Tuberculosis: क्या जानलेवा टीबी से मुक्त हो पायेगी दुनिया?
डब्ल्यूएचओ के अनुसार दुनिया भर में होने वाली मौतों के शीर्ष 10 कारणों में से एक टीबी है। एक अनुमान के अनुसार दुनिया में टीबी का हर चौथा रोगी भारतीय है। भारत का हर पांचवां टीबी मरीज उत्तर प्रदेश का है।
Tuberculosis: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'टीबी मुक्त भारत अभियान' के तहत भारत को टीबी मुक्ति करने का लक्ष्य वर्ष 2025 रखा है, जबकि वैश्विक स्तर पर इसका लक्ष्य 2030 है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, 2025 तक टीबी के मामलों में कमी तभी आ सकती है जब हर साल 10 प्रतिशत की दर से टीबी के मामले घटे।
इसके लिए केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 'टीबी हारेगा, देश जीतेगा अभियान' भी शुरू किया है। टीबी से मुक्ति के लिए वैश्विक व देशीय स्तर पर अनेकों काम हो रहे हैं। आखिर यह टीबी है क्या? आईए इसको जानते है।
तपेदिक (ट्यूबरकुलोसिस-टीबी) माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक जीवाणु के कारण होती है। इसको यक्ष्मा, तपेदिक, क्षयरोग, एमटीबी भी कहते है, जो एक आम और कई मामलों में घातक संक्रामक बीमारी है। तपेदिक (टीबी) शब्द 1834 में जोहान शोनेलिन द्वारा दिया गया था। 24 मार्च 1882 में डॉ रॉबर्ट कोच ने टीबी का कारण बनने वाले माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस जीवाणु की खोज की थी। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार टीबी संक्रमण लगभग 30 लाख वर्षों से चला आ रहा है। विभिन्न सभ्यताओं में इसके अलग-अलग नाम थे। टीबी को प्राचीन ग्रीस में 'फथिसिस', रोम में 'टैब' और प्राचीन हिब्रू में 'स्केफेथ' कहते थे।
मनुष्यों में टीबी सबसे अधिक फेफड़ों को प्रभावित करती है, इसके साथ ही साथ अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकती है। टीबी हवा के ज़रिये एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलती है। यह संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने से संचारित लार के माध्यम से दूसरे व्यक्ति तक पहुंचती है। अगर इसको बिना उपचार किये छोड़ दिया जाये तो संक्रमित लोगों में से 50 प्रतिशत से अधिक की मृत्यु हो जाती है।
विश्व स्तर पर टीबीः विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ग्लोबल टीबी रिपोर्ट 2022 के अनुसार -
● विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार टीबी से हर दिन 4100 से अधिक लोगों की मौत होती है, जबकि प्रतिदिन 30 हजार लोग पीड़ित होते हैं।
● डब्ल्यूएचओ के अनुसार दुनिया भर में होने वाली मौतों के शीर्ष 10 कारणों में से एक टीबी है।
● 2021 में दुनिया भर में 10 मिलियन से अधिक लोग टीबी से बीमार हुए, जो 2020 की तुलना में 4.5 प्रतिशत ज्यादा है।
● 2007 में विश्व में टीबी के 13.7 मिलियन सक्रिय मामले थे, जबकि 2010 में लगभग 8.8 मिलियन नये मामले तथा 1.5 मिलियन मौतें हुई।
● टीबी मरीजों की संख्या 2019 में 7.1 मिलियन थी, जो 2020 में कम होकर 5.8 मिलियन रह गई थी। 2019 में टीबी के 87 प्रतिशत मरीज दुनिया के 30 देशों में पाए गये, इनमें में केवल 8 देशों में इनकी संख्या 75 प्रतिशत थी।
● डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार भारत में टीबी के मरीज दुनिया में सबसे ज्यादा है। इसके उपरांत इंडोनेशिया, चीन, फिलीपींस, पाकिस्तान, नाइजीरिया, बांग्लादेश और दक्षिण अफ्रीका का नंबर आता है।
