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बनारस जंक्शन: यहां के खान-पान में भी संस्कृति का चटकारा..

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आँचल प्रवीण

स्वतंत्र पत्रकार
आंचल पत्रकारिता एवं जनसंचार में पोस्ट ग्रेजुएट हैं, आंचल को ब्लोगिंग के अलावा फोटोग्राफी का शौक है, वे नियमित रूप से राष्ट्रीय और अंतरष्ट्रीय मुद्दों पर लिखती रहती हैं।

बनारस जंक्शन। भईया घूमने जाओ तो पेट भर खाओ और जब बनारस जाओ तो फिर वहाँ के खाने की तो पूरी लिस्ट तैयार करके जाओ। चाहे बात हो लॉन्ग लता की या स्पेशल टमाटर चाप की यहाँ के खाने के क्या कहने।तड़का ऐसा की मुंह में पानी भर आये और स्वाद ऐसा की भईया जीभ लपलपाई जाये।

बनारस जंक्शन: वो बनारस की साड़ी खूब सजे..बनारस जंक्शन: वो बनारस की साड़ी खूब सजे..

आइये इसके जायके पर एक नज़र डालते हैं..

यहां के खान-पान की सबसे बड़ी खासियत उसकी वेरिएशन है। इसी अनूठेपन के कारण बाहर से आने वाला यहां के खान-पान की बड़ाई करता नहीं थकता और बार-बार आने की इच्छा रखता है।

कचौड़ी जलेबी: काशी में आये और कचौड़ी जलेबी नहीं चखा मतलब बनारसीपन के एक खास हिस्से को जीभ से जानने का मौका छोड़ दिया। खान-पान के मामले में कचौड़ी जलेबी काशी की शान है। आधुनिक फास्ट फूड के बीच यह पारंपरिक भोजन अपनी लोकप्रियता को कायम रखे हुए है। कड़ाही में पकती हुई कचौड़ी जब भूरापन लेती है तो देखने भर से ही मन आनंदित हो जाता है। उसके साथ गरम-गरम जलेबी ! वाह भाई क्या कहने!

लस्सी: बनारसी लस्सी, नाम सुनते ही मन चंगा हो जाता है, मिल जाये तो बात क्या है! देश विदेश के सैलानी यहाँ के मशहूर लस्सी का आनन्द उठाने को मोहित रहते है, दही से निर्मित यह पेय पदार्थ मन को ठंडा और ताजगी प्रदान करता है।

चूड़ामटर: काशी में सर्दी के मौसम में लगभग हर घर में चूड़ामटर बनता है। बाजार में मिलने वाली थैलेबंद नमकीन से अलग यह नमकीन का अलग स्वाद देता है। जो बनारस की खास पहचान है।

मलाई की पूड़ी: पूड़ी तो पूरे भारत में बनती है लेकिन काशी की मलाई-पूड़ी खास होती है। जैसा कि नाम से मालूम हो जा रहा है मलाई से बनने वाली पूड़ी। पूड़ी के अन्दर मलाई भर कर बनाया जाता है। इस पूड़ी को खाने से लोगों को मजा आ जाता है।

मलइयो: दूध से ही बनने वाला मलइयो सर्दियों में काशी की खास पहचान है। गंगा घाट, चौक व गोदौलिया में मिलने वाली यह डिश लोगों को बरबस ही अपनी तरफ आकर्षित करता है। मलइयो को बनाने की विधि भी बेहद खास है। दूध को चीनी के साथ उबालकर आसमान के नीचे ओस में रख दिया जाता है। रात भर ओस खाने के बाद दूध को मिलाया जाता है। उसके बाद किसी बर्तन से दूध को काफी देर तक उलटा जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान निकले झाग को मिट्टी के पुरवे में भर दिया जाता है। जिससे तैयार होता है लाजवाब मलइयो।

ठंडई: बाबा भोले की नगरी काशी में ठंडई का भी लोग खूब आनंद उठाते हैं। हालांकि पहले की अपेक्षा ठंडई पीने वालों की संख्या में कमी जरूर आयी है।

पान: खान-पान की बात चले और पान का जिक्र न हो तो बात कुछ अधूरी सी रह जाती है। काशी की शान पहचान बनारसी पान है। यहां का पान इतना मशहूर है कि फिल्म डॉन का लोकप्रिय गाना 'खाइके पान बनारस वाला' आज भी लोगों के जेहन में हैं। पान मुंह में घुला कर बातें करना आम बनारसियों का स्टाइल है।

टमाटर चाप: बनारसी स्ट्रीट फ़ूड का राजा है टमाटर चाप, चाट जैसा ही पर उससे बिलकुल अलग।टमाटर की कटोरी में आलू की चाट और साथ ही टमाटर की चटनी और पापड़ी। मुंह में पानी आ गया मेरे तो।

लौंग लता: इसके तो क्या ही कहने, मेवे और खोये से भरी मिठाई उपर से चीनी की चाशनी से पगी और उसमे बीचो बीच लौंग का हल्का सौंधापन, भई बनाने वाले ने भी क्या चुनकर सब जुगाड़ सेट किया है।

अब तो सोच रहे हैं वहीँ घाट पर चौकड़ी जमा ले और बस सुबह शाम स्वादिष्ट पकवानों का मज़ा लेते रहें।

Comments
English summary
Varanasi’s food is defined by its place in Hindu culture and tradition, its regional influences , the influx of foreign visitors and their will to explore its cultural nuances, and above all its relationship with the river Ganga.
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