Ganesh Visarjan: घर पर कैसे करें 'गणेश विसर्जन', क्या है इस प्रथा का मतलब?
नई दिल्ली। दस दिनी गणेशोत्सव का समापन 1 सितंबर को 'अनंत चतुर्दशी' के साथ होगा, जितना उल्लास और खुशी लोगों को बप्पा के आगमन पर होती है, उससे कहीं ज्यादा गम बप्पा के जाने पर होता है, लेकिन विधि का विधान है, जो आएगा वो जाएगा इसलिए इस दिन को भी काफी भव्य रूप से मनाया जाता है। वैसे इस बार कोरोना महामारी की वजह से घर में ही लोगों को गणपति की मूर्ती की स्थापना करने की अनुमति दी गई थी, ऐसे में घर में ही बप्पा का विसर्जन किया जाएगा।

ऐसे में आप घर में निम्नलिखिल तरीके से विसर्जन कर सकते हैं...
- इस दिन सुबह स्नान करने के बाद गणेश जी की पूजा करें और उनके प्रिय चीजों का भोग लगाएं।
- पूजा के दौरान गणेश मंत्र और गणेश आरती का पाठ करें।
- इस दौरान स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं ।
- फिर घर के किसी पुरुष की ओर से बप्पा की मूर्ति को उठानी होती है और उसे ही बप्पा की मूर्ति को पानी तक लेकर आना होता है।
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'गणपति बप्पा मोरया, अगली बरस तू जल्दी आ'
- फिर भरी हुई बाल्टी,ड्रम या टब में बप्पा की मूर्ति को विसर्जित करना होता है।
- इस दौरान 'गणपति बप्पा मोरया, अगली बरस तू जल्दी आ' का जयकारा लगाना होता है।
- इसके बाद उस पानी का प्रयोग आप बगिया या गमलों में कर सकते हैं।

'खाली हाथ आये थे और खाली हाथ ही जाना पड़ेगा'
मालूम हो कि गणेश 'विसर्जन ये सिखाता है कि मिट्टी से जन्में शरीर को मिट्टी में ही मिलना है। गणेश जी की प्रतिमा मिट्टी से बनती है और पूजा के बाद वो मिट्टी में मिल जाती है। गणेश जी को मूर्त रूप में आने के लिए मिट्टी का सहारा लेना पड़ता है, मिट्टी प्रकृति की देन है लेकिन जब गणेश जी पानी में विलीन होते हैं तो मिट्टी फिर प्रकृति में ही मिल जाती है। मतलब ये कि जो लिया है उसे लौटाना ही पड़ेगा, खाली हाथ आये थे और खाली हाथ ही जाना पड़ेगा।

'मोह-माया नहीं फंसना चाहिए'
'विसर्जन' ये सिखाता है कि सांसरिक वस्तुओं से इंसान को मोह नहीं होना चाहिए क्योंकि इसे एक दिन छोड़ना पड़ेगा। गणेश जी घर में आते हैं, उनकी पूजा होती है और उसके बाद मोह-माया बिखेरकर वो हमसे विदा हो जाते हैं ठीक उसी तरह जीवन भी है, इसे एक दिन छोड़कर जाना होगा इसलिए इसके मोह-माया नहीं फंसना चाहिए।
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