Independence Day 2017: लाल किला बिना अधूरी है जश्न-ए-आजादी
नई दिल्ली। आजादी के दिन का सेलिब्रेशन बिना लाल किले के कैसे हो सकता है, हर साल 15 अगस्त को इसी किले के प्राचीर से प्रधानमंत्री देश की जनता को संबोधित करते हैं, अपने संबोधन से पहले जब लाल किले पर तिरंगा फहराता है, उस वक्त हर भारतीय का सीना चौड़ा और आंंखें गर्व से नम हो जाती हैं।
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आखिर क्यों लाल-किले के बिना आजादी का जश्न अधूरा है, आइए जानते हैं विस्तार से...
युनेस्को विश्व धरोहर स्थल
- लाल किला के मुगल बादशाह शाहजहाँ द्वारा ई स 1639 में बनवाया गया था।
- यह महान किला युनेस्को विश्व धरोहर स्थल में अपना नाम दर्ज करा चुका है।
- यह किला लाल बलुआ पत्थर से बना है इसलिए इसे लाल-किला कहते हैं।
- लाल किला मुगल बादशाह शाहजहां की नई राजधानी, शाहजहांनाबाद का महल था।
- यह दिल्ली शहर की सातवीं मुस्लिम नगरी थी।
- यह किला यमुना नदी के किनारे पर स्थित है।
- इस किले की नक्काशी में आपको फारसी, यूरोपीय एवं भारतीय कला का समावेश देखने को मिलेगा।
- यह किला आठ हिस्सों में बंटा हुआ है, जिनके नाम हैं नक्करखाना, दीवान-ए-आम, नहर-ए-बहिश्त, ज़नाना, खास महल, दीवान-ए-खास, मोती मस्जिद और हयात बख़्श बाग।
- इस किले से ही भारत के प्रधान मंत्री स्वतंत्रता दिवस यानी 15 अगस्त को हर साल देश की जनता को सम्बोधित करते हैं।
- यह दिल्ली का सबसे बडा़ स्मारक भी है।
- देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहल लाल नेहरू ने इस पर पहली बार तिरंगा फहराया था और तब से ये प्रथा बन गई।
यमुना नदी के किनारे
पीएम करते हैं देश की जनता को सम्बोधित
भारतीय सेना
1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद लाल किले पर ब्रिटिश सेना का कब्जा़ हो गया था। इसे ब्रिटिश सेना का मुख्यालय भी बनाया गया। इसी संग्राम के बाद बहादुर शाह जफर पर यहीं मुकदमा भी चला था। यहीं पर नवंबर 1945 में इण्डियन नेशनल आर्मी के तीन अफसरों का कोर्ट मार्शल किया गया था। यह स्वतंत्रता के बाद 1947 में हुआ था। इसके बाद भारतीय सेना ने इस किले का नियंत्रण ले लिया था। बाद में दिसम्बर 2003 में, भारतीय सेना ने इसे भारतीय पर्यटन प्राधिकारियों को सौंप दिया।
एक साथ 3000 लोग बैठते थे
इस किले पर दिसम्बर 2000 में लश्कर-ए-तोएबा के आतंकवादियों द्वारा हमला भी हुआ था। इसमें दो सैनिक एवं एक नागरिक मृत्यु को प्राप्त हुए।एक वक्त था कि इस किले में एक साथ 3000 लोग बैठते थे, लेकिन अब यह पर्यटन स्थल बन चुका है, जिसे देखने के लिए लोग विदेशों से आते हैं।