लोकसभा चुनाव : जंग, जिन्दगी और जीप
राजनीति का स्वागत भले ही कम लोग करते हों, पर इन दिनों नेताओं का स्वागत सिर्फ उनके समर्थक-सहयोगी ही नहीं बल्िक फैशनेबल प्रचार वाहन यानि कि खुली जीपें भी 'नेता जी' के सम्मान में दौड़ रही हैं। चुनाव प्रचार के दौरान कम खर्च और मतदाताओं से सीधे जुड़ने में आसानी के चलते खुली जीप उम्मीदवारों की पहली पसंद बन गई है। इन दिनों प्रत्याशियों व कार्यकर्ताओं में खुली जीप की मांग बढ़ गई है। आइए घुमाते हैं स्लाइडर का पहिया और जानते हैं जीप के पांच-परपंच जो बनाते हैं इसे खास :
खुल कर चल रही है खुली जीप
नेताओं की मानें तो खुली जीप में प्रचार करने में आसानी होती है। जब नेता का काफिला निकलता है तो लोग घरों की छतों या बालकनी में आ जाते हैं। इससे खुली जीप में सवार नेताजी मतदाता से रूबरू हो जाते हैं।गेट पर गाड़ियों को किराए पर चलाने वाले व्यापारी मुकुल बताते हैं कि चुनावी मौसम में डिमांड पर भी खुली जीप तैयार की जा रही हैं। पार्टियां अपने हिसाब से गाड़ी का रंग बताती हैं।
फैशन में फिट, बजट में हिट
एक दिन के लिए साधारण खुली जीप का करीब 10 हजार रुपये में किराये पर मिल रही है। दिल्ली के मायापुरी व करोलबाग में खुली जीप की सबसे बड़ी मार्केट है। जिसके पास खुद की जीप है, उसके लिए बाजार में मॉडिफाई करने की भी सुविधा है। इसमें कम से कम 2-3 लाख रुपये की लागत आती है।
आरामदायक ही नहीं दमदार है सवारी
खुली जीप पर 15-20 लोग भी सवार हो जाए तो दिक्कत नहीं होती है। सड़क टूटी हो या पानी भरा हो, यह लग्जरी गाड़ियों की तरह रुकेगी नहीं। खुली जीप का लोगों में इतना चाव होता है कि यह जहां से गुजरती है, लोग उसे देखने के लिए बाहर आते हैं।
बदलते दौर की बदलती सवारी
एक दौर था जब उम्मीदवार वोट मांगने के जाते थे तो गाड़ियों का काफिला उनके साथ होता था। मगर अब चुनाव आयोग ने एक साथ 10 से अधिक वाहनों पर रोक लगा दी है। यही नहीं वाहन की न्यूनतम दर भी आयोग तय करता है।
सवारी पर आयोग भी है नर्म
लग्जरी गाड़ी का एसी के साथ प्रयोग करने पर उसके प्रतिदिन के हिसाब से करीब 16 सौ से ज्यादा रुपये लगते हैं, लेकिन खुली जीप में एसी नहीं होता है। उसका चुनाव आयोग एक हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से जोड़ता है।