इस नए ZOO में देख पाएंगे आप 1 हजार मगरमच्छ, जानिए कहां और कौन बनवा रहा इसे ?
जामनगर। गुजरात में जंगली-जलीय जीवों के लिए कई संरक्षित इलाके हैं। अब यहां दुनिया का सबसे बड़ा चिडि़याघर भी तैयार किया जा रहा है। इस चिडियाघर को भारत के सबसे बड़े बिजनेसमैन मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज बनवा रही है। प्रोजेक्ट की देख-रेख अंबानी के बेटे ही कर रहे हैं। यह ऐसा चिड़ियाघर बताया जा रहा है, जहां पर सबसे ज्यादा प्रकार के पशु-पक्षी नजर आएंगे। यहां 1 हजार मगरमच्छ पाले जा सकेंगे। हां जी, देश में ऐसा कोई और चिडि़याघर नहीं है।
यहां दिख सकेंगे 1000 मगरमच्छ !
वैसे यह चिडियाघर अब विवादों में है। दरअसल, केंद्र सरकार द्वारा इस चिडि़याघर के प्रोजेक्ट को नियमानुसार 'मिनी जू' के तौर पर मंजूरी दी गई थी, लेकिन रिलायंस इंडस्ट्रीज ने इसे दुनिया का सबसे बड़ा चिड़ियाघर बनाने का काम शुरू कर दिया। जिस पर कई संस्थाओं को आपत्ति है। एक संस्था अदालत पहुंच गई है। जिसने गुजरात के जामनगर में बन रहे इस चिड़ियाघर प्रोजेक्ट के खिलाफ गुजरात उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की। हालांकि, अब एक राहत की खबर यह है कि, मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु और केंद्र सरकार को ममल्लापुरम में मद्रास क्रोकोडाइल बैंक ट्रस्ट से गुजरात के ग्रीन्स जूलॉजिकल, रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर में एक हजार मगरमच्छों को ले जाने की अनुमति दे दी है। बता दें कि, जिन 1 हजार मगरमच्छों के बारे में चर्चा हो रही है, उनका मामला मद्रास हाईकोर्ट में पहुंच गया है।
'पहले 56 मगरमच्छों के लिए था स्पेस'
गुजरात के जामनगर में स्थित ग्रीन्स जूलॉजिकल, रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर के खिलाफ हलार उत्कर्ष समिति ट्रस्ट द्वारा अदालत में जनहित याचिका दायर की गई थी। उस याचिका में कोर्ट के समक्ष कहा गया है कि सेंट्रल जू अथॉरिटी द्वारा ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर को दी गई मंजूरी वापस ली जाए। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि, ग्रीन्स जूलॉजिकल, रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर, जाम नगर को 7,300 वर्ग फुट में चिड़ियाघर संचालित करने की अनुमति मिली थी और वहां सिर्फ 56 मगरमच्छ ही रह सकते थे। मगर, अब वहां पर 1 हजार मगरमच्छों जितना स्पेस है।
मामला अदालत में भी पहुंच गया
मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने चेन्नई के चिंदात्रिपेट के एक पूर्व सैनिक ए विश्वनाथन द्वारा दायर रिट याचिका को खारिज करते हुए एक निर्देश पारित किया। जिसके बाद, चिडियाघर परियोजना वाला पक्ष राहत में है। वहीं, उनके खिलाफ एक याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा था कि, चिड़ियाघर को संचालित करने के लिए निजी केंद्र को अनुमति देना वैध नहीं है,क्योंकि वन्य जीवन (संरक्षण) (संशोधन) अधिनियम, 1991 और वहां बने चिड़ियाघर की मान्यता नियम 2009 में निजी चिड़ियाघर के संचालन का प्रावधान नहीं है।
परियोजना से जुड़े पक्ष को आखिरकार राहत
चिड़ियाघर परियोजना के खिलाफ याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि, चूंकि रिलायंस इंडस्ट्रीज एक निजी केंद्र है। और, सरकार की मंजूरी का गलत तरीके से फायदा उठाया गया है, इसलिए परियोजना को रुकवाया जाए। हालांकि, प्रतिवादियों ने याचिकाकर्ता की दलीलों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उनके पास 1,000 मगरमच्छों को रखने के लिए पर्याप्त जगह है। परियोजना से जुड़े पक्ष ने चिड़ियाघर की तस्वीरें प्रस्तुत करते हुए यह दावा किया था कि 1,000 मगरमच्छों को उनके परिसर में आसानी से रखा जा सकता है।