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Swami Vivekananda: स्वामी विवेकानंद ने कहा था-इंसान की सोच बड़ी होनी चाहिए

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नई दिल्ली। आज स्वामी विवेकानंद की 116वीं पुण्यतिथि है, नरेंद्र नाथ का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था, जो बाद में स्वामी विवेकानंद के नाम से मशहूर हुए , विवेकानंद के बारे में कहा जाता है कि वह खुद भूखे रहकर अतिथियों को खाना खिलाते थे ,उनसे जुड़े ऐसे बहुत सारे किस्से हैं, जो इंसान को एक नया पाठ पढ़ाते हैं।

आइए ऐसी ही एक चर्चित कहानी आपको बताते हैं

भगवान हैं कहां, मुझे दिखाओ?

भगवान हैं कहां, मुझे दिखाओ?

ये बात उस वक्त की है कि जब नरेंद्र दत्ता उर्फ स्वामी विवेकानंद 19 वर्ष के थे। एक दिन वे अपने गुरु राम कृष्ण परमहंस के पास गये और उनसे सवाल किया कि आप भगवान की बात कर रहे हैं, हमेशा भगवान-भगवान करते हैं, भगवान हैं कहां और अगर हैं, तो क्या प्रमाण है आपके पास?

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मैं स्वयं प्रमाण हूं: परमहंस

मैं स्वयं प्रमाण हूं: परमहंस

गुरु तो गुरु ही होता है ना, परमहंस अपने शिष्य की बात पर मुस्कुराते हुए कहा कि मैं स्वयं प्रमाण हूं, नरेंद्र, अब पूछो क्या पूछना है। इस बात पर विवेकानंद हंसे और वहां से निकल गये। वो राम कृष्ण से बौद्ध‍िक उत्तर की उम्मीद कर रहे थे लेकिन वो उन्हें मिला नहीं, भगवान हैं, इसका क्या प्रमाण है? यह सवाल विवेकानंद के दिमाग में घूमने लगा। दो दिन तक विवेकानंद ठीक से सो नहीं पाये। बस सोचते रहे, भगवान कहां हैं?

तुम्हारे अंदर भगवान को देखने का साहस है?

तुम्हारे अंदर भगवान को देखने का साहस है?

वो फिर वापस अपने परमहंस के पास गए और बोले कि ठीक है, दिखाईये भगवान कहां हैं, मैं देखना चाहता हूं अभी। रामकृष्ण ने पूछा कि तुम्हारे अंदर भगवान को देखने का साहस है?, विवेकानंद बोले कि हां, मैं एक बहादुर लड़का हूं। राम कृष्ण खड़े हुए और विवेकानंद को जमीन पर गिरा दिया और अपना पैर विवेकानंद की छाती पर रख दिया।

 विवेकानंद अचेत हो गए...

विवेकानंद अचेत हो गए...

जिसके बाद विवेकानंद अचेत हो गए, उस वक्त उनका दिमाग अनंत की ओर चला गया। वे शांत पड़ गये और करीब 12 घंटे तक उस मंजर से बाहर नहीं निकल पाए और उसके बाद से विवेकानंद में एक बड़ा परिवर्तन आया और उन्होंने फिर यह सवाल कभी नहीं किया।

स्वामी विवेकानंद ने कहा था-इंसान की सोच बड़ी होनी चाहिए

स्वामी विवेकानंद ने कहा था-इंसान की सोच बड़ी होनी चाहिए

विवेकानंद ने कहा था कि परमहंस ने मुझे सिखाया कि बात भरोसे और सोच पर निर्भर करती है, अगर आप मानते हैं कि भगवान है तो है, और नहीं मानते तो नहीं है, सब कुछ इंसान की इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है इसलिए इंसान की सोच बड़ी होनी चाहिए, इसी वजह से स्वामी विवेकानंद को नए विचार और ऊंची सोच रखने वाला इंसान कहा जाता है, जिन्होंने देश और देश के युवाओं को एक नई दिशा और ज्ञान दिया।

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English summary
July 4th 1902 marks the death anniversary of Swami Vivekananda. He was not even 40 when he died, but in that short span he changed the way Hindu philosophy and Hinduism was perceived both in India and abroad.
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