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First Republic Day of India: भारत ने कैसे मनाया अपना पहला गणतंत्र दिवस समारोह

26 जनवरी 2023 को भारत का 73वां गणतंत्र दिवस मनाया जाएगा। प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी विशेष परेड का आयोजन किया जाएगा। लेकिन पहला गणतंत्र दिवस उत्सव देशवासियों के लिए उल्लेखनीय था।

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First Republic Day of India: भारत का संविधान 26 नवंबर 1949 को तैयार हो गया, जिस पर 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा के सभी 308 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए। दो दिन बाद, 26 जनवरी को भारत ने इस संविधान को अपनाया, जिसके बाद भारत को स्वाधीन गणतंत्र के रूप में पहचान मिली। इसलिए 26 जनवरी को हर साल गणतंत्र दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन भारत का संविधान लागू हुआ था, जिसकी वजह से यह दिन हम सभी भारतीयों के लिए खास है। गौरतलब है कि भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है।

इस साल हम 73वां गणतंत्र दिवस मनाएंगे, जिसमें दिल्ली में राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट के बीच के मार्ग, जिसे पहले राजपथ और अब कर्तव्यपथ कहा जाता है, पर सुरक्षा बलों, विभिन्न राज्यों और सरकारी विभागों की परेड और झांकियां निकाली जाती हैं। लगभग हर साल इस अवसर पर विशेष अतिथि के तौर पर किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष या प्रमुख व्यक्ति को बुलाया जाता है।

भारत बना गणराज्य

26 जनवरी 1950 की सुबह 10 बजकर 18 मिनट पर भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल सी. राजगोपालाचारी ने भारत को एक 'संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य' घोषित किया। अपने अभिभाषण में सी. राजगोपालाचारी ने कहा, "यह घोषित किया जाता है कि इस जनवरी, 1950 के छब्बीसवें दिन से, इंडिया, जोकि भारत है, एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य होगा, और संघ और इसकी घटक इकाईयाँ, राज्य, सरकार की सभी शक्तियों और कार्यों का प्रयोग उक्त संविधान के प्रावधानों के अनुसार प्रशासन करेंगे।"

इसके 6 मिनट बाद डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने देश के पहले राष्ट्रपति और देश के पहले चीफ जस्टिस हरिलाल कानिया ने राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में शपथ ग्रहण की। राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण के बाद गवर्नर जनरल के झंडे को नीचे करके राष्ट्रपति के झंडे को प्रेसिडेंट हाउस पर फहराया गया। इसके बाद 31 तोपों की सलामी के साथ राष्ट्रगान बजाया गया, जो देश के गणतंत्र होने की घोषणा कर रहा था।

कुछ देर बाद सुबह 10 बजकर 38 मिनट पर राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, और चीफ जस्टिस हरिलाल कानिया की उपस्थिति में देश के पहले मंत्रिमंडल और स्पीकर के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट के सभी जज, ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया का शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया। पहले कैबिनेट के शपथ ग्रहण के बाद राष्ट्रपति ने आर्म्ड फोर्सेज के लिए तीन गैलेंटरी अवॉर्ड परमवीर चक्र, महावीर चक्र और वीर चक्र की घोषणा की, जो आर्म्ड फोर्सेज में उत्कृष्ट योगदान देने वाले वीर सिपाहियों को दिया जाता है।

पहला गणतंत्र दिवस समारोह

भारत के राष्ट्रपति 26 जनवरी 1950 की दोपहर इरविन स्टेडियम (अब मेजर ध्यानचंद स्टेडियम) पहुंचे और भारत के पहले गणतंत्र दिवस के विशेष अतिथि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकार्नो का स्वागत किया। दोनों देशों के राष्ट्रपतियों ने 6 घोड़ों वाली बग्गी में बैठकर स्टेडियम में मौजूद हजारों लोगों का अभिवादन स्वीकर किया। इसके तुरंत बाद देश के पहले गणतंत्र दिवस पर डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने तिरंगा झंडा फहराया। इस पूरे समारोह के आयोजक देश के पहले रक्षामंत्री बलदेव सिंह थे। इस पहले गणतंत्र दिवस की परेड इरविन स्टेडियम में ही आयोजित की गई, जिसमें करीब 15 हजार आम नागरिक दर्शक के तौर पर मौजूद थे।

झंडा फहराने के बाद राष्ट्रपति ने देश के पहले गैलेंटरी अवार्ड्स की घोषणा की। मेजर सोमनाथ शर्मा (मरणोपरांत) और लांस नायक करम सिंह (मरणोपरांत) को देश का पहला सबसे बड़ा गैलैंटरी अवॉर्ड परमवीर चक्र से नवाजा गया। इन दोनों वीरों को 1948 में पाकिस्तान के साथ हुए पहले युद्ध में साहस दिखाने के लिए सम्मानित किया गया। अवॉर्ड सेरेमनी के बाद देश के राष्ट्रपति के अभिवादन में पहला सेरेमोनियल परेड आयोजित हुआ और झांकियां निकाली गई।

पहले गणतंत्र दिवस परेड का मुख्य आकर्षण

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पहले गणतंत्र दिवस परेड का मुख्य आकर्षण सीमा सुरक्षा बल (BSF) का परेड दस्ता था, जिसमें ऊंटो की टुकड़ी शामिल थी। भारतीय सेना में उस समय ऊंटो की टुकड़ी वाला दल शामिल था। 26 जनवरी 1950 की शाम को राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने नए गणतंत्र दिवस और आखिरी गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी के सम्मान में एक भोज का आयोजन किया, जिसमें प्रधानमंत्री समेत देश के विशिष्ट अतिथि शामिल हुए। इस तरह से भारत के पहले गणतंत्र दिवस को सेलिब्रेट किया गया और देश को अपना संविधान मिला।

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