Weapons Export: क्या रक्षा क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर होने के साथ निर्यातक भी बन रहा है?
एक दौर था जब भारत हथियारों के आयात में शीर्ष पर रहता था। वहीं अब भारत अनेक हथियारों का उत्पादन और निर्यात भी करने लगा है।
स्टॉकहोम पीस रिसर्च इंस्टीटयूट (SIPRI) की वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार भारत दुनिया का 24वां सबसे बड़ा रक्षा उपकरणों/उत्पादों का निर्यातक देश बन गया है, जो वर्ष 2014 तक दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आयातक देश था। इंस्टीटयूट का कहना है कि 2016-2020 के बीच हथियार आयातों में 2011-15 की तुलना में लगभग 33 प्रतिशत की कमी दर्ज की गयी है। रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत जो हथियार अमरीका से खरीदता था उसमें भी 46 प्रतिशत की कमी आई है।
इसी संस्थान की एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार 2016-20 के बीच दुनिया भर के हथियार निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 0.2 प्रतिशत हो गयी, जो 2011-15 की तुलना में 200 प्रतिशत उछाल है। जिसके परिणामस्वरुप भारत विश्व हथियार निर्यातक सूची में 24वें पायदान पर पहुंच गया है।
भारत
हथियारों
का
निर्यातक
बन
रहा
है
रक्षा
मंत्रालय
के
अनुसार
2014-15
में
हथियारों
का
निर्यात
लगभग
1941
करोड़
रूपये
था,
जो
2021-22
में
बढ़कर
करीब
12,000
करोड़
रूपये
यानि
लगभग
6
गुना
हो
गया
है।
पिछले
कुछ
सालों
में
इस
निर्यात
में
54.12
प्रतिशत
की
वृद्धि
दर्ज
की
गयी
है।
वहीं
2022-23
की
पहली
तिमाही
में
भारत
ने
1,387
करोड
रूपये
के
रक्षा
संबंधित
उत्पादों
का
निर्यात
किया
है।
भारत
से
सैन्य
उपकरण
आयात
करने
वाले
देशों
में
म्यांमार,
श्रीलंका
और
मॉरीशस
का
नाम
सबसे
ऊपर
है।
गौरतलब
है
कि
पिछले
7
सालों
में
70
देशों
को
लगभग
38,000
करोड़
रूपए
के
रक्षा
उत्पादों
का
निर्यात
भारत
कर
चुका
है।
स्टॉकहोम पीस रिसर्च इंस्टीटयूट (SIPRI) की रैंकिग के अनुसार साल 2020 में तीन भारतीय कंपनियां - हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL), आयुध निर्माणी बोर्ड (Ordnance Factory Board) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BHEL) शीर्ष 100 वैश्विक रक्षा कंपनियों में शामिल थी। आयुध निर्माणी बोर्ड को अब 7 नई कंपनियों में विभाजित कर दिया गया है।
रक्षा
बजट
में
भारत
तीसरे
स्थान
पर
2013-14
में
भारत
का
रक्षा
बजट
2.3
लाख
करोड़
रूपये
था,
जो
2022-23
तक
आते-आते
5.25
लाख
करोड़
रूपये
तक
पहुंच
गया।
भारत
रक्षा
क्षेत्र
में
खर्च
करने
के
मामले
में
तीसरे
स्थान
पर
है।
वहीं
अमेरिका
टॉप
पर
तथा
दूसरे
स्थान
पर
चीन
है।
जबकि
2018
में
भारत
पांचवे
स्थान
पर
था।
ध्यान देने वाली बात यह है कि इस रक्षा बजट का उपयोग आत्मनिर्भर बनने में अब किया जाने लगा है। दरअसल, साल 2020 से मार्च 2022 तक थल सेना के कुल 29 रक्षा सौदों में से 19 सौदे भारतीय कंपनियों को प्राप्त हुए। केंद्र सरकार का कहना है कि अगले कुछ सालों में तकरीबन 52 हजार करोड़ के रक्षा उपकरण भारतीय कंपनियों से ही खरीदे जाएंगे।
भारत
के
इन
हथियारों
की
दुनिया
में
धाक
है
स्वदेशी
जेट
विमान
तेजस
की
पूरी
दुनिया
में
धूम
मची
हुई
है।
अमेरिका
सहित
कई
देशों
ने
तेजस
को
खरीदने
में
दिलचस्पी
दिखाई
है।
अमेरिका
के
अलावा
आस्ट्रेलिया,
इंडोनेशिया
और
फिलीपिंस
सहित
कुल
छह
देश
तेजस
की
खरीद
के
लिए
आगे
आए
हैं।
मलेशिया
18
तेजस
विमान
खरीदने
के
लिए
पहले
ही
प्रस्ताव
दे
चुका
है।
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भारत के ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल (भारत-रूस के सहयोग से बनी) की मांग दुनिया के कई देशों में बढ़ी है। जनवरी 2022 में भारत ने फिलीपिंस के साथ लगभग 2812 करोड़ रुपये का रक्षा सौदा किया था। जिसके तहत फिलीपिंस को ब्रह्मोस का निर्यात किया जायेगा। इसके अलावा वियतनाम, इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका, चिली और ब्राजील समेत 15 देश ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल खरीदने के लिए आवेदन कर चुके हैं।
वियतनाम, इंडोनेशिया, फिलीपिंस, बहरीन, केन्या, सऊदी अरब, मिस्र, अल्जीरिया और संयुक्त अरब अमीरात ने भारतीय आकाश मिसाइलों को खरीदने में अपनी रुचि दिखाई है। इसके अलावा, भारत पहली बार स्वदेश निर्मित पिनाका रॉकेट लांचर का निर्यात करेगा। सोलर इंडस्ट्रीज द्वारा निर्मित, यह हथियार प्रणाली आर्मेनिया को निर्यात की जाएगी, जिसके लिए लगभग 2,000 करोड़ रुपये का अनुबंध हुआ है।
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने मॉरीशस सरकार से हल्के हेलीकाप्टर-MkIII के निर्यात के लिए एक अनुबंध किया है। 2020 में भारत ने 40 मिलियन अमेरिकी डॉलर की लागत से आर्मेनिया को चार स्वाति वेपन लोकेटिंग राडार की आपूर्ति करने का सौदा किया है। जून 2022 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में 12 हाई स्पीड बोट 10 करोड़ डॉलर में वियतनाम को सौंपी गई। इनमें से पांच बोटों का निर्माण भारत में एलएंडटी शिपयार्ड में तथा बाकी 7 का निर्माण हांग हा शिपयार्ड में हुआ था।