गुजरात में नमक-ग्लुकोज और पानी मिलाकर नकली रेमडेसिविर बनाने वालों का पर्दाफ़ाश, 2500 से 30 हजार में बेच रहे थे
अहमदाबाद। गुजरात में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने वाले बड़े गिरोह का पर्दाफ़ाश हुआ है। आपराधिक गिरोह के सदस्य नमक-ग्लुकोज और पानी मिलाकर नकली रेमडेसिविर दवा तैयार करते थे और फिर उन इंजेक्शन को 2500 से 30 हजार रुपए में बेचते थे। सूचना मिलने पर पुलिस की टीमों द्वारा मोरबी, अहमदाबाद, सूरत में अलग-अलग जगहों पर छापेमारी की गई। कार्रवाई में 6 जने दबोचे गए। उनके पास से 1.61 करोड़ कीमत के 3371 इंजेक्शन और 90 लाख की नकदी जब्त की गई।
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गुजरात
में
बड़े
गिरोह
का
पर्दाफाश
राष्ट्रीय
अपराध
अन्वेषण
ब्यूरो
द्वारा
बताया
गया
कि,
ताबड़तोड़
छापेमारी
से
नकली
रेमडेसिविर
इंजेक्शन
की
63
हजार
कांच
की
शीशी
बरामद
हुईं।
इसके
अलावा
इन
शीशियों
पर
लगाने
के
लिए
रखे
30
हजार
स्टीकर,
शीशी
को
सील
करने
वाली
मशीन
भी
बरामद
की
गई।
एक
अधिकारी
बोले
कि,
उक्त
गिरोह
के
सदस्य
नमक,
ग्लुकोज
और
पानी
मिलाकर
नकली
रेमडेसिविर
बनाते
थे।
उन्होंने
कोरोना
महामारी
की
इस
आपदा
को
अवसर
बना
रखा
था।
गुप्त
सूचना
पर
मिलने
पर
उनके
ठिकानों
पर
छापेमारी
की
गई।
कितना
कारगर
है
रेमडेसिविर
इंजेक्शन?
रेमडेसिविर
इंजेक्शन
को
भारत
में
कोरोना
मरीजों
के
बचाव
के
लिए
इस्तेमाल
किया
जा
रहा
है।
हालांकि,
यह
कितना
कारगर
है,
इसका
कोई
पैमाना
नहीं
है।
डब्लूएचओ
का
एक
एक्सपर्ट्
पैनल
का
कहना
है
कि,
कोविड
के
ट्रीटमेंट
में
"रेमडेसिवीर"
के
इस्तेमाल
का
कोई
सार्थक
प्रभाव
नहीं
है।
पैनल
ने
चेताया
है
कि,
इसके
फायदे
उतने
नहीं
होते,
जैसी
कि
उम्मीदें
हैं।
गुजरात: वडोदरा में 5 लाख के रेमडेसिविर समेत 5 धरे, अहमदाबाद में बेचे जा रहे ऐसे नकली इंजेक्शन
पैनल ने निष्कर्ष निकाला कि आंतरिक रूप से दिए गए "रेमडेसिवीर" का मरीजों के लिए ज्यादा फायदेमंद होने की बात गले नहीं उतरतीं। न ही इससे मृत्यु दर कम की जा सकती हैं। वहीं, भारत की संस्थाएं मानती हैं कि इस दवा का सकारात्मक असर पड़ता है।