फिल्म गब्बर की तरह लूट रहे निजी अस्पताल, आयुष्मान कार्ड से इलाज फिर भी ले रहे कैश, स्वास्थ्य अधिकारी मौन
मामला भिलाई का है जहां बालोद जिले के चिकलाकसा गांव से आए सोहागा बाई के परिजनों से आयुष्मान कार्ड में इलाज के नाम पर 62 हजार भी जमा कराया व ढेड़ लाख की दवाई भी ख़रीदवा लिया।
दुर्ग, 30 जुलाई। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में निजी अस्पतालों में जमकर लूट मची है। मरीजो के परिजनों को मंहगे इलाज के नाम पर लूटने का खेल बदस्तूर जारी है। तो वहीं कई अस्पतालों ने प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना में गोलमाल करने का तरीका भी ढूंढ निकाला है। गब्बर फ़िल्म की तरह ही यहां मरीजो के परिजनों को मरीज के मौत के बाद भी मोटी रकम जमा कराने पर मजबूर किया जा रहा है। ताजा मामला भिलाई का है जहां अस्पताल प्रबंधन ने बालोद जिले के चिकलाकसा गांव से आए सोहागा बाई के परिजनों से आयुष्मान कार्ड में इलाज के नाम पर 62 हजार भी जमा कराया व ढेड़ लाख की दवाई भी ख़रीदवा ली ।
बालोद
के
चिखलाकसा
से
आए
थे
मरीज
दरअसल
बालोद
जिले
के
दल्ली
राजहरा
क्षेत्र
में
चिखला
कसा
गांव
से
बुजुर्ग
महिला
सोहागा
बाई
का
इलाज
करवाने
के
लिए
परिजन
भिलाई
पहुंचे।
यहां
एक
निजी
अस्पताल
ने
जांच
के
बाद
उसे
एम्स
के
लिए
रेफर
किया।
लेकिन
इसी
बीच
एक
एंबुलेंस
चालक
ने
पीड़ितों
को
कहा
कि
दूसरे
निजी
अस्पताल
में
इलाज
हो
सकता
है।
परेशान
परिवार
मान
गया
और
भिलाई
के
मित्तल
हॉस्पिटल
में
मरीज
को
भर्ती
कराया
दिया।
जहां
बुजुर्ग
ने
दम
तोड़
दिया।
एक
लाख
साठ
हजार
की
खरीदी
दवाई
परिजनों
के
अनुसार
एम्बुलेंस
चालक
की
सलाह
पर
16
जुलाई
को
परिजनों
ने
सोहागा
बाई
को
भिलाई
के
निजी
अस्पताल
मित्तल
हॉस्पिटल
में
एडमिट
कराया,
मृतका
के
बेटे
कमलेश
ने
बताया
कि
मरीज
को
दाखिल
करते
वक्त
निजी
अस्पताल
ने
कहा
कि
30
हजार
रुपए
तक
में
इलाज
हो
जाएगा।
शेष
रकम
आयुष्मान
कार्ड
योजना
से
काट
लेंगे।
इसके
बाद
भी
जब
भर्ती
करा
दिया
गया
तब
से
अब
तक
1
लाख
60
हजार
का
दवा
और
62
हजार
नकद
जमा
करा
लिया
गया।
पैसा
खत्म
होने
लगा
तो
तब
परिवार
परेशान
हो
गया।
परिजनो
का
यह
है
आरोप
परिजनों
के
अनुसार
इलाज
शुरू
करने
के
बाद
मृत्यु
होने
से
दो
दिन
पहले
ही
मृतिका
को
सीरियस
बताकर
डॉक्टरों
ने
आईसीयू
में
शिफ्ट
किया।
प्रबंधन
ने
16
जुलाई
से
29
जुलाई
तक
पीड़ित
परिवार
से
लगातार
दवा
व
इलाज
का
पैसा
लिया।
लेकिन
कोई
बिल
नही
दिया।
लेकिन
मरीज
के
मौत
के
बाद
अस्पताल
का
बिल
थमा
दिया।
पीड़ित
परिवार
सुबह
से
दोपहर
तक
अस्पताल
प्रबन्धन
के
सामने
अपनी
बात
रखने
की
कोशिश
करता
रहा।
पीड़ित
परिवार
का
आरोप
है
कि
उन्हें
न
तो
सही
बिल
मिला
है
और
न
सही
इलाज
किया
गया।
पुलिस
ने
पोस्टमार्टम
के
लिए
बनाई
टीम
इस
मामले
में
परिजनों
ने
प्रबन्धन
के
खिलाफ
पुलिस
से
शिकायत
की,
पुलिस
ने
मर्ग
कायम
किया
है।
अब
मृतिका
का
पीएम
करने
जिला
स्वस्थ्य
विभाग
के
चिकित्सकों
की
टीम
गठित
की
गई
है।
वे
पोस्ट
मार्टम
के
बाद
रिपोर्ट
सौपेंगे।