#HumanRightsDay: जानिए इस दिन पर 15 खास बातें
10 दिसंबर 1948 से हुई थी मानवाधिकार दिवस की शुरुआत। इस वर्ष यूनाइटेड नेशंस ने लिया है प्रण कि हर व्यक्ति के मानवाधिकार की रक्षा हर हाल में की जाएगी।
नई दिल्ली। शुक्रवार को इंटरनेशनल वीमेन पीस ग्रुप की चेयरवुमन नाम ही किम भारत में थीं। वह यहां पर विश्व मानवाधिकार दिवस के मौके एक समारोह में हिस्सा लेने आई थीं। यहां पर उन्होंने कहा कि वह भारत के सभी नेताओं के लिए सम्मान जाहिर करती हैं कि वे एक शांति की दुनिया का निर्माण कर रहे हैं।
हर जगह होता मानवाधिकार हनन
विशेषज्ञों का मानना है कि आज हर दिन कहीं न कहीं मानवाधिकार का हनन होता है। कोई भी इस पर न तो बात करना चाहता है और न ही इस पर ध्यान देना चाहता है।
मानवाधिकार दिवस हर वर्ष 10 दिसंबर को मनाया जाता है। वर्ष 1948 में 10 दिसंबर को यूनाइटेड नेशंस की जनरल एसेंबली (उंगा) में मानवाधिकार पर एक घोषणा पत्र लाया गया। वर्ष 1950 में यूएन की ओर से प्रस्ताव 423(V) पास किया गया।
इस प्रस्ताव में हर वर्ष सभी देशों और संगठनों को 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस मनाने का निमंत्रण दिया गया। हर वर्ष यूनाइटेड नेशंस की ओर से इस दिन पर एक प्रण लिया जाता है।
क्या है इस बार यूएन की अपील
इस वर्ष यूएन ने दुनिया के हर व्यक्ति से अपील की है वह किसी के भी अधिकारों के लिए खड़ें हों। मूलभूत मानवाधिकारों का असम्मान इस समय पूरी दुनिया में जारी है।
आतंकवाद की वजह से लोगों को हिंसा को झेलने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। इंसानी नैतिकताएं अब सुरक्षित नहीं रह गई हैं।
यूएन ने इस बार सबसे अपील की है कि वे सभी हर शरणार्थी या अप्रवासी, विकलांगता को झेलते व्यक्ति, किसी एलजीबीटी वाले व्यक्ति, महिला या फिर बच्चों और ऐसे तमाम लोगों के मानवाधिकार के लिए सामने आएं जो हिंसा या फिर भेदभाव को झेलने पर मजबूर हैं।
इस मानवाधिकार दिवस पर कुछ आंकड़ों के जरिए तथ्यों पर नजर डालिए।
क्या हैं आंकड़ें
- यूएन के मुताबिक इस समय दुनिया भर में करीब 300,000 बाल मजदूर हैं।
- ये बाल मजदूर लड़के और लड़कियां दोनों हैं। ये सरकारी बलों के अलावा विपक्षी सेनाओं के संगठनों में हैं और बॉर्डर पर लड़ाई कर रहे हैं।
- ये बच्चे मजदूर हैं, गार्ड्स हैं और सुसाइड मिशन से लेकर यौन दासता को झेल रहे हैं।
- मानवाधिकारों से जुड़ा अंतराष्ट्रीय घोषणा पत्र दुनिया की सभी भाषाओं में मौजूद है और इसे 370 भाषाओं में अनुवादित किया जा चुका है।
- दुनिया में करीब 21 मिलियन लोग जबर्दस्ती मजदूरी करते हैं और इनमें से सबसे ज्यादा महिलाएं मजदूर हैं।
- अंतराष्ट्रीय मजदूरी संगठन के मुताबिक ह्यूमन ट्रैफिकिंग इंडस्ट्री दुनिया भर में करीब 150 बिलियन डॉलर की है।
- 200 मिलियन से ज्यादा लड़कियां और महिलाएं को फीमेल जेनाइटल म्यूटीलेशन यानी खतने से गुजरना पड़ता है।
- नेपाल दुनिया के उन पांच देशों में से है जहां पर लिंग को 'अदर्स' की श्रेणी में भी रखा गया है।
- वर्ष 2015 में चार देशों में मौत की सजा को खत्म किया गया।
- तीन मिलियन बच्चे जिनकी उम्र पांच वर्ष से कम है वातावरण जनित बीमारियों वजह से मौत का शिकार हो जाते हैं।
- वहीं दूषित पानी और हवा की वजह से सबसे ज्यादा बच्चे प्रभावित हैं।
- यूएन वीमेन की ओर से अनुमान लगाया गया कि 30 से ज्यादा देशों में बलात्कारियों को पीड़िता से शादी के बाद रिहा कर दिया जाता है।
- दुनिया में एक तिहाई महिलाओं ने शारीरिक और यौन हिंसा का सामना किया है और इनमें उनके पति ही शामिल हैं।
- दुनिया भर में 15 मिलियन लड़कियों को कभी भी प्राइमरी स्कूल में जाकर लिखने और पढ़ने का मौका नहीं मिलता।
- दुनिया की दो तिहाई अनपढ़ आबादी महिलाओं की है।