गुजरात न्यूज़ के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
Oneindia App Download

गुजरात चुनाव 2022: गुजरात में पाटीदार इस बार किस पार्टी को देने जा रहे हैं समर्थन ? जानिए

Google Oneindia News

Gujarat Assembly Alections 2022: गुजरात का चुनावी इतिहास बताता है कि इसमें पाटीदार समाज हमेशा से अहम रोल निभाता आया है। शुरू से यह समाज कृषि क्षेत्र में अपनी धाक जमाए था, अब प्रदेश की अर्थव्यस्था से लेकर राजनीति तक में इसका दबदबा है। गुजरात की सत्ता में जबसे भारतीय जनता पार्टी आई है, उसका सबसे बुरा प्रदर्शन पांच साल पहले हुआ था। क्योंकि, तब पाटीदारों का एक बड़ा वर्ग उससे पाटीदार आंदोलन की वजह से काफी नाराज हो गया था। इसका फायदा कांग्रेस को मिला। लेकिन, इस बार कांग्रेस उस तरह से अबतक मैदान में नजर आ रही है और ऊपर से आम आदमी पार्टी ने समीकरण बदलने का जोर लगाया हुआ है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि क्या बीजेपी वापस पाटीदारों को पूरी तरह से अपने साथ ला पाएगी या फिर आम आदमी पार्टी कोई बड़ा खेल करने वाली है?

भाजपा के परंपरागत वोटर रहे हैं पाटीदार

भाजपा के परंपरागत वोटर रहे हैं पाटीदार

गुजरात में पाटीदार समाज राजनीतिक, आर्थिक और चुनावी हर रूप में प्रभावी भूमिका निभाता आया है। 90 के दशक से यह पूरी तरह से भाजपा का जनाधार बना हुआ था। लेकिन, पाटीदार कोटा आंदोलन की वजह से 2017 में कांग्रेस ने इस वोट बैंक में बड़ी सेंधमारी कर दी। बीते पांच वर्षों में जमीनी हालात पूरी तरह से बदल चुके हैं। पाटीदार आंदोलन के सबसे बड़े चेहरे हार्दिक पटेल बीजेपी से चुनाव लड़ रहे हैं। 2022 के चुनाव में भी पाटीदार समाज की भूमिका अहम रहने वाली है। लेकिन, यह किसके पक्ष में झुकेंगे यह देखने वाली बात होगी। पांच वर्षों में इनपर कांग्रेस का जो प्रभाव कम हुआ है, उसका पूरा फायदा बीजेपी को मिलने जा रहा है या बीच में आम आदमी पार्टी भी लाभ उठा सकती है, पक्के तौर पर यह कहना थोड़ा मुश्किल है।

गुजरात की राजनीति में पाटीदारों का दबदबा

गुजरात की राजनीति में पाटीदारों का दबदबा

गुजरात की मौजूदा 14वीं विधानसभा में पाटीदार समाज के कुल 44 विधायक थे। 2012 में इनकी संख्या कुल 182 में से 48 थी। पाटीदार समाज के अनुमान के मुताबिक गुजरात में उनकी आबादी करीब 18% है। इस हिसाब से 2017 में 24.17% और 2012 में 26.37% पाटीदार एमएलए उनकी जनसंख्या की तुलना में काफी ज्यादा है। लेकिन, गुजरात की राजनीति में इसी से पाटीदार समाज का प्रभाव भी पता चलता है। निवर्तमान विधानसभा में बीजेपी के 111 विधायकों में 31 पाटीदार हैं। इनमें से पिछले चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर जीतने वाले 17 पाटीदार विधायकों में दलबदल करके आने वाले 4 विधायक भी शामिल हैं।

कितने सीटों पर निर्णायक हैं पाटीदार वोट ?

कितने सीटों पर निर्णायक हैं पाटीदार वोट ?

