इस किचन में सूरज की मदद से बनता है 650 लोगों के लिए खाना, जानिए कैसे?
नई दिल्ली। रसोई में खाना बनाना आसान काम नहीं होता है। अगर खाना 650 लोगों के लिए बनाना हो तो आप अंदाजा लगा सकते है कि खाना बनाने वाले पर कितना दवाब होगा, लेकिन रामकृष्ण मिशन के किचन का नजारा ही बिल्कुल अलग दिखा। कुक राजू पर 650 भूखे बच्चों के लिए डेढ़ घंटे के भीतर खाना तैयार करने का जिम्मा था,लेकिन उसके चेहरे पर तवान के बजाए एक अलग ही मुस्कान है। इस मुस्कान का राज है सूरज। जी हां राजू के इस किचन में सूर्य की मदद से खाना बनता है इसलिए वो बिना तनाव के काम करते हैं। राजू हर दिन 120 किलो चावल बनाते हैं। इस स्कूल में निराश्रित और अनाश बच्चे रहते हैं, जिनके खाने का जिम्मा राजू के ऊपर है। राजू इसके परेशान नहीं होते, क्योंकि उनके पास सौर ऊर्जा की ताकत है।
सोलर
एनर्जी
का
बेहतरीन
इस्तेमाल
साल 2013 में चेन्नई की109 साल पुरानी चैरिटेबल संस्था ने रामकृष्ण मिशन के इस किचन में सौर ऊर्जा सिस्टम लगवाया, जिसकी मदद से यहां काम बेहद आसान हो गया। अब इस किचन में ईंधन के बजाए सौर ऊर्जा की मदद से खाना बेहद आसानी से बनता है। सोलर हिटिंग सिस्टम की देखरेख संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम और भारत सरकार की नई और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय करती है। ये विभाग उद्योगों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, धार्मिक और परोपकारी संस्थानों में केंद्रित सौर ताप प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देता है।
बेहद
आसान
है
रखरखाव
इस सौर ताप ऊर्जा की मदद से 10 मिलियन लोग इस्तेमाल करते हैं। पिछले दो सालों में इस सौर ताप ऊर्जा के इन्स्टलैशन में दोगुनी बढ़ोतरी हुई है। इसे इन्स्टलैशन करना जितना आसान है उसका रखरखाव भी उतना ही आसान है। अरुण बताते हैं कि सौर ताप ऊर्जा के लिए संयंत्र को इस तरह से बनाया जाता है कि अधिक से अधिक सौर ऊर्जा को संग्रहित कर उससे स्टीम तैयार किया जा सके और फिर उससे ताप ऊर्जा ईंधन के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। वहीं इसका रखरखाव भी आसान है। इसे पूरी तरह से सुरक्षित ऊर्जा माना जाता है।
कम होगा प्रदूषण
यूएनडीपी और भारत सरकार की साझेदारी से इसे ज्यादा से ज्यादा लोकप्रिय करने की कोशिश की जा रही है, ताकि लोग इसका अधिक से अधिक इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित हो।पिछले दो सालों में सौर ताप ऊर्जा के इन्स्टलैशन दोगुनी हुई है। अगले तीन सालों में इसे 45000 वर्ग मीटर में इन्स्टल करने की योजना है। आपको बता दें कि ये सौर ताप ऊर्जा भारत में 39000 टन कार्बन डाय ऑक्साइट के उत्सर्जन को रोकता है। वहीं इस ऊर्जा के इस्तेमाल से हम 3.15 मिलियन लीटर ईंधन बचा सकते हैं। बीआर चंद्रशेखरन के मुताबिक इस ऊर्जा की मदद से जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को कम करने की कोशिश की जा रही है। वहीं इससे प्रदूषण को कम करने में भी मदद मिलेगी।