Naming of Cyclones: कैसे और क्यों रखा जाता है Cyclone का नाम? पढ़े चक्रवात से संबंधित पूरी जानकारी
IMD ने चक्रवात मैंडूस के कारण अगले 48 घंटों तक तमिलनाडु और पुडुचेरी में भारी बारिश की चेतावनी दी थी। ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन ने हेल्पलाइन नंबर जारी करते हुए आम नागरिकों से समुद्री तटों पर जाने से मना किया है।
Naming of Cyclones: Cyclone (चक्रवात) एक ग्रीक शब्द है जिसका अर्थ है, एक तेज़, विनाशकारी आँधी। चक्रवात एक प्रकार का तूफान है जो महासागरों से उठता है और आमतौर पर हवा, धूल के भंवर, ऊंची समुद्री लहरों में रूप में तटीय इलाकों में आता है। कई स्थानों पर चक्रवात शब्द का प्रयोग बवंडर से भी जोड़ा जाता है। वैज्ञानिक दृष्टि से तूफानी हवा की गति 74 मील प्रति घंटे तक या उससे ज्यादा पहुंच जाती है तो इसे चक्रवात माना जाता है।
कैसे पड़ते हैं चक्रवाती तूफानों के नाम?
चक्रवात के नाम उनकी ताकत और गति के अनुसार रखे जाते है। दुनिया भर में छह रीजनल स्पेशलाइज्ड मेटियोरोलॉजिकल सेंटर्स (RSMCs) और पांच रीजनल ट्रॉपिकल साइक्लोन वार्निंग सेंटर्स (TCWCs) हैं जो सलाह जारी करने और ट्रॉपिकल चक्रवातों के नामकरण के लिए जिम्मेदार हैं। भारतीय मौसम विभाग उन छह RSMCs में से एक है जो 13 सदस्यों को ट्रॉपिकल चक्रवात और तूफान की सलाह प्रदान करता है।
बांग्लादेश, भारत, ईरान, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, कतर, सऊदी अरब, श्रीलंका, थाईलैंड, यूनाइटेड अरब अमीरात और यमन सहित उत्तर हिंद महासागर के बेसिन के 13 देशों को भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के RSMC से सलाह प्राप्त होती है। दिल्ली का RSMC इन 13 देशों में प्रत्येक के सुझावों के आधार पर बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के ऊपर चक्रवातों का नामकरण करने के लिए प्रभारी है। जैसे इस बार चक्रवात का नाम 'मैंडूस' है जो यूनाइटेड अरब अमीरात ने सुझाया था। इससे पिछले चक्रवात का नाम 'सितरंग' था जो थाईलैंड ने सुझाया था और मैंडूस बाद के चक्रवात का नाम 'मोचा' होगा जो यमन ने सुझाया था। चक्रवात को नाम देने के इस तरीके को वर्ल्ड मेटियोरोलॉजिकल ऑर्गेनाइजेशन (WMO)/इकोनॉमिक एंड सोशल कमिशन फॉर एशिया एंड द पैसिफिक (ESCAP) के पैनल ऑन ट्रॉपिकल साइक्लोन (PTC) ने सन् 2000 में 8 देशों की सर्वसम्मति से अपनाया था लेकिन 2020 में इसमें 5 नए सदस्य और जोड़े गए।
क्यों दिया जाते हैं चक्रवातों को नाम?
चक्रवातों के नामों का उपयोग मौसम विज्ञानियों द्वारा यह समझना के लिए किया जाता है कि वो चक्रवात कितना खतरनाक है और आसान संदर्भ के लिए चक्रवातों के नाम दिए जाते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि चक्रवातों को एक दूसरे से अलग करना मुश्किल हो सकता है। ज्यादातर व्यक्तियों के लिए वैज्ञानिक शब्दों को समझना मुश्किल होता है, इसलिए लोगों के लिए उन्हें पहचानना आसान बनाने के लिए चक्रवातों को नाम दिए जाते है। यह सूचना के प्रसार की सुविधा प्रदान करता है और मीडिया, वैज्ञानिकों और आपदा प्रबंधन के लोगों के लिए चक्रवातों को पहचानने और वर्गीकृत करने को आसान बनाता है।
भारतीय मौसम विभाग कैसे लगाता है किसी चक्रवात का अनुमान?
चक्रवात की चेतावनी सेवाओं और समुद्री मौसम सेवाओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत में 7 स्थापित चक्रवात चेतावनी केंद्र हैं जो हमारे देश के पूर्वी और पश्चिमी दोनों तटों को कवर करते हैं। भारत के 4 साइक्लोन वार्निंग सेंटर्स (CWC) अहमदाबाद, तिरुवनंतपुरम, विशाखापत्तनम और भुवनेश्वर में है और 3 एरिया साइक्लोन वार्निंग सेंटर्स चेन्नई, मुंबई और कोलकाता में स्थित है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने चक्रवात की चेतावनी के लिए अत्याधुनिक उपकरण बनाए और इस्तेमाल किए हैं जो कुछ पिछले वर्षों में अच्छी सटीकता के साथ चक्रवातों के लिए प्रारंभिक चेतावनी देने की अपनी क्षमता साबित कर चुके है।
वर्ष 2020 से भारत में कुछ घातक चक्रवात!
चक्रवात अम्फान: मई 2020 में आया चक्रवात अम्फान, एक विनाशकारी और अत्यधिक शक्तिशाली ट्रॉपिकल चक्रवात था जिसने बांग्लादेश और पूर्वी भारत, विशेष रूप से पश्चिम बंगाल और ओडिशा को बुरी तरह प्रभावित किया। आंकड़ों की मानें तो इस चक्रवात से भारत में 98 मौतें हुई।
चक्रवात ताउते: कोरोना वायरस महामारी की घातक दूसरी लहर के दौरान, 12 मई-19 मई, 2021 के बीच विनाशकारी चक्रवात ताउते ने भारत के पश्चिमी तट को तबाह कर दिया और 100 से अधिक लोगों की मौत का कारण बना। पिछले दस वर्षों में, अरब सागर में यह चक्रवात सबसे घातक था। इसके बाद में केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गोवा में बहुत तबाही मचाई।
चक्रवात यास: चक्रवात यास एक अत्यधिक शक्तिशाली और विनाशकारी तूफान था जिसने मुख्य रूप से ओडिशा और पश्चिम बंगाल को गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया था। इस चक्रवात ने मई 2021 में ओडिशा के तटों पर दस्तक दी और पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में मिलाकर 20 लोगों की जान ले ली।
चक्रवात गुलाब और शाहीन: 2021 सितंबर और अक्टूबर के बीच, दो आपस में जुड़े हुए चक्रवात आए जिन्होंने बहुत भारी नुकसान किया। चक्रवात गुलाब ने ओडिशा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना को बहुत प्रभावित किया। चक्रवात गुलाब के कुछ दिनों बाद ही चक्रवात शाहीन ने गुजरात पर असर डाला। दोनों चक्रवात ने मिलकर लगभग 34 लोगों की जान ली।
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