गुजरात चुनाव प्रचार में कांग्रेस और AAP पर कैसे भारी पड़ी बीजेपी? जानिए
गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा ने प्रचार अभियान से लेकर बूथ मैनजमेंट तक में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी पर बढ़त बनाए रखी है। उसका सोशल मीडिया अभियान भी बाकियों के मुकाबले जबर्दस्त रहा है।
गुजरात में AAP और कांग्रेस से कैसे आगे निकली भाजपा ?
गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 के लिए सोमवार को दूसरे और अंतिम दौर की वोटिंग है। इस चुनाव में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सभी जीत के दावे कर रही हैं। सभी दलों ने मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंकने की कोशिश की है। किसी का प्रचार धुआंधार है तो कोई 'साइलेंट' चुनाव अभियान चलाने में जुटा रहा है। जब शनिवार को आखिरी चरण के प्रचार का काम ठहर गया तो पता चला कि बीजेपी ने दोनों विरोधी दलों पर किस तरह से बढ़त बना रखी है। एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक सोशल मीडिया से लेकर बूथ स्तर तक पार्टी मैनेजमेंट में अपने विपक्षियों से स्पष्ट रूप से आगे नजर आ रही है।
मुस्लिम-बहुल सीट पर भी सक्रिय हैं बीजेपी के वर्कर
उदाहरण के लिए अहमदाबाद की दानीलिम्डा सीट को ही लीजिए। यह एक मुस्लिम-बहुल विधानसभा क्षेत्र है और कांग्रेस का गढ़ भी। लेकिन, भारतीय जनता पार्टी ने यहां भी अपने प्रचार में कोई कमी नहीं रहने दी है। इस क्षेत्र में भाजपा के 300 बूथ कार्यकर्ता एक-एक मतदाता को किसी भी तरह से मतदान केंद्रों तक लाने के लिए प्रोत्साहित करने के अभियान में जुटे हुए हैं। इसी तरह के 65 साल के एक बूथ कार्यकर्ता रमेश भाई से बात की गई, जो संभावित वोटरों को कलाई पर बांधने के लिए एक बैंड बांट रहे है और साथ ही साथ मतदाता सूची पर भी नजरें लगाए हुए हैं।
'दानीलिम्डा में ही 14,000 बूथ वर्कर'
जिस रमेश भाई की बात की गई है वे बीजेपी के पन्ना प्रमुख हैं। उनके मुताबिक हर पन्ना कमिटियों की यह जिम्मेदारी है कि कम से कम 30 वोटरों को लक्षित करें। वे कहते हैं, 'मेरे अंदर 6 कार्यकर्ता हैं, प्रत्येक बूथ पर एक पन्ना प्रमुख और 6 बूथ कार्यकर्ता हैं........सिर्फ दानीलिम्डा में कम से कम 14,000 कार्यकर्ता हैं, जिनका काम डोर-टू-डोर प्रचार करना है और यह सुनिश्चित करना है कि चुनाव के दिन वोटर पोलिंग बूथ तक अवश्य पहुंचें। ' जिस जगह की बात हो रही है, उसके पास ही कांग्रेस का दफ्तर है, जो कि खाली है।
कांग्रेस का 'साइलेंट कैंपेन' का दावा
कांग्रेस के बूथ अध्यक्ष ने पार्टी का बचाव करते हुए यही दलील दी कि लो-प्रोफाइल कैंपने की ही रणनीति है। वो बोले- 'हम भी प्रचार कर रहे हैं, लेकिन हमारे अपने तरीके से। पीएम ने कहा कि कांग्रेस 'साइलेंट कैंपन' चला रही है, और हम बिल्कुल वही कर रहे हैं।' उन्होंने दावा किया कि करीब 2,000 कांग्रेस कार्यकर्ता मतदाताओं तक पहुंच रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने बीजेपी के लाखों कार्यकर्ताओं के दावे की भी यह कहकर खिल्ली उड़ाई कि वह 'सिर्फ शेखी बघार रही है....'
केजरीवाल मॉडल के सहारे AAP का प्रचार
वहीं आम आदमी पार्टी के दफ्तर के अंदर दर्जनों बूथ स्तर के कार्यकर्ता जरूर मौजूद दिखे, लेकिन वे बीजेपी या कांग्रेस छोड़कर ही आए हैं और गुजरात में केजरीवाल मॉडल को बेचने की कोशिशों में जुट रहे हैं। पार्टी की 60 साल की कार्यकर्ता कविता बेन ने कहा, 'लोगों को विकल्प चाहिए और हम वह विकल्प हैं। मैं घर-घर जाती हूं और लोगों को अरविंद केजरीवाल द्वारा दिल्ली में दी जाने वाली मुफ्त की सुविधाओं जैसे कि मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी, महिलाओं के खातों में कैश आदि के बारे में बताती हैं। लोगों को यह पसंद आ रहा है।'
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हर सीट पर भाजपा के 300 से ज्यादा व्हाट्सएप ग्रुप
लेकिन, तथ्य यह है कि सोशल मीडिया पर भी बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी से काफी आगे नजर आई है। इसने हर विधानसभा क्षेत्र में 300 से ज्यादा तो व्हाट्सएप ग्रुप बनाए हैं। जबकि, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के ऐसे ग्रुप करीब 20 हैं। इन व्हाट्सएप ग्रुप पर भाजपा के सैकड़ों बूथ वर्कर मतदाताओं तक लगातार कंटेंट पहुंचाने में लगे रहे हैं। खासकर कांग्रेस को निशाना बनाते हुए, जैसे कि पाकिस्तान, सिख-विरोधी दंगे।