नागालैंड की इन महिलाओं ने दुनिया के सामने पेश की नई मिसाल
नागालैंड के इस गांव की महिलाओं ने पेश की मिसाल, विकास के लिए मेहनत के दम पर बनाई पहचान, गांव में हर कोई करता है काम।
नई दिल्ली। नागालैंड के इस गांव में आसपास के लोग चिजामी के विकास मॉडल को देखने के लिए आते हैं, यह नागालैंड का एक छोटे से गांव की कहानी है। चिजामी लोगों के लिए एक मिसाल हैं, यहां महिला अधिकारों और दीर्घकालिक कृषि के लिए काम किया जाता है। चिजामी में कुछ गरीब और पिछड़ी महिलाएं एकसाथ मिलकर दुनिया के सामने यह मिसाल पेश कर रही हैं कि कड़ी मेहनत से कुछ भी हासिल किया जा सकता है और विकास को नई दिशा दी जा सकती है।
गांव
में
रहते
हैं
3000
लोग
चिजामी
गांव
पूर्वी
नागालैंड
के
फेक
जिले
में
स्थित
है।
यहां
तकरीबन
3000
लोग
रहते
हैं,
इस
गांव
में
सिर्फ
600
घर
हैं,
और
सभी
लोग
कृषि
से
जुड़े
हैं।
1994
में
मोनिसा
बहल
जोकि
महिला
अधिकार
के
लिए
काम
करती
हैं
उन्होंने
कृषि
के
क्षेत्र
में
काम
शुरू
किया।
वह
नागालैंड
आईं
और
उन्होंने
महिला
स्वास्थ्य
के
लिए
काम
करना
शुरू
कर
दिया।
वह
यहां
की
महिलाओं
से
मुलाकात
करती
और
उनकी
जरूरतों
को
समझने
की
कोशिश
करती
थीं।
यह
वह
समय
था
जब
नागालैंड
छह
दशक
के
संघर्ष
के
बाद
इससे
बाहर
निकल
रहा
था।
बहल
के
साथ
सेनो
जोकि
नागा
महिला
हैं
साथ
आई,
इसके
अलावा
एक
शिक्षिका
भी
उनके
साथ
जुड़ी।
इन
लोगों
ने
बहल
के
साथ
जुड़कर
एक
नागा
महिलाओं
के
जीवन
क्रांतिकारी
बदलाव
लाने
की
मुहिम
शुरू
की।
2008
में
शुरू
हुई
विकास
की
यात्रा
चिजामी
में
विकास
की
रफ्तार
2008
में
तेज
हुई,
यहां
बिजनेस
के
साथ
परंपराओं
का
भी
ध्यान
दिया
जाने
लगा।
महिलाओं
का
लक्ष्य
था
कि
वह
लोगों
को
जीवन
यापन
करने
के
लिए
बेहतर
विकल्प
मुहैया
करा
सकें।
इसके
लिए
यहां
के
विशेष
हथकरधा
को
बढ़ावा
देने
का
फैसला
लिया
गया।
अब
चिजामी
में
तकरीबन
300
महिलाएं
इस
उद्योग
से
जुड़ी
हैं
और
कपड़े
बुनती
हैं।
ना
सिर्फ
चिजामी
बल्कि
फेक
जिले
की
10
गांवों
की
महिलाएं
भी
इससे
जुड़
गई
हैं।
तमाम
अधिकारों
से
लोगों
को
कराया
परिचित
यह
सफर
उस
वक्त
शुरू
हुआ
जब
बांस
की
लकड़ी
से
क्राफ्ट
बनाए
जाने
की
शुरूआत
की
गई।
इसके
बाद
जैविक
खेती,
रूफटॉप
वाटर
हार्वेस्टिंग
और
कम
दाम
में
सफाई
की
मुहिम
शुरू
की
गई।
महिलाओं
को
विशेष
ट्रेनिंग
दी
जाने
लगी,
उन्हें
प्रशासन,
महिला
सशक्तिकरण,
मानवाधिकारों
के
बारे
में
बताया
गया।
जिसके
बाद
2014
में
यहां
की
महिलाओं
में
जबरदस्त
बदलाव
आया।
यहां
की
महिलाओं
ने
खुद
की
पहचान
स्थापित
की
और
एक
प्रस्ताव
पास
किया
कि
सभी
कृषि
लेबर्स
को
समान
वेतन
मिलेगा।
2015
में
यहां
की
दो
महिलाएं
इन्हुलुमी
गांव
की
काउंसिल
में
पहुंची।