फिर चर्चा में महिलाओं की खतना प्रथा, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से किए सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के चार मंत्रालयों से महिलाओं की खतना की प्रथा के बाबत कई सवालों के जवाब मांगे हैं।
नई दिल्ली। महिलाओं का खतना एक बार फिर से चर्चा में है। दुनियाभर के कई देशों में मौजूद इस प्रथा के बारे में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने चार मंत्रालयों से इस बाबत कुछ सवालों के जवाब मांगे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए ये नोटिस जारी किए।
क्या महिलाओं के खतना पर लग सकता है बैन
सुप्रीम कोर्ट ने आठ मई को एक याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के चार मंत्रालयों से महिलाओं के खतना पर उनकी राय मांगी है। कोर्ट ने इस प्रथा पर बैन लगाने को लेकर राय मांगी है।
बोहरा समुदाय में प्रचलित है महिलाओं का खतना
दुनिया में बहुत महिलाओं का खतना बहुत ज्यादा प्रचलित नहीं है लेकिन प्रथा एशिया और अफ्रीका के बहुत से देशों में यह प्रथा आज भी है। खासकर बोहरा समुदाय में यह प्रथा है और भारत में करीब 20 लाख बोहरा हैं। ऐसे में भारत में भी महिलाओं के खतना के मामले सामने आते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अफ्रीका और एशिया के करीब 30 देशों में खतना की प्रथा है।
क्या है महिलाओं का खतना
खतना में योनि के एक हिस्से क्लाइटॉरिस को निकाल दिया जाता है। या फिर कुछ जगहों पर क्लाइटॉरिस और योनि की अंदरूनी त्वचा को भी आंशिक रूप से हटा दिया जाता है।
क्यों किया जाता है ऐसा
जिन समुदायों में महिलाओं के खतना का प्रचलन है, उनका मानना है कि इससे महिलाओं की सेक्स के लिए इच्छा कम हो जाती है। साथ ही माना जाता है कि इससे मासिक धर्म के दौरान दर्द कम होता है। वहीं खतना के बाद सेक्स करते हुए भी महिलाओं का आनंद कम हो जाता है।
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