अचानक बढ़ी मां के दूध की मांग, सोशल मीडिया पर यूजर कर रहे अपील, जानिए वजह और कितना है सेफ?
नई दिल्ली, 14 मई। कोरोना वायरस की आपदा के दौर में आप सोशल मीडिया पर अक्सर लोगों को अपने परिजनों, दोस्तों और जानने वालों के लिए मदद की गुहार लगाते देखते होंगे। इनमें अस्पतालों में बेड, कोरोना के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाइयां या फिर ऑक्सीजन की गुहार लगाने वाली पोस्ट से सोशल मीडिया भरा पड़ा है। लेकिन इस बीच एक और चीज की मांग तेजी से बढ़ रही है वह है मां का दूध। कई सारी पोस्ट सोशल मीडिया पर नजर आई हैं जिनमें नवजात बच्चों के लिए मिल्क डोनर उपलब्ध कराने की गुहार लगाई गई है। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है आइए समझते हैं।
क्यों बढ़ी मिल्क डोनर की मांग?
कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर में गर्भवती महिलाएं बड़ी मात्रा में वायरस से संक्रमित हुई हैं। बड़ी संख्या में माएं अस्पतालों के आईसीयू में भर्ती हुई हैं या फिर कई ऐसी भी घटनाएं हुई हैं जहां पर संक्रमण के चलते मां की मौत हो गई। इसके चलते मां के दूध की मांग तेजी से बढ़ी है। खासतौर पर ऐसे बच्चों के लिए जो बहुत छोटे हैं या फिर समय से पहले पैदा हो गए और अब उनकी माएं उनके पास नहीं हैं।
इस बीच यह भी देखा गया है कि जहां आस-पास दो मां है और एक महिला बच्चे को फीड नहीं करा पा रही है या फिर गंभीर रूप से बीमार है ऐसे में दूसरी महिला से अतिरिक्त स्तनपान की उम्मीद की जाती है। लेकिन ऐसा करना बच्चे में इंफेक्शन की वजह बन सकता है इसलिए डॉक्टर ऐसा न करने की सलाह देते हैं। हालांकि ऐसे मामलों में जहां एक ही परिवार में दो बीमार मां हैं और दोनों का टेस्ट किया गया है वहां ऐसा किया जा सकता है। हालांकि ऐसा तभी किया जाना चाहिए जब कोई और विकल्प मौजूद न हों।
डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे मामले में जहां बच्चा समय से पहले पैदा नहीं हुआ है लेकिन माँ अस्वस्थ है और स्तनपान कराने की स्थिति में नहीं है, बच्चे को फॉर्मूला फीड देना सुरक्षित है। जब बच्चा समय से पहले होता है तब ही डोनर मिल्क की जरूरत होती है।
मिल्क बैंक में रिजर्व भी हुआ कम
इस समय एक समस्या यह भी है कि लॉकडाउन के कारण मिल्क बैंकों में रिजर्व भी कम है और ज्यादातर डोनर वायरस से संक्रमित होन से डरी रहती हैं। इस दौरान मिल्क डोनर की संख्या में तेजी से कमी देखी गई है। हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि दूध को इस तरह से निकाला जाता है कि स्तनपान कराने वाली मां में किसी भी तरह से कोरोना संक्रमण की गुंजाइश नहीं रहती है।
इंडिया टुडे की खबर में स्वास्थ्य विशेषज्ञों के हवाले से स्तनपान को सुरक्षित बताया गया है। इसके मुताबिक मां संक्रमित होने के बावजूद भी बच्चे को स्तनपान करा सकती है क्योंकि इससे कोविड इंफेक्शन की संभावना न के बराबर है। हालांकि इस दौरान मां को इस दौरान हाथ धोना और सही तरीके से मास्क लगाना बेहद महत्वपूर्ण है।
क्या कहता है डब्ल्यूएचओ?
डब्ल्यूएचओ ने कोविड संक्रमित स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए सलाह जारी की है जिसमें कहा गया है कोविड-19 संक्रमित या संदिग्ध मांओं को स्तनपान के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। माताओं को स्तनपाल के लाभ के बारे में सलाह दी जानी चाहिए कि यह संक्रमण के खतरे को कम करता है। मां और शिशु को पूरे दिन और रात साथ रहना चाहिए। ऐसा करने से बच्चा त्वचा से त्वचा के संपर्क का अभ्यास करने में सक्षम होगा। खासतौर पर जन्म के तुरंत बाद बच्चो को स्तनपान कराया जाना चाहिए भले ही मां या फिर बच्चे में कोविड-19 के संक्रमण की पुष्टि ही क्यों न हुई हो।
मिल्क
बैंक
से
करें
सम्पर्क
बच्चों
के
लिए
मां
का
दूध
किसी
चमत्कारिक
औषधि
से
कम
नहीं
है
यही
वजह
है
कि
पहले
6
माह
तक
स्तनपान
की
सलाह
दी
जाती
है।
बावजूद
विशेषज्ञ
इसके
लिए
व्यक्तिगत
रूप
से
स्तनपान
कराने
वाली
माताओं
की
मदद
लेने
की
सलाह
नहीं
देते
हैं।
डॉक्टरों
का
कहना
है
कि
अगर
बच्चा
समय
से
पहले
पैदा
हुआ
है
और
उसे
जरूरत
है
तो
व्यक्तिगत
की
बजाय
मिल्क
बैंक
से
संपर्क
करना
चाहिए।
डॉक्टरों
का
कहना
है
कि
दूसरी
महिला
से
बच्चे
को
स्तनपान
कराने
में
बहुत
सारे
इंफेक्शन
का
खतरा
बना
रहता
है।
इसलिए
इसकी
सलाह
नहीं
दी
जाती
है।
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