गुजरात: 48 घंटे बाद पहले चरण की 89 सीटों पर चुनाव, भाजपा के सामने 48 सीटों को बचाने की चुनौती
गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 के तहत एक दिसंबर को पहले चरण का मतदान होगा। पहले चरण में 19 जिलों की 89 सीटों में से भाजपा के सामने 48 सीटों को बचाने की चुनौती होगी।
Gujarat Elections 2022: गुजरात में पहले चरण के चुनाव का प्रचार मंगलवार की शाम थम गया। गुजरात के कुल 33 जिलों में से 19 जिलों की 89 सीटों पर 1 दिसम्बर को मतदान होगा। अगर क्षेत्रवार बात करें तो यह चुनाव कच्छ-सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात में होना है। प्रत्याशी अब डोर टू डोर ही कैम्पेन करेंगे।
भाजपा और कांग्रेस ने सभी 89 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। आम आदमी पार्टी 88 सीटों पर, बहुजन समाज पार्टी 57 सीटों पर, एआइएमआइएम ने 6 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। कुल 788 उम्मीदवार मैदान में हैं जिनमें सबसे अधिक निर्दलीय (339) हैं। सौराष्ट्र और कच्छ में 54 और दक्षिण गुजरात में 35 सीटें आती हैं।
2017 के चुनाव में भाजपा को कच्छ- सौराष्ट्र की 54 सीटों में से 23 पर जीत मिली थी। जब कि कांग्रेस को 54 में 30 सीटें मिलीं थीं। एक सीट पर अन्य को जीत मिली थी। दक्षिण गुजरात में भाजपा ने पिछले चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया था। इस क्षेत्र की 35 सीटों में से 25 भाजपा के खाते में आयी थीं। कांग्रेस को 8 और 2 सीट अन्य को मिली थी। यानी अगर कांग्रेस सौराष्ट्र-कच्छ में मजबूत थी तो भाजपा दक्षिण गुजरात में। अब 2022 में आम आदमी पार्टी के चुनाव लड़ने से कई सीटों के समीकर बदल गये हैं।
राजकोट पश्चिम सीट- नरेन्द्र मोदी पहली बार विधायक बने थे
पहले चरण के चुनाव में राजकोट पश्चिम सीट सबसे प्रमुख है। यह एक मात्र ऐसी सीट हैं जिसने राज्य को दो मुख्यमंत्री दिये हैं। नरेन्द्र मोदी जब 2001 में पहली बार मुख्यमंत्री बने थे तब वे विधायक नहीं थे। उन्होंने राजकोट पश्चिम (तब राजकोट द्वितीय) से ही अपने जीवन का पहला चुनाव लड़ा था। यहां के विधायक वजु भाईवाला ने उनके लिए यह सीट खाली कर दी थी। इस उपचुनाव में नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस के अश्विनी भाई मेहता को करीब 15 हजार वोटों से हराया था। राजकोट द्वितीय से पहली बार विधायक बनने के बाद नरेन्द्र मोदी ने मनिनगर सीट से लगातार तीन चुनाव जीता था। इसके बाद 2017 में विजय रुपाणी ने राजकोट पश्चिम सीट से चुनाव जीता था। वे भी मुख्यमंत्री बने। 2022 में उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा कर दी थी। इसलिए इस सीट पर भाजपा ने डॉ. दर्शिता पारस शाह को उम्मीदवार बनाया है। वे राजकोट की डिप्टी मेयर हैं। कांग्रेस के मनसुख कलारिया और आप के दिनेश जोशी उन्हें चुनौती दे रहे हैं।
मोरबी विधानसभा सीट
मोरबी जिले की तीन विधानसभा सीटों पर भी पहले चरण में 1 दिसम्बर को चुनाव होगा। पुल हादसा के कारण मोरबी पूरे देश में चर्चित है। इसलिए यहां के चुनाव पर सबकी नजर टिकी हुई है। मोरबी हादसे के बाद भाजपा सरकार सवालों के घेरे में आ गयी थी। 2017 में मोरबी से कांग्रेस के बृजेश मेरजा चुनाव जीते थे । बाद में वे भाजपा में आ गये। मंत्री भी बने। लेकिन लेकिन हादसे में 135 लोगों की मौत से पूरा परिदृश्य ही बदल गया। जब हादसा हुआ था उस समय भाजपा के पूर्व विधायक कांतिलाल अमृतिया माचू नदी में कूद कर लोगों को बचाने के लिए जुट गये थे। लोग भाजपा से नाराज थे लेकिन कांतिलाल की इस कोशिश की बहुत सरहना हुई। तब भाजपा ने कांतिलाल अमृतिया को ही मोरबी विधानसभा सीट से उम्मीदवार बना दिया। बृजेश मेरजा का टिकट काट दिया गया। कांग्रेस ने यहां से जयंतीलाल जरेजभाई पटेल को उम्मीदवार बनाया है। मोरबी पटेल (पाटीदार) बहुल चुनाव क्षेत्र है। इसलिए कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार इसी समुदाय से दिया है। आप ने यहां से पंकज रनसरिया को मैदान में उतारा है।
