इतिहास के पन्नों से- महान अंग्रेजी लेखक जार्ज ऑरवेल थे बिहारी
नई दिल्ली(विवेक शुक्ला)अंग्रेजी साहित्य में दिलचस्पी लेने वाले लोगों के लिए जार्ज ऑरवेल का नाम बेहद जाना-पहचाना है। वे चोटी के साहित्यकार थे। ऑरवेल को अंग्रेजी का प्रेमचंद भी कहा जाता है। उनकी रचनाओं में अन्याय के खिलाफ लगातार आवाज उठाई गई।
एनीमल फार्म लोकप्रिय है
जार्ज ऑरवेल का लघु उपन्यास एनीमल फार्म बेहद लोकप्रिय है अब भी। पर क्या आप जानते हैं कि उनका जन्म बिहार में हुआ था ? यानी वे कुछ हदतक तो हिन्दुस्तानी हैं। जार्ज ऑरवेल का जन्म 25 जून, 1903 को मोतिहारी में हुआ था। उस समय उनके पिता वहां पर ही काम करते थे।
सरकारी महकमें में
उनके पिता भारत-नेपाल से सटे मोतिहारी में एक सरकारी महकमें में काम करते थे। उन्हें इधर ही एक तीन कमरे का घर मिला हुआ था। हालांकि उस दौर की ज्यादातर इमारतें तो अब खंडहर हो चुकी हैं, पर उनका घर अभी सुरक्षित है।
ऑरवेल का जन्म हुआ
कुछ साल पहले जार्ज ऑरवेल के संबंधी मोतिहारी में उस घर को देखने आए थे,जिधर ऑरवेल का जन्म हुआ था। वे बिहार सरकार के अधिकारियों से भी मिले थे। उसके बाद ऑरवेल के जन्म स्थान के बाहर एक पत्थर लगाया गया। जिसमें लिखा है कि इधर ही ऑरवेल का जन्म हुआ। हालांकि आपको इस तरह की जानकारी देने वाला पत्थर प्रमुख भारतीय लेखकों के घरों के बाहर लगा नहीं मिलता।
संग्रहालय बना रही है
अब बिहार सरकार भी मोतिहारी में ऑरवेल की याद में एक संग्रहालय बना रही है। नीतीश कुमार इस बाबत आदेश दे चुके हैं। इसका काम जल्दी चालू हो जाएगा। कहते हैं कि ऑरवेल जब एक साल के हुए तो वे अपनी मां के साथ वापस ब्रिटेन चले गए। उसके बाद वे कभी वापस अपने जन्म स्थान पर नहीं लौटे।
नागरिक अवज्ञा आंदोलन
बता दें मोतिहारी पूर्वी चंपारण का हिस्सा है। इधर से ही गांधी ने 1917 में नागरिक अवज्ञा आंदोलन की शुरूआत की थी। उसके चलते ही 30 साल के बाद भारत आजाद हुआ था। बहरहाल, बिहार और देश के दूसरे भागों से अब भी कई लोग उस महान अंग्रेजी लेखक के घर को देखने के लिए आते हैं।