Garbage Mountains: दुनिया में कहां कहां पर हैं कूड़े कचरे के विशाल पहाड़?
Garbage Mountains: दुनिया भर में कूड़े कचरे का निस्तारण एक बड़ी समस्या है। विश्व बैंक के अनुसार 2020 में दुनिया भर में 2.24 अरब टन कचरा पैदा हुआ था। इसका अर्थ यह है हर व्यक्ति ने प्रतिदिन 0.79 ग्राम कचरा पैदा किया। वर्ल्ड बैंक का मानना है कि जिस तेजी से आबादी बढ़ रही है, उस हिसाब से 2050 में 3.88 अरब टन कचरा पैदा हो जायेगा।
भारत से प्रति वर्ष लगभग 277 अरब किलो कचरा निकलता है यानि प्रति व्यक्ति करीब 205 किलो कचरा। इसमें से 70 प्रतिशत ही इकट्ठा किया जाता है, बाकी जमीन और पानी में फैला रहता है। दिल्ली का गाजीपुर और मुंबई मुलुंड डंपिंग ग्राउंड ऐसे इलाके हैं, जहां ऊंचे-ऊंचे कचरे के पहाड़ बन चुके हैं और इनके आसपास लोग भी रहते हैं। जिनके स्वास्थ्य पर इस कचरे का बुरा असर होता है।
कचरा मुख्यतः दो तरह का होता है - औद्योगिक (इंडस्ट्रियल) कचरा एवं नगर पालिका (म्युनिसिपल) कचरा। औद्योगिक कचरे के निपटान की जिम्मेदारी जहां उद्योगों पर ही है, वहीं नगर पालिका कचरे की जिम्मेदारी स्थानीय निकायों/सरकारों पर होती है। ज्ञात हो कि ज्यादातर निगम कचरे को इकट्ठा तो करते हैं, लेकिन फिर उसे आबादी के आसपास ही किसी डंपिंग ग्राउंड में फेंक देते हैं।
पृथ्वी से लेकर आसमान तक ही नहीं, बल्कि अब वर्चुअल स्पेस में भी कूड़ा बड़ी समस्या बनने लगा है। लेकिन इस समय महानगरों का घरेलू कचरा सबसे बड़ी समस्या नज़र आ रही है। जो धीरे-धीरे इतना ज्यादा हो चुका है कि इसके ऊंचे-ऊंचे पहाड़ खड़े होने लगे है। यह समस्या केवल भारत की नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया में यह समस्या विकराल रूप धारत करती जा रही है।
भारत में कूड़े के पहाड़
एरिया 70 एकड़, ऊंचाई 65 मीटर, यानि ऊंचाई में कुतुबमीनार से महज 8 मीटर छोटा, एशिया का सबसे बड़ा कूडे का यह पहाड़ दिल्ली के गाजीपुर में है। यहां पर प्रति दिन लगभग 2000 टन कूड़ा फैंका जाता है। यहां की हवा दिल्ली के अन्य क्षेत्र से 6 गुना ज्यादा खराब है। ऐसे ही पहाड़ दिल्ली के ओखला एवं भलस्वा लैंडफिल (लैंडफिल साइट वो जगह होती है, जहां शहर भर का कचरा इकट्ठा किया जाता है) पर बन चुके है। इसके अलावा भारत में नागपुर का भंडेवाड़ी डंपिंग यार्ड, अहमदाबाद का पिराना लेंडफिल, बेंगलूरू में मंदूर का डंपिंग यार्ड आदि ऐसी अनेकों जगह है जहां पर कूड़े के बड़े-बड़े पहाड़ बन चुके हैं।
अमरीका में कूड़े के पहाड़ और मैदान
अमरीका में इंडियाना स्थित 'न्यूटन कंट्री लैंडफिल' 400 एकड़ में फैला हुआ है, जिसमें 480 किमी (300 मील) में फैले घरों तथा बिजनेस का सारा कूड़ा यहीं इकट्ठा किया जाता है। ऐसा मानना है कि यह लैंडफिल अगले 20 सालों तक कूड़ा इकट्ठा करती रहेगी।
कैलिफोर्निया में 'प्यूएंटे हिल्स' स्थित यह कूड़े का इलाका 700 एकड़ में फैला हुआ है और इस कूडे के पहाड़ की ऊंचाई 500 मीटर है।
'अपेक्स लैंडफिल', अमेरिका के सबसे बड़े कूड़ेदानों में से एक है। यह लैंडफिल 2200 एकड़ के इलाके में उत्तरी लास वेगास में स्थित है। लगभग 50 मिलियन टन कूड़ा यहां पर पड़ा हुआ है। यहां पर प्रति दिन 9 हजार टन कूड़ा फेंका जाता है।
न्यूयॉर्क के स्टेटन आईलैंड पर 'फ्रेश किल्स' कूड़ेदान स्थित है। इस स्थान पर 150 मिलियन टन कूड़ा है। एक अध्ययन के अनुसार अमरीका का हर व्यक्ति प्रतिदिन औसतन 2 किलो कूड़ा फैलाता है।
अफ्रीका
'ओलुसोसन लैंडफिल', जो अफ्रीका का सबसे बड़ा कूड़े का मैदान है, यहां 10,000 टन कूड़ा प्रतिदिन डाला जाता है।
दक्षिण कोरिया
साउथ कोरिया के 'सुडोकू वॉन लैंडफिल' डंपयार्ड को दुनिया के सबसे बड़े कूड़ेदानों में से एक माना जाता है। यहां करीब 20 हजार टन कूड़ा हर रोज डाला जाता है।
ब्राजील
रियो डे जेनेरियो स्थित 'जार्डिम ग्रामाचो' दुनिया के सबसे बड़े लैंडफिल में से एक था। जो 34 साल के लंबे संघर्ष के बाद 2012 में बंद कर दिया गया।
मैक्सिको
'बोर्डो पोनिएंटे' (मैक्सिको) का यह डंपयार्ड सुडोकू वॉन (साउथ कोरिया) से भी बड़ा है। इस डंपयार्ड में मैक्सिको सिटी से हर रोज 12 हजार टन कूड़ा यहा डाला जाता है।
चीन
दक्षिणी चीन में स्थित 'गुइयू वेस्ट डंप', दुनिया का सबसे बड़े कूड़ाघर होने के साथ-साथ सबसे खतरनाक कूड़ेदान भी है। इसे इलेक्टॉनिक कूडे की कब्रगाह भी माना जाता है।
महासागर में तैरता कूड़ा
"द ग्रेट पैसेफिक गार्बेज पैच' (उत्तरी प्रशांत महासागर), कूड़े का तैरता हुआ मैदान है। जिसमें ज्यादातर प्लास्टिक है। यह कूड़े का तैरता मैदान टैक्सास शहर के बराबर है। इसे अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है।
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