● 95 प्रतिशत टीबी के मामले और इससे होने वाली मौतें विकासशील देशों से होती है।
● एचआईवी (एड्स) संक्रमित मरीजों में टीबी होने का खतरा आम लोगों की अपेक्षा 18 गुना ज्यादा होता है।
● वर्ष 2021 में टीबी के मरीजों में पुरुष 56.5 प्रतिशत, वयस्क महिलाएं 32.5 प्रतिशत तथा बच्चे 11 प्रतिशत थे। अर्थात टीबी वयस्क व्यक्तियों को सबसे ज्यादा हुई।
भारत में टीबी
● भारत में लक्षद्वीप और बडगाम जिला (जम्मू-कश्मीर) टीबी मुक्त घोषित होने वाली पहली जगहें हैं।
● भारत 28 प्रतिशत टीबी मामलों के साथ उन आठ देशों में शामिल था, जहाँ दुनिया के कुल टीबी मरीजों की संख्या के दो-तिहाई (68.3 प्रतिशत) से अधिक थे।
● टीबी मरीजों की संख्या में इंडोनेशिया (9.2 प्रतिशत), चीन (7.4 प्रतिशत), फिलीपींस (7 प्रतिशत), पाकिस्तान (5.8 प्रतिशत), नाइजीरिया (4.4 प्रतिशत), बांग्लादेश (3.6 प्रतिशत) और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (2.9 प्रतिशत) शामिल थे।
● एक अनुमान के अनुसार दुनिया में टीबी का हर चौथा रोगी भारतीय है। भारत का हर पांचवां टीबी मरीज उत्तर प्रदेश का है।
● टीबी से 2019 में करीब 90 हजार मौतें हुई थीं।
● 36 प्रतिशत एचआईवी निगेटिव लोगों में वैश्विक टीबी से संबंधित मौतें भारत में होती है।
● वर्ष 2020 में भारत, इंडोनेशिया और फिलीपींस में से एक था, जिसने टीबी रोग में सबसे अधिक कमी (दुनिया का 67 प्रतिशत) तथा वर्ष 2021 में आंशिक रिकवरी की।
● वर्ष 2021 में भारत में टीबी पीड़ितों की संख्या प्रति एक लाख जनसंख्या पर 210 रही, जबकि वर्ष 2015 में प्रति एक लाख जनसंख्या पर 256 थी।
टीबी मुक्ति में प्रमुख चुनौतियाँ
● दवा प्रतिरोधी टीबी का दबाव वर्ष 2020 और 2021 के बीच दुनिया में 3 प्रतिशत बढ़ गया, वर्ष 2021 में रिफैम्पिसिन-प्रतिरोधी टीबी (आरआर-टीबी) के 450,000 नए मामले सामने आए।
● कोविड-19 महामारी के कारण टीबी से मुक्ति में थोड़ा व्यवधान पड़ा है। वर्ष 2021 में कोविड-19 महामारी से कई सेवाएँ बाधित हुईं, लेकिन टीबी प्रतिक्रिया पर इसका प्रभाव गंभीर रहा है।
● टीबी के अनुमानित मरीज़ों की संख्या और इस बीमारी से पीड़ित लोगों की रिपोर्ट की गई संख्या के बीच वैश्विक अंतर का 75 प्रतिशत सामूहिक रूप से दस देशों का है।
● विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार आवश्यक टीबी सेवाओं पर वैश्विक खर्च वर्ष 2021 में 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का भी उल्लेख है, वर्ष 2019 के 6 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 2 बिलियन कम है तथा जो वर्ष 2022 तक सालाना 13 बिलियन अमेरिकी डॉलर के वैश्विक लक्ष्य के आधे से भी कम है।
कैसे बचें टीबी से?
● संक्रमित व्यक्ति से रोग को फैलने से रोकें।
● टीबी रोगियों की पहचान की जाए।
● संक्रमित व्यक्ति के निकट संपर्क से बचें।
● यदि कोई व्यक्ति तेजी से खांस रहा है, तो अपनी नाक और मुंह को ढक लें और दूर चले जाएं।
● यदि टीबी के लक्षण दिखाई दें तो प्राथमिक उपचार के लिए अपने चिकित्सक से मिलें।
टीबी का इलाज पूरी तरह मुमकिन है और सरकारी अस्पतालों व डॉट्स सेंटरों में टीबी का फ्री इलाज होता है। टीबी का इलाज 6 महीने से 2 साल तक चलता है।
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