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आज ही के दिन 102 साल पहले हुआ था जलियांवाला बाग नरसंहार, याद कर आज भी नम हो जाती हैं आंखें

भारत के इतिहास में 13 अप्रैल का दिन एक ऐसे दिन के रूप में दर्ज है, जिस दिन प्रत्येक भारतीय की आंखें नम हो जाती हैं।

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नई दिल्ली, 13 अप्रैल। भारत के इतिहास में 13 अप्रैल का दिन एक ऐसे दिन के रूप में दर्ज है, जिस दिन प्रत्येक भारतीय की आंखें नम हो जाती हैं। आज ही के दिन 102 साल पहले पंजाब के अमृतसर में जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ था, जिसमें सैकड़ों बेकसूर भारतीयों पर गोलियां चलाकर उन्हें मौत के घाट उतार दिया गया था। इस घटना को सौ साल से ऊपर हो चुके हैं, लेकिन जब भी इस घटना का जिक्र होता है, रूह कांप जाती है।

Jallianwala Bagh

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बैसाखी मनाने के लिए बाग में इकट्ठा हुए थे लोग

यह घटना 13 अप्रैल साल 1919 की है। उस समय भारत में अंग्रेजों का शासन था। गुलाम भारतवासियों में अंग्रेजी शासन के प्रति घृणा का माहौल था, जिसके चलते गोरों की सरकार ने एक जगह लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगा रखा था और नियम तोड़ने वाले को कठोर सजा देने का ऐलान किया गया था। अंग्रेजी सरकार के आदेश के खिलाफ पंजाब में रहने वाले कई भारतीय 13 अप्रैल को बैसाखी का त्योहार मनाने के लिए जलियांवाला बाग में इकट्ठा हुए थे।

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जनरल डायर ने दिया गोली चलाने का आदेश

तभी एक अंग्रेजी अफसर जनरल डायर वहां आ धमका और उसने बिन वजह जाने अपने सैनिकों को सैकड़ों मासूम निहत्थे भारतीयों पर गोली चलाने का आदेश दे दिया, जिसमें कई बच्चे, नौजवान और बुजुर्ग मारे गए। जलियांवाला बाग लहूलुहान हो उठा। सैनिकों ने जलियांवाला बाग को चारों ओर से घेर लिया था, जिसके चलते किसी को भी वहां से भागने का मौका नहीं मिला। लगातार 10 मिनट तक बेकसूर भारतीयों पर गोलियां चलती रहीं। कईयों ने अपनी जान बचाने के लिए जलियावाला बाग में बने एक कुएं में छलांग लगा दी, लेकिन वह अपने आप को बचा न सके।

इस घटना में सैकड़ों लोगों की मौत हुई थी, लेकिन ब्रिटिशों ने इस हत्याकांड में मारे गए लोगों का आंकड़ा जारी किया जिसके मुताबिक इस हत्याकांड में लगभग 350 लोगों की मौत हुई थी, जबकि कांग्रेस पार्टी ने दावा किया था कि इस हत्याकांड में लगभग 1000 लोग मारे गए थे।

गोरों ने भी की घटना की निंदा
जनरल डायर के इस कृत्य की लगभग सभी अंग्रेजों ने निंदा की। लेकिन उसे इस नरसंहार के लिए केवल उसके पद से हटाया गया। बाकी उसे कोई सजा नहीं दी गई। जनरल डायर ने अपनी सफाई में कहा कि वहां लोग बैसाखी मनाने नहीं बल्कि रॉलेट एक्ट के विरोध में इकट्ठा हुए थे।

ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री ने जताया दुख
इसके बाद भारत ने कई बार ब्रिटेन से इस घटना के लिए मांफी मांगने के लिए कहा, जिसके जवाब में ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने इस घटना पर दुख जताया। उन्होंने इस घटना को ब्रिटिश भारतीय इतिहास पर शर्मनाक दाग करार दिया, लेकिन इस घटना के लिए मांफी नहीं मांगी।

ब्रिटिश उच्चायुक्त ने दी श्रद्धांजलि
इस नरसंहार के 100 साल बाद साल 2019 में भारत में ब्रिटेन के उच्चायुक्त डॉमिनिक अक्विथ ने जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक का दौरा किया और मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी।

उन्होंने राष्ट्रीय स्मारक पर विजिटर्स बुक में इस घटना का जिक्र करते हुए लिखा- 'सौ साल पहले हुआ जलियांवाला बाग नरसंहार ब्रिटिश भारतीय इतिहास की एक शर्मनाक घटना है। जो कुछ भी हुआ हमें उसका दुख है। मैं आज प्रसन्न हूं कि भारत और ब्रिटेन 21 वीं सदी की साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।'

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English summary
Jallianwala Bagh massacre took place 102 years ago on 13 April 1919, know its history
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