World No-Tobacco Day 2016: सिर्फ धुएं के एक कश से जल जाती है सैकड़ों जिंदगी
आँचल प्रवीण
लखनऊ। आज की तारीख को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने धुम्रपान निषेध दिवस का नाम दिया है। 7 अप्रैल 1988 को डब्लू एच ओ द्वारा प्रस्तावित कानून में हर वर्ष 31 मई को धुम्रपान और तम्बाकू निषेध दिवस बनाया गया।
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इसका मुख्य उद्देश्य लोगों में तम्बाकू और धुम्रपान से होने वाले नुकसान के विषय में सचेत करना है और साथ ही लोगों को इससे खुद को और अपने परिवार को दूर रखने की सलाह देना है।
लचर कानूनी व्यवस्था के कारण नहीं हो पा रही है तम्बाकू पर रोक
भारत में भी सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर पाबंदी है, लेकिन लचर क़ानून व्यवस्था के चलते इस पर कोई अमल नहीं हो पा रहा है। लोगों को सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करते हुए देखा जा सकता है। भारत में आर्थिक मामलों की संसदीय समिति पहले ही राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम को मंज़ूरी दे चुकी है।
तम्बाकू के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाना
इसका मक़सद तम्बाकू नियंत्रण क़ानून के प्रभावी क्रियान्वयन और तम्बाकू के हानिकारक प्रभावों के बारे में लोगों तक जागरूकता फैलाना है। इसके लिए 11वीं योजना में कुल वित्तीय परिव्यय 182 करोड़ रुपये रखा गया है। इस कार्यक्रम में सम्पूर्ण देश शामिल है, जबकि शुरुआती चरण में 21 राज्यों के 42 ज़िलों पर ध्यान केन्द्रित किए गए हैं।
कुछ बेहद खौफनाक आंकड़े
- तम्बाकू से संबंधित बीमारियों की वजह से हर साल क़रीब 5 मिलियन लोगों की मौत हो रही है। जिनमें लगभग 1.5 मिलियन महिलाएं शामिल हैं।
- रिपोर्ट के मुताबिक़ दुनियाभर में 80 फ़ीसदी पुरुष तम्बाकू का सेवन करते हैं, लेकिन कुछ देशों की महिलाओं में तम्बाकू सेवन की प्रवृत्ति तेज़ी से बढ़ रही है।
- दुनियाभर के धूम्रपान करने वालों का क़रीब 10 फ़ीसदी भारत में हैं।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में क़रीब 25 करोड़ लोग गुटखा, बीड़ी, सिगरेट, हुक्का आदि के ज़रिये तम्बाकू का सेवन करते हैं।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़ दुनिया के 125 देशों में तम्बाकू का उत्पादन होता है।
- दुनियाभर में हर साल 5.5 खरब सिगरेट का उत्पादन होता है और एक अरब से ज़्यादा लोग इसका सेवन करते हैं। भारत में 10 अरब सिगरेट का उत्पादन होता है।
- भारत में 72 करोड़ 50 लाख किलो तम्बाकू की पैदावार होती है। भारत तम्बाकू निर्यात के मामले में ब्राज़ील, चीन, अमरीका, मलावी और इटली के बाद छठे स्थान पर है।
- आंकड़ों के मुताबिक़ तम्बाकू से 2022 करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा की आय हुई थी।
- विकासशील देशों में हर साल 8 हज़ार बच्चों की मौत अभिभावकों द्वारा किए जाने वाले धूम्रपान के कारण होती है। दुनिया के किसी अन्य देश के मुक़ाबले में भारत में तम्बाकू से होने वाली बीमारियों से मरने वाले लोगों की संख्या बहुत तेज़ी से बढ़ रही है।
- स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि शहरी क्षेत्र में केवल 0.5 फ़ीसदी महिलाएं धूम्रपान करती हैं। जबकि ग्रामीण क्षेत्र में यह संख्या दो फ़ीसदी है। आंकड़ों की मानें तो पूरे भारत में 10 फ़ीसदी महिलाएं विभिन्न रूपों में तंबाकू का सेवन कर रही हैं।
- शहरी क्षेत्रों की 6 फ़ीसदी महिलाएं और ग्रामीण इलाकों की 12 फ़ीसदी महिलाएं तम्बाकू का सेवन करती हैं।
- भारत में हर तीसरा पुरुष तम्बाकू का सेवन करता है।
- डब्लूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक़ कई देशों में तम्बाकू सेवन के मामले में लड़कियों की तादाद में काफ़ी इज़ाफ़ा हुआ है। हालांकि तम्बाकू सेवन के मामले में महिलाओं की भागीदारी सिर्फ़ 20 फ़ीसदी ही है। महिलाओं और लड़कियों में तम्बाकू के प्रति बढ़ रहे रुझान से गंभीर समस्या पैदा हो सकती है।
धुम्रपान पहुंचाता है नशे की चौखट पर
तीसरी दुनिया के देशों में सिगरेट पीने वालों की आयु कम होती है और इन देशों की युवा जनसंख्या के दृष्टिगत उनमें मादक पदार्थों की लत पड़ जाने और दूसरी सामाजिक एवं सांस्कृतिक बुराइयों में वृद्धि की आशंका होती है। इस संबंध में होने वाले अध्ययन के अनुसार यद्यपि सिगरेट का सेवन करने वाला हर व्यक्ति नशाखोर नहीं बन जाता है परंतु सिगरेट का सेवन करने वाले अधिकांश लोग बड़ी जल्दी नशे की लत में पड़ जाते हैं।
युवाओं में बढ़ रही है सिगरेट पीने की लत
स्पष्ट है कि समाज में सिगरेट का सस्ता होना, उसकी तस्करी और उस तक सरल पहुंच, कम आय वाले वर्ग एवं युवाओं में सिगरेट पीने के रुझान में वृद्धि का महत्त्वपूर्ण कारण है। तो देर मत कीजिये, खुद को और अपने आसपास के लोगों को इस धुंए की लत से दूर रखिये क्योंकि आपके अपने भी आपकी इस लत का शिकार होकर जिंदगियां खो रहे हैं |