमओयू साइन किया था, वो भी जापान रेलवे ट्रैक कंसल्टेंट कंपनी लिमिटेड (जेआरटीसी) के साथ हुआ था। उस एमओयू के तहत जेआरटीसी हाई स्पीड ट्रैक, ट्रैक स्लैब व्यवस्था और सीडब्ल्यूआर आदि की विस्तृत डिजाइन और ड्राइंग बनाएगी। अधिकारी ने कहा कि, यह करार परियोजना के टी-2 पैकेज (वडोदरा-सूरत-वापी के बीच 237 किमी) के लिए हाई स्पीड रेल ट्रैक के डिजाइन के लिए किया गया।
मेक इन इंडिया को भी बढ़ावा मिलेगा
नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन (एनएचएसआरसीएल) के प्रबंध निदेशक अचल खरे ने जानकारी देते हुए कहा कि, यह एमओयू मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। वहीं, भारत में जापान के दूतावास के मंत्री शिंजो मियामोटो बोले, "इससे भारत और जापान के संबंधों में मजबूती आएगी। मेक इन इंडिया पहल को भी बढ़ावा मिलेगा।"
देश की पहली बुलेट ट्रेन: ऐसे बनेगा हाईस्पीड रेल ट्रैक
मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के लिए के लिए बनने वाले 28 स्टील ब्रिज (सुपर स्ट्रक्चर) के निर्माण और खरीद का ठेका भी एनएचएसआरसीएल की ओर से कुछ महीनों पहले दिया गया था। वो ठेका लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) और आईएचआई इंफ्रास्ट्रक्चर सिस्टम्स के ज्वाॅइंट कंसोर्टियम को दिया गया। जिसमें एक कंपनी भारतीय है, जबकि दूसरी जापानी। दोनों को यह 1390 करोड़ रुपए का ठेका नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) ने ही दिया।
बनेंगे 28 ब्रिज, 70000 मीट्रिक टन स्टील लगेगा
एनएचएसआरसीएल की ओर से बताया गया कि, 28 ब्रिजों के निर्माण में लगभग 70,000 मीट्रिक टन स्टील लगेगा। 28 ब्रिजों के निर्माण वाले करार से पहले बुलेट ट्रेन का वडोदरा-सूरत-वापी रूट के निर्माण-कार्य का ठेका भी लार्सन एंड टुब्रो (L&T) को दिया गया था। जो कि देश का अब तक का सबसे बड़ा सिंगल आर्डर (अनुबंध) माना जा रहा है। लार्सन एंड टुब्रो ने 24000 करोड़ का यह आर्डर मिलने के बाद कहा कि, हमने बुलेट ट्रेन के 46% हिस्से का काम 4 साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा है। इसी साल के अंत तक काम शुरू किया जा सकता है। जिसमें उसके द्वारा वडोदरा से वापी रूट पर एलिवेटेड पुल, स्टेशन, रिवर ब्रिज और डिपो तैयार किए जाने हैं।
4 साल में काम पूरा करने का लक्ष्य
नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन (एनएचएसआरसीएल) ने रूट के निर्माण-कार्य को लेकर बीते 19 अक्टूबर को फाइनेंशियल बिड खोली थी। जिसमें लार्सन एंड टुब्रो ने सबसे कम खर्च की बोली लगाई थी। इस फाइनेंशियल बिड में 3 बड़ी इंफ्रा कंपनियां शामिल हुई थीं। 10 दिन तक चली मूल्यांकन प्रक्रिया के बाद यह ठेका लार्सन एंड टुब्रो ने प्राप्त कर लिया। जिसके बारे में बताते हुए मुख्य कार्यकारी अधिकारी व प्रबंध निदेशक एसएन सुब्रमणियम ने कहा कि, सरकार की ओर से अब तक सबसे प्रतिष्ठित अनुबंध हमें हासिल हुआ है। हम अगले 4 वर्षों में अपना काम पूरा करेंगे।' उन्होंने बताया कि, इस समयावधि में बुलेट ट्रेन के 237 किमी हिस्से का निर्माण किया जाएगा।
508
किमी
का
है
हाई
स्पीड
रेल
का
पूरा
प्रोजेक्ट
मुंबई
से
अहमदाबाद
के
बीच
चलने
वाली
देश
की
पहली
सेमी-हाई
स्पीड
बुलेट
ट्रेन
का
कुल
रूट
508
किमी
लंबा
है।
इस
508
किमी
के
हाई
स्पीड
रेल
कॉरिडोर
का
155
किमी
रूट
महाराष्ट्र
में,
4.3
किमी
रूट
यूनियन
टेरेटरी
दादरा
नगर
हवेली
में
और
348
किमी
हिस्सा
गुजरात
में
है।
अधिकारियों
के
मुताबिक,
पैकेज
सी
4
यानी
वडोदरा-सूरत-वापी
तक
परियोजना
का
46.66%
हिस्सा
है।
इसी
हिस्से
का
काम
अब
लार्सन
एंड
टुब्रो
(L&T)
पूरा
करेगी।
उसके
द्वारा
यहां
एलिवेटेड
मार्ग,
नदियों
पर
ब्रिज,
सूरत
डिपो
एवं
अन्य
इंजीनियरिंग
कार्य
भी
होंगे।
कितने
स्टेशन
बनेंगे
पहली
बुलेट
ट्रेन
के?