जामनगर उत्तर विधानसभा सीट
भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार ऑलराऊंडर रवीन्द्र जडेजा की पत्नी रिवाबा जडेजा के चुनाव लड़ने के कारण जामनगर उत्तर सीट की बहुत चर्चा है। रिवाबा का मुकाबला कांग्रेस के वीपेन्द्र सिंह जडेजा और आप के करसन करमूर से है। रिवाबा पहली बार चुनाव मैदान में उतरी हैं। भाजपा ने यहां के सीटिंग विधायक धर्मेंद्र सिंह जडेजा का टिकट काट कर रिवाबा को मौदान में उतारा है। हालांकि धर्मेंद्र सिंह जडेजा को एक कानूनी मुकदमे की वजह से टिकट नहीं मिल पाया था। रवीन्द्र जडेजा चूंकि नामी क्रिकेटर हैं इसलिए उनके रोड में शो में बहुत भीड़ जुटती थी। रिवाबा जडेजा एक युवा चेहरा हैं इसलिए उनको देखने के लिए भी लोग आते थे। लोगों को का यह उत्साह वोट में कितना तब्दील होगा,यह देखना अभी बाकी है। आप उम्मीदवार करसन करमूर एक साल पहले तक भाजपा में थे।
खंभालिया विधानसभा सीट
आम आदिमी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार इसुदान गढ़वी खंभालिया विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। यह सीट देवभूमि द्वराका जिले में पड़ती है। गढ़वी के चुनाव लड़ने के कारण यह सीट महत्वपूर्ण हो गयी है। उनका मुकाबला भाजपा के मुलुभाई बेरा और कांग्रेस के विक्रमभाई मेडाम से है। 2017 के चुनाव में कांग्रेस के विक्रमभाई ने चुनाव जीता था। उन्होंने भाजपा के कुलुभाई चावड़ा को हराया था। 2014 के उपचुनाव में भी कांग्रेस ने यह सीटी जीती थी। 2007 और 2012 में यहां भाजपा को जीत मिली थी। इसुदान गढ़वी पहली बार चुनाव लड रहे हैं। वे पत्रकार रहे हैं। लोकप्रिय गुजराती समाचार वाचक रहे हैं। उनकी छवि अच्छी है। लेकिन उनके सामने जातीय राजनीति एक बड़ी चुनौती है। कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवार अहीर समुदाय से हैं। यहां अहीर वोटर बहुसंख्यक हैं। गढ़वी खुद को किसान का बेटा कह कर वोट माग रहे हैं।
जसदान विधानसभा सीट
यह एक ऐसी सीट है जिस पर 1972 से 2017 तक भाजपा केवल एक बार चुनाव जीत पायी थी। वह भी 2009 के विधानसभा उपचुनाव में। फिर 2012 के चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा से यह सीट छीन ली थी। 2017 में यहां कांग्रेस के कुंवरजी भाई बावेलिया चुनाव जीते थे। लेकिन 2018 में वे भाजपा में चले गये तो उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दे दिया। उपचुनाव हुआ तो उन्होंने दूसरी बार यहां भाजपा को जीत दिलायी। वे मंत्री भी बने। कुंवरजी इस सीट से छह बार विधायक चुने गये हैं। 2022 के चुनाव में भी कुंवरजी भाजपा के उम्मीदवार हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस के भोलाभाई गोहिल से है। कुंवरजी कोली समुदाय के बहुत बड़े नेता हैं। इसलिए कांग्रेस ने उनको टक्कर देने के लिए इसी समुदाय के एक और नेता भोलाभाई को उम्मीदवार बनाया है। वे 2012 में वे यहां से कांग्रेस के विधायक रह चुके हैं।
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