सीएम भूपेश की "नरवा गरवा घुरवा बारी" योजना पर एस कुमार ने की PhD, दुर्ग विश्वविद्यालय देगी पहली उपाधि
छतीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की महत्वाकांक्षी योजना "नरवा गरुवा घुरुवा और बारी" के माध्यम से एक ओर जहां गांव में किसान खुशहाल हैं। इस विषय पर अब दुर्ग विश्वविद्यालय अपनी पहली उपाधि देने जा रहा है ।
दुर्ग, 19 अगस्त। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की महत्वाकांक्षी योजना "नरवा गरुवा घुरुवा और बारी" के माध्यम से एक ओर जहां गांव में किसान खुशहाल और महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही है। दूसरी ओर इस योजना के क्रियान्वयन और इसके लाभ पर अब शोध की शुरुआत भी हो चुकी है। राजनांदगांव के दिग्विजय कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र एस कुमार ने "नरवा गरवा घुरवा बारी" के सामाजिक प्रभाव को अपनी शोध का विषय चुनकर शोधकार्य पूर्ण कर लिया है। जिस पर अब दुर्ग विश्वविद्यालय अपनी पहली उपाधि देने जा रहा है ।
जानिए क्यों चुना यह विषय
अपने शोध विषय के बारे में जानकारी देते हुए शोधार्थी एस कुमार कहते हैं कि उन्हें शुरू से ही लोक जीवन से जुड़े मुद्दे पर रिसर्च करने की इच्छा थी। वे निरंतर अपने आसपास के क्षेत्र में शोध समस्या की खोज कर रहे थे। इस बीच उन्होंने अपनी यह इच्छा अपने गाइड डॉ सपना शर्मा को बताई। जिसके बाद उन्होंने छात्र को कई सुझाव दिए। जिसमें से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की महत्वकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी का चयन किया गया। प्रकृति के रूप में गौवंश के संरक्षण, महिलाओ के आत्मनिर्भरता और जैविक खेती को बढ़ावा देने के कारण यह विषय सीधे लोक जीवन से जुड़ा है। जिसके कारण शोधार्थी ने इस विषय का चयन किया।
इस पद्धति से किया रिसर्च
इस रिसर्च के लिए शोधार्थी एस कुमार ने राजनांदगांव जिले के छुईखदान, खैरागढ़ और राजनांदगांव विकासखंड का चयन किया। प्रत्येक विकासखंड में 10 ऐसे गांव का चयन किया गया, जिनमें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सुराजी ग्राम योजना का क्रियान्वयन हो रहा है। शोधार्थी एस कुमार ने बताया कि इसके लिए उन्होंने सुविधा मुलक उद्देश्य पूर्ण निदर्शन पद्धति को अपनाया। जिसके तहत प्रत्येक विकास खंड से 150 उत्तरदाता का चयन किया गया है।तीनो ब्लॉक में कुल 450 उत्तरदाताओं से 25 प्रश्नों के उत्तर लिए गए। इस निदर्शन पद्धति में इस बात का विशेष ध्यान रखा गया कि सभी उत्तरदाता सुराजी ग्राम योजना से जुड़े हुए हों। इन गांव में संचालित आदर्श गौठानो, स्व सहायता समूह की महिलाओं और बाड़ी योजना के लाभार्थियों से बातचीत सर उनकी योजना के प्रति विचार को शोध में शामिल किया गया।
यह दुर्ग विश्विद्यालय की पहली उपाधि
दरअसल शोधार्थी एस. कुमार के " ग्रामीण समाज में नरवा गरवा घुरवा बारी के सामाजिक महत्व का समाजशास्त्रीय अध्ययन" पर हेमचंद यादव विश्वविद्यालय पीएचडी देने जा रहा है। विश्विद्यालय की स्थापना के बाद पहली शोध उपाधि इस विषय पर दी जाएगी। सुधार टी एस कुमार ने बताया कि साल 2019 में सरकार की योजना लागू करते ही उन्होंने इस विषय का चयन कर शोधकार्य शुरू किया, और अब साल 2022 में अपना शोध विषय पूरा कर लिया है। नवम्बर 2021 को उन्होंने अपना शोध प्रबंध जमा कर दिया था जिसके बाद गुरुवार को इसका वायवा हुआ। अब आने वाले दीक्षांत समारोह में उन्हें उपाधि प्रदान की जाएगी।
शोध में यह निकला निष्कर्ष
साइंस कॉलेज के शोधार्थी छात्र एस. कुमार ने शोध के निष्कर्ष के बारे में बताया कि यह शोध ग्रामीण परिवेश व लोक जीवन से जुड़ा होने के कारण पर्यावरण संरक्षण, वर्मी कंपोस्ट खाद निर्माण, महिलाओं के स्वावलंबन, पशुओं के संरक्षण तथा मृदा संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा। शोधार्थी ने बताया कि इस शोध में निष्कर्ष प्राप्त हुआ कि सुराजी ग्राम योजना के माध्यम से महिला समूह बनाकर महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं। अब महिलाएं परिवार में मुखिया की भूमिका अदा कर रहीं है। नरवा योजना के माध्यम से बरसात के पानी को संरक्षित कर खेतों में सिंचाई के लिए उपयोग किया जा रहा है। वर्मी कंपोस्ट का निर्माण कर स्वयं के खेतों के उपयोग में लाया जा रहा है। जैविक खेती से बंजर होती भूमि की उर्वरा शक्ति को फिर से उपजाऊ बनाया जा रहा है। आज 2 रुपए किलो गोबर से अतिरिक्त आय किसान प्राप्त कर रहें हैं। जिससे रासायनिक खादों पर निर्भरता कम हुई है। घुरवा और बारी ग्रामीण समाज के जीवन का अहम हिस्सा है। इसके माध्यम से गौठानो में पोशक्त तत्वों से भरपूर सब्जियां लगाकर हम ग्रामीण समाज के खाद्य पोषिता की पूर्ति कर पा रहे हैं।
छः भांगों का शोध ग्रन्थ, दो शोध पत्र प्रकाशित
पीएचडी सेल के प्रभारी डॉ प्रशांत श्रीवास्तव ने बताया कि इसका शोध ग्रंथ शोध 6 अध्यायों में बांटा गयं है। शोध के दौरान शोधार्थी ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से मान्यता प्राप्त उच्च स्तरीय शोध पत्रिका में इसके 2 शोध पत्र प्रकाशित किए हैं। शोधार्थी एस कुमार के गाइड साइंस कॉलेज की समाज शास्त्र की सहायक प्राध्यापक डॉ. सपना शर्मा एवं एक्सटर्नल बरकतउल्ला विश्विद्यालय भोपाल के समाज शास्त्र विभाग के प्राध्यापक डॉ. कुमरेश कश्यप उपस्थित रहे।