नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अन्त्योष्टि की अनसुनी दास्तां
[इतिहास] आजाद हिंद फौज के संस्थापक व देश के स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 18 अगस्त 1945 को एक प्लेन क्रेश में मृत्यु हो गई। उनकी मौत से जुड़े कई रहस्य हैं, जो अभी खुलने बाकी हैं। हां अन्त्योष्टि की चौंकाने वाली दास्तां आप यहां जरूर पढ़ सकते हैं।
अन्त्योष्टि की यह दास्तां ताइवान के अधिकारी तन-ती-ती के उस बयान पर आधारित है जो ब्रिटेन के फॉरेन ऑफिस में फाइल नंबर FC1852/6/1956 में लिखा है। फाइल के मुताबिक तन ती-ती स्वयं नेताजी की अन्त्योष्टि के वक्त वहां मौजूद थे। उन्होंने बताया, "नेताजी की मृत्यु 18 अगस्त को हुई और जापानी सेना का अधिकारी जो अंत तक मृत शरीर के साथ था, उसने डेथ सर्टिफिकेट प्रशासन में जमा किया, जिसमें कोई इचिरो ओकुरा नाम लिखा था।"
पढ़ें- सुभाष चंद्र बोस से जुड़े 40 तथ्य
तन ती-ती ने बताया, "अन्त्योष्टि के दिन आपानी अधिकारी क्रीमेशन सेंटर में अपनी कार से आया था। उसके साथ एक भारतीय भी था। वह भारतीय बोस का अनुयायी था, कोई कहता है कि वह एक सामाजिक कार्यकर्ता था। हां वह सफेद जापानी कपड़ों में था, चप्पल पहने हुए था और उसके मुंह पर पट्टी हुई थी, ये पक्का है। वह बहुत दु:खी भी था। बताया जाता है कि वह व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि एडीसी कर्नल हबीबुर रहमान थे, जो उस विमान दुर्घटना में बच गये थे।"
तन ती-ती ने बताया, "मैंने जापानी सेना से निवेदन किया कि बोस के शव को सिंगापुर या टोक्यो ले जाने की अनुमति दी जाये। अनुमति मिल भी गई और पार्थिव शरीर को ले जाने की सभी तैयारी कर ली गई।"
पढ़ें- बोस के अंतिम दिन का विवरण पढ़कर आंखें हो जायेंगी नम
तन ती-ती ने बताया, "मैंने लिन सुई मू को बुलाया और ताबूत खोलने को कहा, जिसमें बोस के शरीर को टोक्यो ले जाया जा रहा था। लेकिन ताबूत इतना बड़ा था कि छोटे विमान में उसे रखना संभव नहीं था। मैं फिर प्रशासन के पास गया और छोटे ताबूत की डिमांड की। जवाब मिला कि कोई भी ताबूत अब उनके पास नहीं है। इसलिये मजबूरन उनकी अन्त्योष्टि जापानी सेना के अधिकारियों की मौजूदगी में तेपेई में ही करनी पड़ी। दूसरे दिन (23 अगस्त 1945) उसी भारतीय (कर्नल रहमान) ने उनकी अस्थियाँ क्रीमेशन सेंटर से प्राप्त कीं।"
नेता जी की अन्त्योष्टि से जुड़े चौंकाने वाले तथ्य स्लाइडर में-
कहां है नेताजी का डेथ सर्टिफिकेट
बोस की अन्त्योष्टि की अनुमति मिलिट्री अस्पताल से प्राप्त डेथ सर्टिफिकेट के आधार पर दी गई। लेकिन वह डेथ सर्टिफिकेट वापस जापानी सेना ने रख लिया। जबकि सेना का दावा है कि वह सर्टिफिकेट कर्नल रहमान को दे दिया गया था।
डेथ सर्टिफिकेट पर बदला नेताजी का नाम
मुनिसिपल हेल्थ सेंटर, तेपेई के रजिस्टर के अनुसार 22 अगस्त को इचिरो ओकुरा नाम के व्यक्ति का एक डेथ सर्टिफिकेट जारी किया गया। असल में नेताजी का नाम बदलकर डेथ सर्टिफिकेट बनाया गया था।
आर्मी ने नहीं दिया डेथ सर्टिफिकेट
यह भी कहा जाता है कि इचिरो ओकुरा किसी और व्यक्ति का नाम था। असल में जापान आर्मी ने सुभाष चंद्र बोस के नाम का डेथ सर्टिफिकेट जारी ही नहीं किया।
क्यों नहीं दिया डेथ सर्टिफिकेट
सीके येन का कहना है कि हो सकता है कि गोपनीयता बनाये रखने के लिये जापानी सेना ने बोस के नाम का डेथ सर्टिफिकेट नहीं दिया। क्योंकि सेना नेता जी की मौत का रहस्य किसी को नहीं बताना चाहती थी।
जापानी सेना का सीक्रेट
तेपेई हेल्थ सेंटर के निदेशक को केंग यूआन से जब बाद में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि बोस की मृत्यु का मामला जापानी सेना के सीक्रेट में से एक है, इसलिये वे इस पर कुछ नहीं बोल सकते।
1956 में भारत सरकार को मिले तथ्य
बोस से संबंधित बयानों को रिकॉर्ड करके ब्रिटिश सरकार ने 1956 में यूके हाई कमीशन के माध्यम से भारत सरकार को सौंपे।