2022 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी की ओर से घोषित 181 उम्मीदवारों में 44 पाटीदार हैं। पहले चरण में सौराष्ट्र-कच्छ क्षेत्र की जिन 54 सीटों पर चुनाव होने जा रहे हैं, वहां पाटीदार वोट के लिए आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच में कड़ा संघर्ष हो सकता है। यहां आम आदमी पार्टी ने 19, भाजपा ने 18 और कांग्रेस ने 16 पाटीदार चेहरों पर दांव लगाया है। पिछले चुनावों के उदाहरण के आधार पर कांग्रेस नेता परेश धनानी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा है कि पाटीदारों का 106 विधानसभा सीटों पर प्रभाव रहता है, जिनमें से 48 पर उनका पूर्ण दबदबा है। उनका दावा है कि इनमें से 33 पर आमतौर पर दो पाटीदार प्रत्याशियों में टक्कर होती है और आखिरकार दूसरे समाज के लोगों के वोट से फैसला होता है। बाकी 58 सीटों पर पाटीदारों का वोट ही निर्णायक साबित होता है।

लेउवा पटेल की आबादी ज्यादा

लेउवा पटेल की आबादी ज्यादा

वहीं सिदसर के उमियाधाम के ट्रस्टी जयराम वंसजलिया का कहना है कि पाटीदारों का प्रभाव होना स्वाभाविक है। क्योंकि उनका उद्योगों और कारोबार पर दबदबा है, 'इस सेक्टर में बड़े पैमाने पर रोजगार उपलब्ध कराया जाता है।' उनका कहना है कि 'पार्टियां अपना 25% टिकट पाटीदारों को दे सकती हैं। लेकिन, वह विधानसभा में 30% सीट तक जीत सकती हैं।' उमियाधाम ट्रस्ट कडवा पटेलों का सबसे बड़ा संगठन है। गुजरात में अभी तक कुल 17 मुख्यमंत्री हुए हैं, उनमें से मौजूदा सीएम भूपेंद्र पटेल समेत पांच पाटीदार हैं। लेउवा पटेल की आबादी 80% बताई जाती है, बाकी कडवा पटेल हैं। लेउवा पटेल मुख्यतौर पर सौराष्ट्र, थोड़े-बहुत मध्य और दक्षिण गुजरात में हैं। जबकि कडवा पटेल मुख्य रूप से उत्तर गजुरात और थोड़े-बहुत सौराष्ट्र क्षेत्र में हैं। भाजपा के मौजूदा 44 पाटीदार उम्मीदवारों में 24 लेउवा और 20 कडवा पटेल हैं।

पाटीदार आंदोलन के नेता भी हैं चुनाव मैदान में

पाटीदार आंदोलन के नेता भी हैं चुनाव मैदान में

कडवा पटेल से अलग लेउवा पटेलों का अपना धार्मिक संगठन श्री खोडलधाम ट्रस्ट है, जिसकी स्थापना उद्योगपति नरेश पटेल ने की है। कुछ महीने पहले नरेश पटेल के खुद राजनीति में उतरने की खूब चर्चा हो रही थी। लेकिन, बाद में वे पीछे हट गए। इस चुनाव में उनके श्री खोडलधाम ट्रस्ट के दो सदस्य चुनाव मैदान में हैं। राजकोट (दक्षिण) से बीजेपी के टिकट पर रमेश तिलाला मैदान में हैं तो सूरत के ओलपाड से आम आदमी के टिकट पर धार्मिक मालविया मैदान में हैं। मूल रूप से खेती-किसानी करने वाले पाटीदारों का आज गुजरात की राजनीति और कारोबार हर जगह दबदबा है।

