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इतिहास के पन्नों से- मंगल पांडे पर हो और रिसर्च

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नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) अब जैसे-जैसे स्वाधीनता करीब आएगा वैसे-वैसे देश अपने महान स्वाधीनता सेनानियों का स्मरण करेगा। वरिष्ठ लेखक एस.एन.शुक्ल मानते हैं कि मंगल पांडेय प्रथम स्वाधीनता संग्राम का एक ऐसा चितेरा था जिसे पूजा तो वर्षों से जा रहा है लेकिन उस पर शोध नहीं किया जा रहा।

इसमें कोई शक नहीं है 1857 के रणबांकुरों पर हिंदी में सबसे उल्लेखनीय काम अमृतलाल नागर ने किया है। वे गांव-गांव घूमे और किंवदंती ही नहीं इतिहास भी खगाला। मंगल पांडेय के बारे में नागर जी अपनी मशहूर पुस्तक 'गदर के फूल' में लिखा है-

"श्री मंगल पांडेय का जन्म फैजाबाद जिले की अकबरपुर तहसील के सुरहुपुर नामक ग्राम में असाढ़ शुक्ल द्वितीया शुक्रवार संवत 1884 विक्रमी तदनुसार 19 जुलाई ईस्वी सन 1827 को हुआ था। इनके पिता का नाम श्री दिवाकर पांडेय था।

इतिहास के पन्नों से- याद रखना 10 मई,1857 और मंगल पांडे को

वे वस्तुत फैजाबाद जिले की सदर तहसील के दुगवाँ रहीमपुर नामक ग्राम के रहने वाले थे और अपने ननिहाल की संपत्ति के उत्तराधिकारी होकर सुरहुपुर गांव जाकर बस गए थे। वहीं पर उनकी पत्नी अभयरानी देवी के गर्भ से मंगलपांडे का जन्म हुआ। इनकी लंबाई सामान्य से ज्यादा थी।

22 वर्ष की अवस्था में अर्थात दस मई सन 1849 में आप ईस्ट इंडिया कंपनी की बंगाल इन्फैंट्री में भरती हुए। बहरहाल, इसमें कोई शक नहीं है कि मंगल पांडे महान स्वाधीनता सेनानी थे। उनके नाम पर हर शहर में कालेज तथा मार्गों के नाम होने चाहिए।

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English summary
Mangal Pandey should researched more closely. He was a great freedom fighter. Hindi writer Amrit Lal Nagar had written a lot on him.
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