2013 में आयी विनाशकारी प्राकृतिक आपदाएं
बैंगलोर। हर साल पूरी दुनिया में ऐसी विनाशकारी प्राकृतिक आपदाएं आती हैं जो कि इन आपदाओं के शिकार हुए लोगों को न भूलने वाले जख्म दे जाती हैं। अगर सिर्फ भारत की ही बात करें तो देश ने सूखा, बाढ़, साइक्लोन और भूकंप हर तरह की आपदा का सामना किया। कौन भूल सकता है कि जून के महीने में उत्तराखंड में आयी प्राकृतिक आपदा को जिसमें हजारों लोगों ने अपने परिजनों को खो दिया तो कुछ मौत को इतने करीब से देखकर अब भी सदमे में हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस आपदा में लगभग पांच से दस हजार लोग मारे गये थे।
इसके अलावा चक्रवाती तूफान हेलेन ने आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों में तबाही मचाई। बंगाल की खाड़ी से उठने वाले इस तूफान के पहले प्रशासन द्वारा उठाये गये कदमों से जनहानि का सामना नहीं करना पड़ा फिर भी इसने आंध्र के तटीय क्षेत्रों में रहने वाले हजारों लोगों को विस्थापित कर दिया।
वैज्ञानिकों का कहना है कि प्राकृतिक संसाधनों के अधिक दोहन के कारण मनुष्य को इस प्रकार की आपदाओं का सामना करना पड़ता है वहीं दुनिया के कई देशों की भूमंडलीय परिस्थितियां ऐसी हैं कि वहां हर साल भूकंप या बाढ़ का सामना करना पड़ता है, जापान एक ऐसा देश है जो कि हर साल 150 से भी अधिक भूकंपों का सामना करता है लेकिन हम यहां बात करेंगे ऐसी आपदाओं की जिन्होने भारत में आम जनजीवन को प्रभावित किया।
केदारनाथ
भारत के प्रमुख तीर्थस्थानों में से एक केदारनाथ में आयी बाढ़ ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। इसमें तकरीबन 5000 लोग मारे गये। आपदा कितनी भयानक थी इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि तीर्थयात्रियों को बचाने के लिए सेना के एक लाख जवान तैनात किये गये, वहीं बाढ़ से उत्तराखंड सरकार को करीब बारह हजार करोड़ का नुकसान हुआ।
बिहार और पश्चिमी उत्तर प्रदेश
सितंबर के महीने में बिहार और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आयी बाढ़ से लाखों लोग प्रभावित हुए। बिहार में लगभग 500 गांवों के लोग विस्थापित हुए। वहीं उत्तर प्रदेश के रामगंगा, मालन, कोसी और गंगा नदी के उफान पर आने से बिजनौर, अमरोहा, शाहजहांपुर, बरेली, रामपुर, बुलंदशहर, सहारनपुर, बदायूं और फरुखाबाद जिलों के निचले इलाकों में 500 से अधिक गांवों में बाढ़ के पानी ने तबाही मचाई।
फेलिन की क्षमता, दस हाइड्रोजन बमों के बराबर
अक्टूबर के महीने में उड़ीसा और आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों में चक्रवाती तूफान फेलिन के कारण जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया। प्रभावित क्षेत्रों में लगभग 99 ट्रेनें रद्द करनी पड़ी। चक्रवात से सात राज्यों पर प्रभाव पड़ा, झारखंड और उड़ीसा के कई जिलों में नदियों का जलस्तर बढ़ जाने से बाढ़ जैसे हालात उत्पन्न हो गये।
बंगाल की खाड़ी से होकर आंध्र के तटीय इलाकों में आया
बंगाल की खाड़ी से उठकर आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों में प्रवेश करने वाले हेलेन ने नवंबर महीनें में प्रदेश के तटीय इलाकों के निवासियों की मुश्किलें बढ़ाई मौसम विभाग द्वारा की गई भविष्यवाणी के कारण लोगों को पहले हटा दिया गया। आंध्र सरकार ने भी भारी बारिश और तेज हवाओं के चलने की चेतावनी जारी कर दी थी। तूफान से पहले जारी निर्देशों से संभावित भारी जनहानि को रोंका जा सका।
केंद्र से बारह हजार करोड़ की सिफारिश
देश के अन्य हिस्सों में जहां संतोषजनक बारिश हुई वहीं बिहार की धरती सूखी ही रही। मानसून की दगाबाजी के बाद बिहार सरकार ने राज्य के 38 जिलों में से 33 को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया। सूखे से निपटने के लिए केंद्र सरकार से 12,000 करोड़ रुपये की मांग की। राज्य में एक जून से लेकर 11 सितंबर तक 668.6 मिलीमीटर बारिश हुई जो औसत से 223.6 मिलीमीटर कम थी। इस वजह से भूजल स्तर में भी गिरावट आई है।
19000 हजार लोग प्रभावित
असम में भारी बारिश ने राज्य के हजारों लोगों को प्रभावित किया। बताया जा रहा है कि ब्रह्मपुत्र और इसकी सहायक नदियों के उफान पर होने से असम के कई और इलाकों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया। बाढ़ के कारण सड़कें क्षतिग्रस्त हुई हैं, कई जगहों पर मकान ध्वस्त हो गए हैं और कई स्थानों पर तटबंध टूट गए।
भूकंप के तेज झटकों से कांप उठा दिल्ली-एनसीआर
11 नवंबर की देर रात राजधानी दिल्ली और उससे लगे गाजियाबाद और नोएडा (एनसीआर) दो बार भूंकप के तेज झटकों से थर्रा गई। भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 3.1 बताई गयी।