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इतिहास के पन्नों से- दकियानूसी टाइप ब्राह्मण नहीं थे चंद्रशेखर आजाद

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नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) संसद में हंगामे सेलकर दूसरे तमाम घोटालों की खबरों के बीच मानो देश भूल गया कि आज ही चंद्रशेखर आजाद का जन्मदिन है। कौन हिन्दुस्तानी है जिसे उनकी नंगे बदन और काँधे पर जनेऊ लटकाए तथा मूँछे ऐंठने वाली फोटो ने प्रभावित नहीं किया।

वरिष्ठ पत्रकार शंभूनाथ शुक्ल कहते हैं कि मुझे लगता है कि हम अपने हाल के अतीत के नायकों की भी सही पहचान नहीं कर पाते। ऐसा कैसे संभव है कि जो व्यक्ति सशस्त्र क्रांति में विश्वास करता हो वह इस तरह का पोंगा हो। तमाम जो लोग मूँछें नहीं रखते ज्यादा बहादुर और धैर्यवान रहे।

नेहरु इसके प्रतीक थे

पंडित जवाहरलाल नेहरू इसके प्रतीक हैं और तो और स्वयं को जवाहर लाल की परंपरा का बताने वाले दक्षिणपंथी नायक अटलबिहारी बाजपेयी भी मूंछे नहीं रखते हैं। और यह भी कैसे संभव है कि खुद आजाद को नायक की कुर्सी पर बिठाने वाले भगतसिंह ने उनसे कभी कहा न हो कि पंडित जी आप आप नंगे मत रहा करो कम से कम शर्ट तो पहनो और ये जनेऊ त्यागो।

एक ही थाली में

कहते हैं कि आजाद भी सब के साथ एक ही थाली में खाते थे। यानी छुआछूत का कोई भेद नहीं मानते थे तब वे जनेऊ भला क्यों पहनते होंगे। आजाद की उम्र के हमारे बाबा थे और उन्होंने कभी जनेऊ नहीं पहना था।

न हमारे परिवार में कोई जनेऊ धारण करता है। जनेऊ पहनाकर आजाद को एक दकियानूसी ब्राह्मण बताने की तैयारी में कुछ लोग शुरू से लगे रहे और अब तो खैर उनकी चांदी है।

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शास्त्री जी ने मिलवाया

कहते हैं कि लालबहादुर शास्त्री ने आजाद को पंडित नेहरू से मिलवाया था। तब नेहरू जी ने उनसे पूछा कि बच्चे तेरी क्रांति का मकसद क्या है तो आजाद सकपका गए। नेहरू जी ने शास्त्री जी को डांटा। शास्त्री जी बोले कि इसे बचाइए, वर्ना अंग्रेज इसको छोड़ेंगे नहीं।

नेहरू जी ने तब कोशिश की थी आजाद को सोवियत संघ भिजवाने की मगर उनकी कोशिश परवान चढ़ती इसी बीच अंग्रेज पुलिस ने उन्हें इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में घेर लिया।

पिस्तौल आजाद भी रखते थे उन्होंने भी जवाबी फायरिंग की मगर पुलिस बल ज्यादा था और आजाद की पिस्तौल की गोलियां चुक गईं और आखिरी गोली आजाद ने खुद को मार ली ताकि वे अंग्रेजों के हाथों न मारे जाएं।

महान क्रांतिकारी

जाहिर है ऐसा जुनूनी आदमी जनेऊ धारी दकियानूसी पुरोहित टाइप ब्राह्मण तो नहीं ही रहा होगा। एक क्रांतिकारी को क्रांतिकारी जैसा ही सम्मान दो उसे मत बांधो।

English summary
Chandra Shekhar Azad was a great freedom Fighter. He was introduced with Pt. Nehru by Shastri ji. He was also very close to Bhagat Singh.
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