27-28 सितम्बर के चंद्र ग्रहण का समय एवं रोचक तथ्य
28 सितम्बर 2015 को दुर्लभ चंद्र ग्रहण देखने को मिला। यह ग्रहण भारतीय समयानुसान 28 सितम्बर की सुबह यानि अमेरिका में जिस वक्त 27 सितम्बर की रात थी तब पड़ा। वैज्ञानिकों की मानें तो इससे पहले ऐसा ग्रहण सन् 1982 में पड़ा था। अब आप सोचेंगे कि इस ग्रहण में ऐसी क्या खास बात है?
आपको बता दें कि ये चंद्रग्रहण कोई साधारण ग्रहण नहीं है बल्कि सुपरमून ग्रहण है, यानि एक ऐसा संयोग, जब सुपर मून और चंद्र ग्रहण जैसी दो खगोलीय घटनाएं एक साथ घटित होगी।
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वैज्ञानिकों के अनुसार सुपर मून तब बनता है जब चंद्रमा, पूर्ण होता है और पृथ्वी के चारों ओर अपनी अंडाकार कक्षा में निकटतम बिंदु पर होता है। चंद्र ग्रहण के बारे में आपको मालूम ही होगा कि जब चंद्रमा, पृथ्वी की छाया से होकर गुजरता है तो पड़ता है।
सुपर मून चंद्रग्रहण का सीक्रेट क्या है और इसे क्यूं इतना विशेष माना जा रहा है। यह चंद्रग्रहण, भारत ही नहीं बल्कि कई अन्य देशों में भी दिखाई देगा, जिनमें से उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, यूरोप, पश्चिमी एशिया और अफ्रीका के कुछ इलाकों में इसे स्पष्टत: देखा जा सकेगा। यानि जिस वक्त चंद्र ग्रहण पड़ रहा होगा, उस वक्त भारत में सूर्योदय हो चुका होगा।
28 सितम्बर को पड़ने वाले चंद्र ग्रहण का भारतीय समयानुसार ग्रहण का समय
- सुबह 05:41 बजे: सूतक लगेगा
-
6:37
बजे:
आंशिक
चंद्रग्रहण
की
शुरुआत
- 7:41 बजे: पूर्ण चंद्र ग्रहण की शुरुआत
- 8:17 बजे: चंद्र ग्रहण अपने चरम पर होगा
- 8:53 बजे पूर्ण चंद्र ग्रहण समाप्त होगा
- 9:57 बजे: चंद्रग्रहण की समाप्त होगा
- 10:52 बजे: सूतक की समाप्त होगा
आइए जानते हैं इस दुर्लभ चंद्र ग्रहण के बारे में 11 बातें:
2015 का आखिरी ग्रहण
27 सितम्बर को पउ़ने वाला ग्रहण, इस साल का आखिरी ग्रहण है। इससे पहले 2015 में कुल तीन ग्रहण पड़े।
सुपरमून का दुर्लभ ग्रहण
यह ग्रहण, सुपरमून का अब तक का सबसे दुर्लभ ग्रहण है। खगोल वैज्ञानिक इसे देखने के लिए काफी बेसब्र हैं।
यूएस ने बुक कराई पहली सीट
इस दुर्लभ ग्रहण को देखने के लिए यू.एस. ने पहले से ग्रहण देखे जाने वाले स्थान पर सबसे आगे बुकिंग करवाई है।
मेनलैंड यूएस से 2018 तक नहीं दिखेगा ग्रहण
जी हां, मेनलैंड यू.एस. में इसके बाद 31 जनवरी, 2018 को अगला चंद्र ग्रहण दिखाई पड़ेगा।
अर्द्धरात्रि और प्रात:काल ग्रहण
उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका में यह ग्रहण, चंद्रमा उगने के बाद दिखेगा, जबकि यूरोप, अफ्रीका और मध्यपूर्व में इसे सूर्य के उगने से कुछेक घंटे पहले ही देखा जा सकेगा।
आंखों की सुरक्षा करने की आवश्यकता नहीं
इस ग्रहण को देखने के लिए आपको किसी उपकरण की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, आप नंगी आंखों से ही इसे देख सकते हैं।
दो हफ्ते पहले की पड़ चुका सूर्य ग्रहण
इस सुपरमून ग्रहण के पड़ने से पहले ही दो सप्ताह पूर्व 13 सितम्बर को सूर्य ग्रहण पड़ चुका है।
कहलाएगा ब्लड मून
जब पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, उस दौरान चंद्रमा का रंग खूनी लाल होगा। वैज्ञानिक भाषा में इसे ब्लड़ मून कहा जाता है।
खत्म नहीं होगी दुनिया
लोग कहते हैं कि इस दिन दुनिया खत्म हो जाएगी, ये सिर्फ अफवाह है, इन पर भरोसा न करें। ये रात भी, सामान्य रातों की तरह ही होगी।
देरी से निकलेगा चंद्रमा
इस दुर्लभ दिन, शुक्ल पक्ष के अन्य दिनों की तरह चंद्रमा जल्दी नहीं निकलेगा। उत्तरी गोलार्ध में यह देरी से निकलेगा।
ल्यूनर सारोस सिरीज 137 का हिस्सा है ये ग्रहण
यह ग्रहण, 18 साल लम्बे, जिसे सारोस साइकल कहा जाता है, का एक हिस्सा है। यह इस सीरिज का 28वां ग्रहण है।