गोरखपुर न्यूज़ के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
Oneindia App Download

CM Yogi Adityanath : मानव सेवा के लिए तोड़ी थी नौ दिन मंदिर में रहने की परंपरा

सीएम योगी आदित्यनाथ: सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए सबसे महत्वपूर्ण कुछ है तो वह है मानव सेवा।ऐसा इसलिए कहा जाता है क्यों कि उनके सामने ऐसे कई अवसर आए जब उन्हें गोरक्षपीठ की परंपरा व मानव सेवा में एक को चुनना

Google Oneindia News

गोरखपुर,21सितंबर: सीएम योगी आदित्यनाथ: सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए सबसे महत्वपूर्ण कुछ है तो वह है मानव सेवा।ऐसा इसलिए कहा जाता है क्यों कि उनके सामने ऐसे कई अवसर आए जब उन्हें गोरक्षपीठ की परंपरा व मानव सेवा में एक को चुनना था।उन्होंने मानव सेवा को सर्वोपरि रखा।मानव सेवा के लिए उन्होंने कई वर्षो से चली आ रही परंपराओं को तोड़ दिया।ऐसा पहली बार तब हुआ जब वह सीएम बने थे और तब वह गोरक्षपीठाधीश्वर के मंदिर में नौ दिन रहकर मां दुर्गा की विशेष आराधना करने की वर्षों पुरानी परंपरा तोड़ी थी।इसके बाद कोरोना काल मानव हित में यह परंपरा तोड़ी।

नौ दिन रहे थे मंदिर से दूर

नौ दिन रहे थे मंदिर से दूर

मानव सेवा को सबसे बड़ा धर्म मानने वाले पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने मार्च 2017 में सूबे के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।तब उन्होंने गोरखनाथ पीठ की कुछ परंपराओं का त्याग भी किया था और यह त्याग जन कल्याण और जनसेवा के लिए था।मुख्यमंत्री बनने के बाद कभी भी योगी आदित्यनाथ ने नौ दिनों तक मंदिर में प्रवास नहीं किया।लेकिन हमेशा मंदिर के मुख्य कार्यक्रमों में अवश्य मौजूद रहे। गोरक्षपीठ के लिए साल के दोनों नवरात्र बेहद खास होते हैं। गोरक्षपीठ में पहले दिन कलशपूजन के साथ विशेष अनुष्ठान शुरू होता है। सारी व्यवस्था मठ की पहली मंजिल पर की जाती है। परंपरा है कि इस दौरान पीठाधीश्वर और उनके उत्तराधिकारी मठ से नीचे नहीं उतरते। इस दौरान पूजा-पाठ के बाद रूटीन के काम और खास मुलाकातें ऊपरी मंजिल पर ही होती हैं।लेकिन सीएम बनने के बाद पीठाधीश्वर ने चैत्र नवरात्र में लगातार नौ दिनों तक मंदिर में प्रवास नहीं किया।उन्होंने मानव सेवा को सर्वोपरि रखा।

जब कन्यापूजन में नहीं हुए थे शामिल

जब कन्यापूजन में नहीं हुए थे शामिल

गोरखनाथ मंदिर में नवमी के दिन कन्यापूजन होता है। जिसे पीठ के उत्तराधिकारी या पीठाधीश्वर करते हैं। वर्षों से योगी आदित्यनाथ इस परंपरा को निभाते रहे।लेकिन कोरोना काल के दौरान 2020 में उन्होंने कोविड नियमों के पालन के चलते कन्यापूजन नहीं किया और वर्षों से चली आ रही इस परंपरा को लोक कल्याण के लिए तोड़ा।

जब से पीठ तब से परंपरा

जब से पीठ तब से परंपरा

मंदिर के मुख्य पुजारी कमलनाथ बताते हैं कि गोरखनाथ मंदिर में मां भगवती के शक्तिपीठ पर कलश स्थापना की परंपरा बहुत पुरानी है।जब से यह पीठ है तब से यह परंपरा है।इसके पीछे वजह यह है कि यह एक शिव पीठ है।शिव के साथ शक्ति की अराधना आवश्यक है।इसलिए पीठ की यह परंपरा रही है कि पीठाधीश्वर नौ दिनों तक मंदिर में रहते हैं और विधिवत पूजा अर्चना कर मां की भक्ति में लीन रहते हैं।क्योकि किसी भी पूजा पाठ का मूल उद्देश्य मानव सेवा और जन सेवा ही है इसलिए सीएम बनने के बाद पीठाधीश्वर ने मानव सेवा को सर्वोपरि रखा और पीठ की पुरानी परंपरा को तोड़ा।

गोरक्षपीठ और जन सेवा

गोरक्षपीठ और जन सेवा

मंदिर के सचिव द्वारिका तिवारी बताते हैं कि गोरक्षपीठ लोगों की सेवा में यकीन करता है।सीएम बनने के बाद भले ही पीठाधीश्वर नौ दिन मंदिर में न रहे हो लेकिन मंदिर के प्रत्येक मुख्य कार्यक्रम में वह अवश्य मौजूद रहते हैं।मानव सेवा ही इस पीठ की परंपरा है।

Comments
English summary
CM Yogi Aditynath: The tradition of staying in the temple for nine days was broken for human service in gorakhnath temple
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X