आर्थिक आधार पर आरक्षण से पाटीदार खुश- पाटीदार नेता

आर्थिक आधार पर आरक्षण से पाटीदार खुश- पाटीदार नेता

1995 के चुनाव से गुजरात में पाटीदार मुख्य रूप से भाजपा समर्थक माने जाते हैं। सिर्फ हार्दिक पटेल के पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के प्रभाव से ही 2017 में पार्टी के साथ इनका समीकरण थोड़ा बिगड़ गया था। तब पाटीदार खुद के लिए ओबीसी कोटा की मांग कर रहे थे। लेकिन, अब सुप्रीम कोर्ट ने ऊंची जातियों के आर्थिक रूप से कमजोरों को 10% कोटा देने के मोदी सरकार के फैसले पर मुहर लगाकर उनकी मांग का प्रभाव थोड़ा कम जरूर किया है। श्री खोडलधाम ट्रस्ट के प्रवक्ता हंसमुख लुंगरिया का तो यहां तक कहना है कि 'सिर्फ इतना ही नहीं, ईडब्ल्यूएस कोटा, जिसका श्रेय पाटीदारों को मिलनी चाहिए, ऊंची जाति के मतदाताओं से भाजपा को अतिरिक्त वोट मिलेगा, क्योंकि उन्हें भी इस नई आरक्षण श्रेणी का लाभ मिलेगा।'

पाटीदार आंदोलन की प्रभाव अब काफी कम है

पाटीदार आंदोलन की प्रभाव अब काफी कम है

वहीं कडवा पटेल नेता वंसजलिया का कहना है कि यह देखना होगा कि आम आदमी पार्टी किसका वोट काटती और कहां काटती है। उनके मुताबिक कोटा आंदोलन की कुछ बातें अभी भी मौजूद हैं। उन्होंने कहा, 'कई लोग कहेंगे कि किसानों को इस मौसम में कपास और मूंगफली के रिकॉर्ड दाम मिल रहे हैं। लेकिन, खाद और डीजल के दाम भी रिकॉर्ड ऊंचाई पर हैं..... ' यही नहीं पाटीदार आंदोलन के नेता भी अलग-अलग दलों से चुनाव लड़ रहे हैं। हार्दिक बीजेपी से हैं तो गोपाल इटालिया आम आदमी पार्टी से मैदान में हैं। कृषि मंत्री राघवजी पटेल और हर्षद रिबादिया भी बीजेपी से चुनाव मैदान में हैं तो सीटिंग विधायक ललित वसोया और प्रताप दुधत कांग्रेस के टिकट पर लड़ रहे हैं।

इसे भी पढ़ें- गुजरात चुनाव में अबतक कैसे बदलता गया बीजेपी का नारा ? जिसके सामने सारी पंचलाइन हुई फेलइसे भी पढ़ें- गुजरात चुनाव में अबतक कैसे बदलता गया बीजेपी का नारा ? जिसके सामने सारी पंचलाइन हुई फेल

किसको समर्थन देंगे पाटीदार ?

किसको समर्थन देंगे पाटीदार ?

पाटीदार आंदोलन के एक संयोजक रहे दिनेश बंभनिया को लगता है कि 2017 में पाटीदारों का जो वोट कांग्रेस को गया था, उनमें से बड़ी संख्या में अब बीजेपी में जाएगा। वो कहते हैं, 'हमारे समाज का 90 फीसदी वोट बीजेपी को मिलेगा। 2017 में यह घटकर 40 फीसदी रह गया था। करीब 20 से 25 फीसदी यह भाजपा में वापस लौट गया है। इसलिए इसबार बीजेपी को पाटीदारों का ज्यादा वोट मिलेगा, हालांकि जितना 2017 से पहले मिलता था, उतना नहीं। यह देखना होगा कि बाकी बचा पाटीदार वोट कहां जाता है, आम आदमी पार्टी में जाता है या नहीं।'(कुछ तस्वीरें- फाइल)

Comments
English summary
Gujarat assembly elections:The vote of the Patidar community will be very important. But, this time the Patidar community is not angry with the BJP. In such a situation, there is a possibility that BJP will get more support from them
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X