देश की स्वास्थ्य रैंकिंग में पिछड़ा गुजरात, 62% अंक ही मिले, CM रुपाणी अधिकारियों से खफा हुए
गांधीनगर। नीति आयोग के राष्ट्रीय स्वास्थ्य सूचकांक में गुजरात का प्रदर्शन इस साल और खराब हुआ है। सरकार ने 2018 में सुधारों के लिए जो दावे किए थे, वे फेल हो गए। जिसकी बदौलत गुजरात केरल, पंजाब और तमिलनाडु जैसे राज्यों की तुलना में काफी पीछे रह गया। कंपोजिट इंडेक्स स्कोर में केरल ने 76.55, पंजाब ने 65.21, तमिलनाडु ने 63.38 अंक हासिल किए। जबकि, गुजरात ने 61.99 अंक प्राप्त किए हैं। यह रैंक देखकर मुख्यमंत्री विजय रुपाणी भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से नाराज बताए जा रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में गुजरात चौथे स्थान पर रहा है। कुछ बिंदुओं पर गुजरात का प्रदर्शन बेहतर रहा है, लेकिन कई राज्यों की तुलना में गुजरात बेहतर रैंक लाने में विफल रहा। जिसके चलते मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा है, क्योंकि जन्म के समय लिंग अनुपात में गिरावट के साथ-साथ बच्चों और महिलाओं में उच्च कुपोषण की मात्रा ज्यादा पाई गई है। जबकि, अगले साल की रिपोर्ट से पहले राज्य के स्वास्थ्य सूचकांकों में सुधार के लिए एक स्पष्ट कार्य योजना बनाई गई थी।
इधर, नीति अयोग ने उन कुछ राज्यों में गुजरात का भी उल्लेख किया है। जिन्होंने आधार वर्ष की तुलना में संदर्भ वर्ष में अपने स्वास्थ्य सूचकांकों में गिरावट दर्ज की है। रिपोर्ट में नीति अयोग ने कहा कि यह चिंता का विषय है और राज्यों को अपने प्रोग्रामेटिक प्रयासों की समीक्षा और पुनरोद्धार में मदद करनी चाहिए। देश के जिन राज्यों की स्थिति में सुधार नहीं हुआ है उसमें गुजरात का नाम भी सामने आया है। नीति आयोग ने गुजरात सरकार को भी ऐसा आदेश किया है कि, वे अपने स्वास्थ्य रैंक को सुधारें औऱ अधिक प्रयास करें। मुख्यमंत्री की सूचना के बाद राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बैठक की और गुजरात के रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।
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