एनएचएसआरसी
के
इस
प्रोजेक्ट
में
कुल
12
स्टेशन
बनेंगे।
एनएचआरसीएल
के
मैनेजिंग
डायरेक्टर
अचल
खरे
के
मुताबिक,
रूट
पर
देश
की
पहली
हाईस्पीड
ट्रेन
2023
के
अंत
तक
दौड़
सकती
है।
इस
हाई
स्पीड
रेल
की
रफ्तार
320
किमी
प्रति
घंटा
होगी।
यानी
यह
ट्रेन
अहमदाबाद
से
मुंबई
की
दूरी
2
घंटे
में
तय
कर
सकती
है।
तेज
स्पीड
के
चलते
एक
ट्रेन
सीमित
स्टेशनों
पर
ही
रुकेगी।
वहीं,
स्लो
बुलेट
ट्रेन
यह
दूरी
3
घंटे
में
तय
करेगी
और
सभी
12
स्टेशनों
पर
ठहरेगी।
कितना
किराया
हो
सकता
है
ट्रेन
का?
मुंबई-अहमदाबाद
के
508
किमी
लंबे
मार्ग
पर
दौड़ने
वाली
बुलेट
ट्रेन
के
किराए
की
बात
अभी
स्पष्ट
नहीं
हुई।
हालांकि,
नेशनल
हाई
स्पीड
रेल
कॉर्पोरेशन
लिमिटेड
(एनएचएसआरसीएल)
के
एक
अधिकारी
ने
कहा
था
कि,
इसमें
सफर
करने
के
लिए
करीब
3000
रुपये
चुकाने
होंगे।
महज
2:07
घंटे
में
इसके
जरिए
508
किमी
की
दूरी
तय
की
जा
सकेगी।
यानी
ट्रेन
की
रफ्तार
लगभग
320
किमी
प्रति
घंटे
होगी।
प्रोजेक्ट
से
25,000
लोगों
को
रोजगार
का
दावा
नेशनल
हाई
स्पीड
रेल
कॉर्पोरेशन
लिमिटेड
(एनएचएसआरसीएल)
के
मैनेजिंग
डायरेक्टर
अचल
खरे
ने
पिछले
साल
बुलेट
ट्रेन
प्रोजेक्ट
में
आ
रही
अड़चनों
का
जिक्र
किया
था।
जिसमें
लोगों
को
रोजगार
मुहैया
कराने
का
वादा
करते
हुए
खरे
ने
यह
भी
कहा
कि
बुलेट
ट्रेन
परियोजना
के
तहत
25,000
लोगों
को
रोजगार
दिया
जाएगा।
यह
बिलियन
डॉलर्स
का
प्रोजेक्ट
है
तो
इसमें
कर्मचारियों
की
संख्या
भी
काफी
ज्यादा
होगी।
24
हजार
करोड़
रुपए
बड़ी
राशि
का
अनुबंध
तो
अकेले
एलएंडटी
के
साथ
हुआ
है।